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महाराजा अग्रसेन जी की मनाई गई जयन्‍ती



 26/Sep/22

श्री श्री 1008 महाराज अग्रसेन जी के जयन्ती के पावन अवसर पर संकल्प संस्था के तत्वावधान में संस्था के सदस्यों एवं अग्रबन्धुओं ने श्री अग्रसेन वाटिका, मैदागिन स्थित श्री श्री 1008 महाराज अग्रसेन जी के प्रतिमा पर माल्यापर्ण एवं पुष्पांजली अर्पित किया। इस अवसर पर संकल्प संस्था के संरक्षक अनिल कुमार जैन ने सभी को श्री महाराज अग्रसेन जयन्ती की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि परम पूज्य महाराजा अग्रसेन जी को समाजवाद का अग्रदूत कहा जाता है। अपने क्षेत्र में सच्चे समाजवाद की स्थापना हेतु उन्होंने नियम बनाया कि उनके नगर में बाहर से आकर बसने वाले प्रत्येक परिवार की सहायता के लिए नगर का प्रत्येक परिवार उसे ‘‘एक रूपया व एक ईंट’’ देगा, जिससे आसानी से नवागन्तुक परिवार स्वयं के लिए निवास स्थान व व्यापार का प्रबंध कर सके। महाराजा अग्रसेन ने तंत्रीय शासन प्रणाली के प्रतिकार में एक नई व्यवस्था को जन्म दिया, उन्होंने पुनः वैदिक सनातन आर्य सस्कृंति की मूल मान्यताओं को लागू कर राज्य की पुनर्गठन में कृषि-व्यापार, उद्योग, गौपालन के विकास के साथ-साथ नैतिक मूल्यों की पुनः प्रतिष्ठा का बीड़ा उठाया। इस तरह महाराज अग्रसेन के राजकाल में अग्रोदय गणराज्य ने दिन दूनी-रात चौगुनी तरक्की की। कहते हैं कि इसकी चरम समृद्धि के समय वहां लाखों व्यापारी रहा करते थे। वहां आने वाले नवागत परिवार को राज्य में बसने वाले परिवार सहायता के तौर पर एक रुपया और एक ईंट भेंट करते थे, इस तरह उस नवागत को लाखों रुपये और ईंटें अपने को स्थापित करने हेतु प्राप्त हो जाती थीं जिससे वह चिंता रहित हो अपना व्यापार शुरू कर लेता था। मानवता की भलाई के लिए अब महाराजा अग्रसेन के एक ईंट, एक सिद्धांतको समयानुकूल आगे बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि जरूरतमंद अपने पांव पर खड़े हो सकें।
उन्होने कहा कि महाराजा अग्रसेन ने जीवन में कर्म को प्रधानता दी। उनका मानना था कि परिश्रम द्वारा सम्पन्न व्यक्ति ही अपने परिवार, समाज, देश एवं मानवता का भला कर सकता है और उत्पादन द्वारा ही हम रोजगार के साधन पैदा कर सकते हैं व रोजगार ही देश की समृद्धि का कारण होता है। सम्पूर्ण समाज का आह्वान करते हुए उन्होंने अपनी मेहनत के बल पर अपना मार्ग-प्रशस्त करने का संदेश दिया व समाज के कमजोर एवं जरूरतमंद परिवारों को साथ लेकर चलने का पाठ पढ़ाया। उनका विश्वास था कि उत्पादन द्वारा ही रोजगार के साधन पैदा किए जा सकते हैं और रोजगार से ही देश की समृद्धि हो सकती है। महाराजा अग्रसेन ने जो पौधारोपण किया वह आज ‘‘अग्रवाल समाज’’ के रूप में वटवृक्ष बन चुका है। महाराजा अग्रसेन ने जीवन में कर्म को प्रधानता दी। आज भी इतिहास में महाराज अग्रसेन परम प्रतापी, धार्मिक, सहिष्णु, समाजवाद के प्रेरक महापुरुष के रूप में उल्लेखित हैं। देश में जगह-जगह अस्पताल, स्कूल, बावड़ी, धर्मशालाएँ आदि अग्रसेन के जीवन मूल्यों का आधार हैं और ये जीवन मूल्य मानव आस्था के प्रतीक हैं। महाराजा अग्रसेन जी द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्तों का अनुसरण करके ही समाज में नैतिक मूल्यों के पुनरोत्थान की दिशा मे सार्थक प्रयास ही आज की आवश्यकता है। जिसके द्वारा हम एक सशक्त समाज के निर्माण मे अपना योगदान दे पायेंगें।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से रमेशचंद अग्रवाल, अनिल धम्मावत, संतोष जी (आढ़त वाले), हरेकृष्ण अग्रवाल, हेमंत अग्रवाल, पंकज अग्रवाल (एलआईसी), आलोक जैन आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।


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