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अशोक वर्मा ने पीएनयू की जिती कानूनी जंग, सचिव समेत कई निष्कासित



 06/May/19

वाराणसी। पुराने प्रतिष्ठित क्लबों में समय के साथ-साथ कई बदलाव देखने को मिले जिसमें सबसे ज्यादा बदलाव आर्थिक स्तर पर देखने को मिला। समय के साथ-साथ क्लबों की आय बढ़ी तो सरोकार घटते चले गए। चाहे बनारस क्लब की बात हो, चाहे पीएनयू क्लब की, या फिर काशी पत्रकार संघ की बात हो। समय के साथ-साथ इनमें भी बदलाव आया और धन की अधिकता ने सरोकार को छोड़ कर इन क्लबों की गतिविधि अर्थ आधारित कर दिया। गुड़ होगी तो मख्खी आएगी ही ! और यहीं हुआ आज सभी क्लबों में धन के आकर्षण के कारण ये अपने काम से कम अर्थ घोटाले के कारण ज्यादा खबरों में रहते है। अर्थलाभ ने फिलहाल इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा में पीएनयू क्लब को रखा है। पीएनयू क्लब में इसकी शुरुआत लगभग दो वर्ष पूर्व से हुई जब रेंन डांस के दौरान गोली चली फिर शह और मात के खेल में कई सदस्यों, संरक्षक पर निष्कासन और अदालत में मुकदमों का दौर प्रारंभ हुआ। सूत्रों की मानें तो अपराध संगठन से जुड़े लोगों का पीएनयू क्लब पर अधिपत्य बढ़ता चला गया और इसी के साथ क्लब आर्थिक लूट व ऐशगाह के रूप में ख्याति अर्जित कर चर्चा में रहने लगा। ताजा विवाद में एक ही पैनल से चुनाव जीतने वाले अध्यक्ष अशोक वर्मा और सचिव डॉ. रितेश जायसवाल है। पिछले 7 महिनों से चल रहा विवाद के बाद नया मोड़ आ गया है। संबंधित अधिकारी सहायक निबंधनक फम्स सोसाइटी एवं चिट्स का निर्णय 30 अप्रैल 2019 को आया‍ जिसमें निबन्धन ने वर्तमान अध्यक्ष अशोक वर्मा को ही अध्यक्ष मानते हुए उनके निष्कासन की कार्रवाई को पूरी तरह से अवैध व नियम विरुद्ध मानते हुए निरस्त कर दिया व सचिव द्वारा 5 अक्टूबर 2018 को क्लब के अध्यक्ष अशोक वर्मा के प्रवेश पर लगायी गयी रोक को भी अवैध व गैर कानूनी बताया तथा प्रबंध समिति द्वारा पूर्व सचिव डॉ रितेश जायसवाल व मो. असलम के निष्कासन की कार्यवाही को वैध ठहराते हुए उनके निष्कासन की पुष्टि की।

शनिवार को सेंट्रल जेल रोड स्थित होटल जेड इन में आयोजित प्रेसवार्ता में क्लब के अध्यक्ष अशोक वर्मा ने कहा कि पूर्व सचिव डॉ. रितेश जायसवाल द्वारा दाखिल की गई साधारण सभा की कार्यवाहीयों को फर्जी व संदिग्ध मानते हुए आदेश में कहा कि डॉ. रितेश जायसवाल को कई बार मौका देने के बावजूद उन्होंने कोई ठोस, साक्ष्य व मूल दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया। उन्होंने बताया कि इस सम्बंध में क्लब के सैकड़ों सदस्यों ने हलफनामा देकर यह बताया कि डॉ. रितेश जायसवाल द्वारा तथाकथित दिखाई गयी मीटिंग की कार्यवाही फर्जी हैं और वो ऐसे किसी मिटिंग में उपस्थित नहीं थे। इस संबंध में अध्यक्ष अशोक वर्मा द्वारा थाना कैंट में एफआईआर संख्या 0427/ 2019 धारा 429, 420, 467, 468, 457,471,504, 506 के तहत डॉ. रितेश जायसवाल, मनोज महेश्वरी व संजय खरे के खिलाफ दर्ज करायी गयी है। जिसकी विवेचना चल रही है। अशोक वर्मा द्वारा बताया गया कि निष्कासित डॉ. रितेश जायसवाल व फर्जी रूप से अध्यक्ष बने मनोज माहेश्वरी द्वारा पिछले दिनों कई सम्मानित सदस्यों को अपमानित करते हुए अवैध रूप से क्लब से निष्कासित किया गया है। उन सभी का निष्कासन निरस्त किया जाएगा एवं क्लब में फिर से परिवारिक माहौल कायम किया जाएगा तथा क्लब की गरिमा से खिलवाड़ करने वाले व क्लब में आतंक फैलाने वाले सदस्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सहायक निबंधक ने क्लब के मैनेजर संजय खरे द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका के आदेश पर धारा 24 के अंतर्गत वित्तीय गड़बड़ियों की जांच भी की। जिसमें सुनवाई के उपरांत संजय खरे द्वारा कोई साक्ष्य नहीं दिया गया व खुद के खिलाफ चोरी की एफआईआर दर्ज हो जाने पर दुर्भावना से ग्रसित होकर झूठी शिकायत की गई जिसे जांच के उपरांत निरस्त कर दिया गया।

यथावत कायम रहेगी अशोक वर्मा की सदस्यता सहायक निबंधक द्वारा अपने आदेश में कहा गया कि अशोक वर्मा की सदस्यता यथावत कायम है वे अध्यक्ष पद पर बने रहने के विधिक अधिकारी हैं। अशोक वर्मा की अध्यक्षता में प्रबंध समिति संख्या के कार्यों को आगे करने हेतु विधिक रुप से अधिकारी है व चुनी हुई प्रबंध समिति संस्था हेतु कार्य करने हेतु विधिमान्य रहेगी।


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