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चंदौली सीट पर सपा से मोती लाल कुशवाहा हो सकते हैं प्रत्याशी

दिनेश मिश्रा

 23/Feb/19

सपा-बसपा गठबंधन में चंदौली की सीट सपा कोटे में गयी है, ऐसे में राजनीति के कई धुरंधरों ने सपा के राष्ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव से लेकर शीर्ष नेतृत्‍व के झंडाबरदार नेताओं के आगे पीछे अपने टिकट की दावेदारी के लिए चक्‍कर लगाने लगे हैं। हर दावेदार को यही लग रहा है कि उनका टिकट भी पक्‍का है और वे अगले सांसद होने वाले हैं। यह तो आने वाला समय बतायेगा कि किसे टिकट मिलेगा और किसके भाग्‍य में सांसद बनने का सपना साकार होने वाला है। फिलहाल चंदौली की सीट पर भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष डा. महेन्‍द्र नाथ पाण्‍डेय का कब्‍जा है। 

सपा-बसपा गठबंधन में सपा कोटे में मिली चंदौली सीट पर मोती लाल कुशवाहा शास्त्री ने अपनी दावेदारी पेश कर दिया है और उन्‍हें भरोसा है कि उनका टिकट भी पक्‍का होगा और वे भाजपा को कड़ी टक्‍कर देगें।

क्‍लाउन टाइम्‍स से एक अनौपचारिक बातचीत में श्री कुशवाहा ने कहा कि चंदौली लोकसभा सीट पर सपा अपने नए दोस्त राष्ट्रीय समानता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व अखिल भारतीय कुशवाहा महासभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मोती लाल कुशवाहा को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय के खिलाफ चुनावी रणभूमि में उतार सकती है।

चंदौली लोक सभा क्षेत्र में क़रीब डेढ़ लाख से अधिक कुशवाहा मतदाता है। मोती लाल कुशवाहा समाज के बड़े नेता माने जाते है। यदि वे सपा- बसपा गठबंधन के साथ आते है तो इसका बड़ा असर उतर प्रदेश और मध्य प्रदेश की राजनीति पर पड़ेगा।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पिछले 19 फरवरी को लखनऊ में राष्ट्रीय समानता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोती लाल कुशवाहा की मुलाक़ात समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से हुई जिसमे गठबंधन व चंदौली लोकसभा क्षेत्र से उन्‍हें सपा का टिकट देने की चर्चा हुई है । माना जा रहा है कि ये दाँव समाजवादी पार्टी को और मजबूत करेगा। अगर पूर्वी यूपी की इस सीट पर सपा कुशवाहा वोट को साधने में सफल रही तो सपा- बसपा गठबंधन बीजेपी को कड़ी चुनौती दे सकता है।

दरअसल, 2014 लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा दोनों का वोट मिलकर भी भाजपा के बराबर नहीं था, ऐसे में अगर चंदौली से कुशवाहा प्रत्याशी आता है तो निश्चित रुप इसका बड़ा फर्क पड़ेगा।

ज्ञात हो कि फूलपुर उपचुनाव में भी कुशवाहा समुदाय ने समाजवादी पार्टी का खुलकर सहयोग किया था जिससे सपा को इस सीट पर सफलता मिली थी।

अगर श्री मोती लाल की माने तो यदि उन्‍हें गठबंधन का प्रत्याशी बनाया जायेगा तो केशव प्रसाद मौर्य और स्वामीप्रसाद मौर्य के असर को भी कम किया जा सकता है।

बताते चलें कि कुशवाहा परिवार का वाराणसी के राजनीति में अच्‍छी दखल है। इनका बड़ा बेटा कुँवर विरेंद्र वाराणसी में ज़िला पंचायत सदस्य है|


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