पिछले दो दशक से अधिक समय से आज अखबार में महज कुछ हजार रुपये वेतन में नौकरी कर रहे संघ के वर्तमान अध्यक्ष सुभाष सिंह अपने हक की लड़ाई लड़ने में खुद को असहाय महसूस करते हुए ऐसे में अन्य पत्रकार साथियों की लड़ाई कैसे लड़ेंगे। बावजूद इसके संघ के महामंत्री स्व घोषित डॉ. अत्रि भारद्वाज, पूर्व अध्यक्ष प्रदीप कुमार, पूर्व अध्यक्ष विकास पाठक, पूर्व अध्यक्ष के अतिरिक्त रमेश राय जगधारी, असद कमाल लारी, मनोज श्रीवस्त्व सभी लोग एकसाथ समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन के मंत्री अजय मुखर्जी के पीछे खड़े हैं। मजे की बात है कि भले ही बनारस में पत्रकारों के हक और हुकूक की लड़ाई के लिए कभी भी दो दर्जन पत्रकारों को एकसाथ खड़ा कर पाना मुश्किल होता है, ऐसे में आन्दोलन की रूप रेखा के लिए पूर्वांचल सम्मेलन के माध्यम से एकजुट होकर सड़क से लेकर न्यायालय तक संघर्ष करने का निर्णय लिया गया है।
इलेक्ट्रानिक मीडिया और पोर्टल के पत्रकार भी शामिल हो मजीठिया में : अजय मुखर्जी
सपकयू मंत्री अजय मुखर्जी ने क्लाउन टाइम्स को बताया कि मजीठिया की बैठक को लेकर मैंने पत्रकार संघ में पत्रकारों को बुलाया था। जिसमें शामिल होने वालों में राजेन्द्र रंगगप्पा, शैलेश चौरसिया, विनय सिंह, संजय सेठ, चन्दन रूपानी, लक्ष्मीकान्त द्विवेदी, बाबूलाल, अरविन्द मिश्र, विनोद शर्मा आदि उपस्थित रहे। श्री मुखर्जी ने कहा कि इलेक्ट्रानिक मीडिया के लोगों को पत्रकार न मानते हुए उन्हें मजीठिया वेस बोर्ड में शामिल नहीं किया गया, इसलिए उन्हें भी इसका हक मिले इसके लिए अलग से लड़ाई लड़ी जायेगी। अबतक दैनिक जागरण, आज, अमर उजाला, हिन्दुस्तान, राष्ट्रीय सहारा, गांडीव आदि समाचार पत्रों में पत्रकार हितों के लिए अजय मुखर्जी ने एकला चलो की तर्ज पर लम्बी लड़ाई लड़ी और लाखों का फायदा कराया। इस लड़ाई में जो पत्रकार साथी आगे आये वे सदा के लिए अखबारों से निकाले गये वही इनके साथ सड़क से लेकर न्यायालय तक लड़ेंगे। श्री मुखर्जी ने बताया कि केवल बनारस में 170 मुकदमे श्रम कार्यालय व श्रम न्यायालय में लंबित पड़े हैं। काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष की कुर्सी पाने के चक्कर में नौकरी से निकाले गये योगेश कुमार गुप्ता इन दिनों दर-बदर भटकते हुए लम्बा संघर्ष तय करने के बाद वाराणसी से कई सौ किलोमीटर दूर एक पोर्टल में नौकरी कर रहे हैं , जिन्हें श्री मुखर्जी ने अपने संगठन में अध्यक्ष पद देकर उन्हें थोड़ी राहत दी है। अब उनकी रोजी-रोटी पक्की हो जाये इसलिए बनारस से न्यूज पोर्टल में काम करने वाले पत्रकारों को भी न्यूनतम वेतन दिलाने के लिए संघर्ष का ऐलान किया है। श्री मुखर्जी के ऐलान की सूचना अगर पोर्टर वाले मालिक को चली गई तो हो सकता है कि वहां से भी श्री योगेश को रुखसत होना पड़ सकता है। फिर भी पत्रकार हितों के लिए किसी न किसी साथी को आगे तो आना ही होगा।
यहां इस बात का जिक्र करना जरूरी है कि पिछले दिनों सदस्यता के सवाल पर लगभग 130 से अधिक पत्रकारों ने संघ के वर्तमान अध्यक्ष श्री सुभाष तथा उनके पदाधिकारियों खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने कि पहल पर जितेन्द्र श्रीवास्तव के हस्ताक्षर अभियान में उनका साथ दिया। वे न जाने किस डर से इतनी महत्वपूर्ण बैठक में शामिल क्यों नहीं हुए , जबकि श्री सुभाष आज की नौकरी करते हुए सबसे आगे खड़े हैं। श्री मुखर्जी ने बताया कि सहारा में सेवा के दौरान मनोज श्रीवास्तव ने अपने ही समाचार पत्र के खिलाफ मुकदमा करके साहस का परिचय दिया है, आज उन्हें भी संस्थान से निकाल दिया, यूनियन उनकी भी लड़ाई मजबूती से लड़ रहा है।
श्री मुखर्जी ने बताया कि मजीठिया वेस बोर्ड के अनुरूप वेतन पाने के लिए पत्रकार साथियों को आगे आना होगा वरना उन्हें इसका लाभ नहीं मिलेगा। समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन सभी के हक और हुकुक की लड़ाई के लिए आगे रहेंगी।
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