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हड्डी की बीमारी में न बनें खुद से डॉक्टर : डॉ. अजीत सैगल



 12/Apr/22

भारत स्किल्ड डॉक्टरर्स से ज्यादा सलाहकार डॉक्टर हर गली-नुक्कड़ चौराहे व दुकान पर उपलब्ध हैं जिनके पास हर बीमारी के लिये सलाह उपलब्ध रहती है। इसी प्रकार दुकानों पर कई प्रकार की दवायें जो की किसी भी डॉक्टर द्वारा प्रमाणित नहीं होती उपलब्ध रहती हैं। और आम जनता स्किल्ड डॉक्टरर्स के पास न जाकर सलाहकार डॉक्टरों की सलाह लेता है या उपलब्ध दवाओं का सहारा। जैसे हड्डी के रोग से संबंधित अगर कोई परेशानी है तो बाजार में उपलब्ध किसी भी तेल या बाम का प्रयोग आम बात है। जिससे फौरी तौर पे लाभ हो सकता है लेकिन आगे चलकर वही बीमारी वीभत्स रूप ले सकती है जिससे शारीरिक समस्या तो बढ़ती ही है साथ ही धन की हानि भी उठानी पड़ती है।

क्लाउन टाइम्स ने इन्हीं कुछ बातों को लेकर हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. अजीत सैगल से खास बातचीत की जिसमें उन्होंने बताया कि आम तौर पर हड्डी से जुड़ी समस्या में कमर का दर्द व घुटने की गठिया ज्यादा परेशान करती है। महिलाओं में यह समस्या चालीस वर्ष के बाद या यूं कहा जाये मैनोपॉज के बाद ज्यादातर देखी जाती है और पुरूषों में पचास वर्ष के बाद यह समस्या देखी जाती है। महिलाओं में मैनोपॉज के बाद हारमोन की गड़बड़ी के चलते यह समस्या बढ़ जाती है। गठिया रोग, हड्डी के टेढ़ेपन व सूजन के बारे में उनका कहना है कि दवाओं से आराम तो अवश्य मिलता है लेकिन खुद से डॉक्टर न बनकर स्पेशलिस्ट डॉक्टर से सलाह लेकर ही दवाओं का उपयोग करना चाहिये।

ऑर्थोराइटिस को लेकर उन्होंने कहा कि लोगों में भ्रम की स्थिति रहती है जोड़ों में चिकनाहट यानि क्लाटलेस के डैमेज होने या टायफाइड, टीबी या कोई और इनफेक्शन की वजह से भी आर्थोटीजिया हो सकता है। कैल्शियम की कमी से ऑस्टियोपोरोसिस की शिकायत हो सकती है जिससे कमर में दर्द, घुटनों में दर्द, सीढ़ी चढ़ने में परेशानी होना जैसी समस्यायें होती हैं। सही डॉक्टरी सलाह से इससे निदान पाया जा सकता है। स्कॉलियोसिस के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इसके लक्षण जल्दी पता नहीं चलते जबकि यह बीमारी बचपन से ही घर कर सकती है जिसमें दर्द का आभास नहीं होता है। आगे चलकर ध्यान देने से रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन महसूस होता है लेकिन इसका भी सर्जरी द्वारा ईलाज किया जा सकता है।

हड्डी टूटने को लेकर उन्होंने बताया कि एक नई तकनीक मीपो टेक्निक आई है, जिससे हिमेटोमा को नुकसान नहीं पहुंचता जिससे हड्डी को जोड़ना आसान हो गया है। ऑस्टियो ऑर्थराइटिस के बारे में बताते हुए कहा कि इसमें घुटने टेढ़े हो जाते हैं साथ ही उन्‍होंने बताया कि उन्‍होंने एक नई प्लेट डिजाईन की है जिसको राजकोट की कम्पनी नेबुला बनाती है जो बाजार में डॉ. सैगल एचटीओ के नाम से उपलब्ध है।


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