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निर्यात में निरंतर वृद्धि होना एक अच्छा संकेत : डॉ. ए शक्तिवेल, अध्यक्ष, फियो



 15/Oct/22

सितंबर, 2022 के व्यापार आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए फियो के अध्यक्ष डॉ. ए शक्तिवेल ने कहा कि सितंबर में वस्तुओं के निर्यात में और बढ़ोतरी दर्ज की गई है जो कि निरंतर वृद्धि दर्शा रहे पेट्रोलियम उत्पादों, इलेक्ट्रॉनिक सामान, रत्न व आभूषण, दवाओं व फार्मास्यूटिकल्स, कार्बनिक एवं अकार्बनिक रसायनों और कृषि उत्पादों सहित 17 प्रमुख उत्पाद निर्यात श्रेणियों के सहारे ही संभव हो पाई है। रत्न एवं आभूषण और पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में वृद्धि के अलावा इलेक्ट्रॉनिक सामान के निर्यात में निरंतर वृद्धि होना एक अच्छा संकेत है। फियो के अध्यक्ष ने कहा, हालांकि फिलहाल कुछ भी अनुमान व्यक्त करना जल्दबाजी होगी। वैसे तो हमें इस तथ्य से संतुष्‍ट होकर नहीं बैठ जाना चाहिए कि अधिकतर अर्थव्यवस्थाओं या देशों के निर्यात में गिरावट दर्ज की जा रही है, लेकिन यह एक कटु वास्तविकता है। फियो के अध्यक्ष ने कहा कि यदि भू-राजनीतिक हालात काफी हद तक नहीं सुधर जाते हैं, तो आने वाले कुछ महीने काफी चुनौतीपूर्ण होंगे। हालांकि, कोयले और परिवहन उपकरणों के आयात में भारी उछाल के बावजूद कुल आयात में गिरावट दर्ज किया जाना निश्चित रूप से उत्साहजनक है। फियो के प्रमुख ने कहा कि हमें उम्मीद है कि ऊर्जा की कीमतों में अभी और कमी आएगी जिससे हमें व्यापार घाटे के मोर्चे पर और भी अधिक राहत मिलेगी।

डॉ. शक्तिवेल ने कहा कि मौजूदा स्थिति में निर्यात क्षेत्र को प्रतिस्पर्धी लागत या ब्‍याज दरों पर तरलता मुहैया कराने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, अत: ऐसे में आरबीआई बैंकों में निर्यात ऋण पुनर्वित्त सुविधा खोलने पर विचार कर सकता है, ताकि उन्हें रेपो रेट पर आरबीआई से प्राप्‍त पुनर्वित्त के जरिए निर्यात क्षेत्र को उधार देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। चूंकि ब्याज दरें बढ़ गई हैं और अब वे कोविड पूर्व स्तर से भी अधिक हो गई हैं, इसलिए ब्याज समानीकरण सहायता या सब्सिडी को क्रमशः 5% और 3% पर बहाल करना आवश्‍यक हो गया है, जैसा कि कोविड काल से पहले लागू थी। इसके अलावा, सरकार को निर्यात संबंधी माल भाड़े पर आईजीएसटी छूट जारी रखने के निर्यात क्षेत्र के अनुरोध पर गौर करना चाहिए जिसकी अवधि 30 सितंबर, 2022 को समाप्त हो गई। ऐसा विशेषकर इसलिए किया जाना चाहिए क्‍योंकि माल ढुलाई दरें अब भी बेहद ज्‍यादा हैं और इस तरह के माल भाड़े पर जीएसटी लगने से निर्यातकों के पास तरलता या नकदी प्रवाह बुरी तरह प्रभावित होगा। हालांकि, बाद में इसकी वापसी हो जाएगी।


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