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IVF तकनीक का सक्सेस रेट 50 से 60 प्रतिशत



 04/Apr/22

80 हज़ार से 1 लाख में होता है पूरा इलाज़ : डॉ.प्रज्ञा पाण्डेय

प्रज्ञा IVF सेन्टर, रश्मिनगर,लंका, वाराणसी

कहते है कि एक स्त्री की सम्पूर्णता उसे मां बनने पर प्राप्त होती है। मातृत्व ईश्वर द्वारा नारी को दिया गया वरदान है। आज हमारे समाज में ऐसी महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। जिन्हें कुछ शारीरिक जटिलताओं के कारण मातृत्व सुख से वंचित होना पड़ता है । ऐसे जोड़ों के लिये चिकित्सा विज्ञान में एक उम्मीद की किरण है, IVF तकनीक द्वारा गर्भ धारण । इस विषय पर क्लाउन टाइम्स रिपोर्टर दिनेश मिश्र ने सीधी बात की वाराणसी के रश्मिनगर, लंका स्थित प्रज्ञा IVF सेन्टर की डॉ.प्रज्ञा पाण्डेय से डॉ.प्रज्ञा पाण्डेय ने बताया कि आईवीएफ का मतलब है। इन विट्रो फर्टिलाइजेशन । आईवीएफ की जरूरत उन महिलाओं को पड़ती है जिनकी उम्र ज्यादा है या जिनके बाईलेटरल ट्यूब ब्लॉक हैं या किसी कारण से अंडे बनने में कमी हो गई है या अंडे बिल्कुल नहीं बन रहे हैं या फिर सारे इलाज के बाद भी 8-10 साल से प्रेगनेंसी कंसीव नहीं कर पा रही हैं। ऐसी महिलाओं में आईवीएफ सजेस्ट किया जाता है।

आईवीएफ का तरीका : डॉ.प्रज्ञा पाण्डेय ने बताया कि इंजेक्शंस के द्वारा मदर के एक एग को स्टिम्युलेट करके लैब में हस्बैंड के सीमेन से फर्टिलाइज करके उसे इंक्यूबेटर में कल्चर कराया जाता है । कल्चर करके जब एंब्रियो तैयार हो जाते हैं तो मदर के यूटेरस में ट्रांसफर किया जाता है, इस पूरी प्रक्रिया को आईवीएफ कहा जाता है।

संभावित कॉम्प्लिकेशन

डॉ.प्रज्ञा पाण्डेय ने आगे बताया कि पहले कन्वेंशनल तरीकों से आईवीएफ की प्रक्रिया पूरी करने के दौरान कई जटिलताएं देखने में आती थी जैसे ओवेरियन हाइपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम। आज आधुनिक तरीकों से आईवीएफ की प्रक्रिया पूरी की जाती है, जिसमें कॉम्प्लिकेशन का रेट नहीं के बराबर है और यह प्रक्रिया काफी उत्साहहजनक है। खर्च एवं समय डॉ.प्रज्ञा पाण्डेय ने आगे बताया कि कुछ महंगे इंजेक्शन, दवाएं,कल्चर मीडिया कुल मिलाकर लगभग 80000 से 100000 तक का खर्च पूरी प्रक्रिया में आता है और पूरी प्रक्रिया में लगभग 6 महीने का समय लग जाता है।

सफलता की दर : डॉ.प्रज्ञा ने बताया कि लगभग 50 से 60% मरीज इस तकनीक द्वारा सफलता से गर्भ धारण कर रही हैं। उन्होंने बताया कि आईसीएसआई या इक्सी आईवीएफ की एक एडवांस तकनीक है इसका मतलब है इंटरासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन। जहां मेल इनफर्टिलिटी है वहां यह प्रक्रिया उपयोग में लाई जाती है और इस प्रक्रिया का परिणाम बहुत ही अच्छा आता है। IVF में मां और पिता के ही अंडे एवं शुक्राणुओं का प्रयोग होता है या डोनर के? इस सवाल पर डॉ प्रज्ञा पाण्डेय ने क्लाउन टाइम्स को बताया कि यदि पेशेंट के एग अच्छी क्वालिटी और मात्रा में बन रहे हैं और स्पर्म में भी अगर कोई दिक्कत है तो पीसा, मीसा तकनीक का उपयोग करके उनकी कोशिश रहती है कि वह जोड़ों को जेनेटिक बच्चे ही दें। यदि स्पर्म प्रोडक्शन नहीं हो रहा है या एग नहीं बन रहे हैं ऐसी स्थिति में पेशेंट को यह बातें एक्सप्लेन की जाती हैं और उनकी सहमति से डोनर के एग या स्पर्म को यूज किया जाता है।

 


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