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बीएचयू के प्रो. अनिल राय ने ट्रामा सेन्टर में 87 वर्षीय महिला के रीढ़ का किया जटिल ऑपरेशन



 05/Dec/18

चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू आर्थोपेडिक विभा के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार राय ने ट्रामा सेन्टर में 87 वर्षीय महिला मरीज प्रो. शैल दुबे को दर्द से राहत पहुंचायी। कमर व पैरों में दर्द के कारण इनका उठना बैठना तकलीफों से भरा हुआ था। इस बीमारी का इलाज कराने के लिए प्रो. शैल ने ना सिर्फ पीजीआई व एम्स बल्कि ऑस्ट्रेलिया तक का चक्कर भी काट चुकी थी। 7 साल पूर्व दिल्ली में रीढ़ का ऑपरेशन कराया लेकिन स्‍थायी लाभ नहीं मिला। दर्द की समस्या छ: माह में ही फिर लौट आई। कई साल तक दर्द की दवाओं तथा फिजियोथेरेपी के सहारे काम चला लेकिन तकलीफ कम होने के बजाय बढ़ती ही गई। थक हार के प्रो. शैल बीएचयू ट्रॉमा सेन्टर में आर्थोपेडिक विभाग में प्रो. अनिल कुमार राय को दिखाया। रीढ़ का एक बार ऑपरेशन होने के चलते अब यह केस जटिल हो गया था। जिसे फेल्ड बैक सिंड्रोम कहा जाता है। यह जटिल ऑपरेशनों की श्रेणी में पहुंच चुका था। ऐसे में कोई भी डॉक्टर ऑपरेशन करने को तैयार नहीं हो रहा था। आस्ट्रेलिया के सरकारी अस्पतालों ने तो ऑपरेशन करने से ही मना कर दिया था। जबकि वहां के प्राइवेट अस्पताल ने इस सर्जरी का खर्च करीब 25 से 50 लाख रूपये बताया। बता दें कि 8 वर्ष पूर्व भी प्रो. शैल ने प्रो. अनिल राय को दिखाया था उस समय प्रो. राय ने ऑपरेशन की सलाह दी, लेकिन वाराणसी तथा पीजीआई लखनऊ दिखाने चली गयी थी। बीएचयू ट्रामा सेन्टर में करीब 5 घंटे तक चले इस ऑपरेशन में रीढ़ की हड्डी को 16 पेंच लगाकर कसा गया। ताकि नसों में पड़ने वाले दबाव को दूर किया जा सके। प्रो. अनिल राय ने रीढ़ की हड्डी को सीधा किया तथा अपनी जगह से खीसकी कई जोड़ों को सीधाकर पेंच लगा दिया।

नस में दबाव के कारण प्रो. शैल को दाहिने पैर में असहनीय पीड़ा होती थी। इस ऑपरेशन के बाद प्रो. शैल का दर्द गायब हो गया और वह वाकर के सहारे चल फिर रही है। 87 वर्ष की अवस्था में फेल्ड बैक सिंड्रोम की सर्जरी जटिलताओं से भरी रहती है और 25 से 30 प्रतिशत लोगों में ही प्रभावित हो पाती है। फिर भी यह जटिल ऑपरेशन कर प्रो. अनिल राय ने बीएचयू ट्रामा सेन्टर के लिए एक नया अध्याय जोड़ा। ऑपरेशन करने वाली टीम में प्रो. एके राय के साथ डॉ. आनन्द सौरभ, डॉ. अभिजित, डॉ. शुभांशु शेखर तथा एनेस्थीसिया विभाग की प्रो. रंजन व डॉ. मंजरी ने सहयोग किया।


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