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हमारे साथ ऐसा होगा मैं सोच भी नहीं सकता : श्यामदेव राय चौधरी



 26/Jan/17

" दादा " का टिकट कटने से रो पड़े कार्यकर्ता

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में शहर दक्षिणी से सात बार के विधायक श्यामदेव राय चौधरी का टिकट कटने से वाराणसी में भाजपा के कद्दावर नेताओं को समझ में नहीं आ रहा है कि वे नाराज कार्यकर्ताओं को कैसे तैयार करेंगे। क्योंकि दादा स्वयं नाराज होने के साथ इस निर्णय से खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं, तभी तो वे अपने अपमान को क्षेत्र की जनता और समर्पित कार्यकर्ताओं के निर्णय के लिए छोड़ दिया है।


 इस प्रतिकूल परिस्थिति में वाराणसी शहर दक्षिणी के विधायक श्यामदेव राय चौधरी " दादा " ने क्लाउन टाइम्स से एक अनौपचारिक बातचीत के दौरान अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पार्टी को ऐसा करना ही था तो एक बार मुझसे पूछ लिया होता। इस तरह से बिना किसी कारण के हमारे जैसे बेदाग, समर्पित कार्यकर्ता का अपमान करना समझ से परे है। मेरी वर्षों की पूजी हमारी मालिक जनता और कार्यकर्ता हैं। इस निर्णय से उनका भरोसा और विश्वास टूट कर बिखर गया। शीर्ष नेतृत्व ने हमें चुनाव लड़ने के काबिल न समझकर हमारे मालिक जनता का दिल तोड़ा है। मेरी मेहनत, इमानदारी जनता का प्रेम आशीर्वाद और प्यार जनसंघ के समय से हमें मिलता रहा। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा हमारे जैसे एक मामूली से पार्टी के प्रति समर्पित कार्यकर्ता का इनता बड़ा अपमान होगा मैं सोच भी नहीं सकता। दादा का टिकट कटने से पूरे दिन उनके यहाँ कार्यकर्ताओं के आने का ताता लगा रहा। कई कार्यकर्ता तो अपने लोकप्रिय विधायक दादा से लिपट कर रो पड़े। दिनभर दादा के फोन पर उनके समर्थकों की घंटियां बजती रहीं और दादा उन्हें समझाते हुए अपनी तकलीफ को साझा भी करते रहे। शीर्ष नेतृत्व के निर्णय से नाराज दादा ने दो टूक शब्दों में कहा कि अब मैं रिटायर हो चुका हूं, इसलिए मेरे लिए घर बैठना जरूरी है। कहा कि वे कभी न तो टिकट के पीछे भागे और न ही बड़े नेताओं की जी हूजूरी किया। पार्टी ने टिकट वितरण से पूर्व कई बार सर्वे भी करवाया ऐसा मैंने भी सुना है, पर देखा नहीं। सुनने में यहाँ तक आया कि संभावित प्रत्याशियों की सीबीआई जाँच भी कराई गई। उसके बाद भी ऐसा निर्णय हुआ तो कुछ अच्छा सोचकर किया गया होगा। 

1966 में भारतीय जनसंघ पार्टी से अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने वाले दादा दोहरी सदस्यता के निर्णय के चलते जनसंघ से अलग भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ तो वे भी पार्टी के साथ हो लिए। लगातार सात बार के विधायक दादा अपना टिकट कटने से दु:खी हैं। कहा कि :-


इस दिल के टुकड़े हजार हुए ,  कोई यहाँ गिरा कोई वहाँ गिरा "।


उनके प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं की नाराजगी इस बात की ओर संकेत करती है वे दक्षिणी के घोषित प्रत्याशी नीलकंठ तिवारी के समर्थन में पूरे मनोयोग से लगेंगे या नहीं। हो सकता है यदि वे लोग दिखावे के लिए घोषित प्रत्याशी के समर्थन में लग जायें तो भी दादा के साथ पिछले चार दशक से भी अधिक समय से जुड़े कार्यकर्ताओं को अचानक एक नये उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने के लिए प्रेरित करना कठिन है। 


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