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भारत सरकार को प्रईवेट स्कूलों पर नकेल कसने की जगह शिक्षा बजट बढ़ाना चाहिए बी.आर.मेहदी बख्त

संजय कुमार मिश्र

 16/Apr/19

वाराणसी में चंद स्कूल ही ऐसे है जो सीबीएसई बोर्ड द्वारा संचालित है । बाल भारतीय इंग्लिश स्कूल उन्हीं चंद स्कूलों में से एक है । केंद्र में सत्ता परिवर्तन के साथ ही उम्मीद जगी थी कि देश में शिक्षा का अधिकार सभी को उपलब्ध होगा साथ ही शिक्षा के गुणवत्तता में भी सुधार होगा । पर ऐसा बीते  पांच सालों में होता नहीं दिखा अगर कुछ दिखा तो प्राईवेट स्कूलों पर सरकारी आदेश के तहत कई नीयमों का पालन करने के लिए बाध्य होना रहा । 
इस विषय पर जब वाराणसी के बाल भारतीय इग्लिश स्कूल के प्रधानाचार्य बी.आर.मेहदी बख्त से एक अनौपचारिक बात-चीत में सरकार द्वारा प्राइवेट स्कूलों पर नकेल कसने के बाबत पूछा तो उन्होंने कहा कि सरकार ने प्राइवेट स्कूलों के लिए कुछ दिशा निर्देश तय किए है जिसपर मैं कोई टिप्पणीं नहीं करना चाहता पर सरकार अगर प्राइवेट स्कूलों पर नकेल कसने की जगह शिक्षा बजट में बढ़ोत्तरी कर नए स्कूल खोले तो स्वत: प्राइवेट स्कूलों पर अंकुश लग जाएगा। 

पर दुखद है कि आजाद भारत में विश्व के अन्य विकसित देशों की तुलना में शिक्षा पर सबसे कम धन का बजट में प्रावधान किया जाता है ।

 


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