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भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच व्यापार और निवेश को अत्याधिक सुविधाजनक बनाने तथा रणनीतिक रिश्तों को और मजबूत बनाने वाला ऐतिहासिक समझौता : फियो अध्यक्ष डॉ. ए शक्तिवेल



 19/Feb/22

यूएई व्यापक आर्थिक साझीदारी समझौते (सीईपीए) पर हस्ताक्षर करने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए तथा कृतज्ञता जताते हुए फियो अध्यक्ष डॉ. ए शक्तिवेल ने कहा कि ऐसा व्यापक समझौता रिकार्ड समय में संपन्न हो गया है जो दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के बीच भारी विश्वास और भरोसे को दर्शाता है। यह पिछले 12 वर्षों में किसी बड़ी अर्थव्यवस्था के बीच किया गया पहला ऐसा समझौता है। फियो अध्यक्ष ने बातचीत को त्वरित गति से आगे बढ़ाने तथा इतने कम समय में इसे अंतिम रूप देने में सक्रिय तथा अग्रणी भूमिका निभाने के लिए माननीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री को भी धन्यवाद दिया।

 सीईपीए भारत और यूएई के बीच निवेश के अतिरिक्त वस्तुओं तथा सेवाओं दोनों में ही व्यापार के नए अवसरों के द्वार खोलेगा। फियो अध्यक्ष ने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात वर्तमान में अमेरिका के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है और यूएई के लिए हमारे निर्यात में वृद्धि अतीत में भी बहुत उत्साहवर्द्धक रही है।

 चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों के दौरान, यूएई को हमारा निर्यात पहले ही 20 बिलियन डॉलर से अधिक हो चुका है। हालांकि वास्तविक टैरिफ छूट के बारे में जानकारी नहीं है, पर यूएई के साथ सीईपीए भारतीय निर्यातों, विशेष रूप से कृषि एवं मांस तथा समुद्री उत्पादों सहित प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों, रत्न एवं आभूषण, अपैरल तथा कपड़े, चमड़ा तथा फुटवियर एवं इंजीनियरिंग, जैविक रसायन, प्लास्ट्क्सि, कागज एवं कागज के उत्पाद, लोहा एवं इस्पात, बिजली तथा इलेक्ट्रोनिक वस्तुएं, ऑटोमोबाइल तथा ऑटो कंपोनेंट और फार्मास्यूटिकल्स जैसे अन्य सेक्टरों जैसे श्रम केंद्रित क्षेत्रों के लिए अत्यधिक लाभदायक साबित होगा। बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीयों के रहने के कारण, यूएई में बड़ी मात्रा में भारतीय अनाजों, फलों तथा सब्जियों, चाय, मसालों, चीनी आदि का उपभोग होता है। भारतीय कंपनियां यात्रा एवं पर्यटन, माल ढुलाई, आईटी एवं आईटीईएस जैसी सेवाओं तथा निर्माण सेवाओं में लाभान्वित होंगी।

फियो अध्यक्ष ने कहा कि एफटीए का परिणाम यूएई में भारतीय निर्यात में अत्यधिक वृद्धि के रूप में सामने आएगा तथा यह अन्य जीसीसी देशों के लिए भी बाजार खोलेगी क्योंकि जीसीसी देश भी वैसे ही तकनीकी मानदंडों का अनुसरण करते हैं जो यूएई पर लागू होते हैं और इस प्रकार यह जीसीसी बाजार में भारतीय वस्तुओं के लिए अत्यधिक बाजार पहुंच का रास्ता प्रशस्त करेगा। इसका उपयोग जीसीसी देशों के साथ समान प्रकार के समझौते करने के आधार के रूप में भी किया जा सकता है।

 यूएई एक पुनर्वितरण केंद्र तथा एक वित्तीय हब भी है। अफ्रीका को होने वाले निर्यात का रास्ता दुर्ब होकर ही जाता है। एफटीए होने से अफ्रीका को होने वाले निर्यात के लिए यूएई में वेयरहाउसिंग/वितरण केंद्रों की स्थापना को प्रात्साहन मिलेगा। डॉ. शक्तिवेल ने कहाकि काफी अफ्रीकी खरीदार दुबई आते हैं तथा वहीं ऑर्डर भी देते हैं और इस प्रकार यूएई में भारतीय वस्तुओं का प्रदर्शन अफ्रीकी महादेश में हमारी वस्तुओं तथा सेवाओं के विपणन के लिए एक बहुत अच्छी रणनीति हो सकती है। दुबई में  इंडिया मार्टकी स्थापना के प्रस्ताव से इस उद्वेश्य को और सहायता मिलेगी। फियो प्रमुख ने कहा कि सीईपीए अवसंरचना के विभिन्न पहलुओं तथा पीएलआई स्कीम के तहत चिन्हित कुछ सेक्टरों में भी यूएई के सॉवरेन फंडों के जरिये निवेश को सुगम बनाएगा। उन्होंने विचार व्यक्त किया कि यूएई कंपनियों को भारत में उत्पादन करने तथा शुल्क मुक्त पहुंच के साथ भारतीय एवं यूएई दोनों ही बाजारों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

 


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