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काशी तमिल संगमम एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को करेगा साकार : धर्मेन्द्र प्रधान



 18/Nov/22

एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को साकार करने का उद्देश्य लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित काशी तमिल संगमम कार्यक्रम की तैयारियों का जायजा लेने वाराणसी पहुंचे केंद्रीय शिक्षा मंत्री और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान आज तमिल साहित्य के महान कवि सुब्रमण्यम भारती के कर्म स्थल हनुमान घाट पहुंचे जहां उन्होंने सर्वप्रथम सुब्रमण्यम भारती जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया तत्पश्चात उनके भांजे के.वी.कृष्णन सहित उनके परिवार से मिले और उन्हें काशी तमिल संगमम कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। एक माह तक चलने वाले इस काशी तमिल संगमम का उद्घाटन 19 नवम्बर , शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे।

परिवार से मुलाकात के बाद श्री प्रधान ने कहा कि अब तक के सबसे महान तमिल साहित्यकारों में से एक, महाकवि भारती का काशी हनुमान घाट स्थित घर एक ज्ञान केंद्र और पावन तीर्थ है। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय और महिला सशक्तीकरण पर सुब्रमण्यम भारती जी की रचनाएँ आज भी प्रासंगिक हैं। काशी में ही भारती जी का परिचय अध्यात्म और राष्ट्रवाद से हुआ। भारती जी के व्यक्तित्व पर काशी ने गहरा प्रभाव छोड़ा। उन्होंने कहा कि महा​कवि के परिवार में जयंती जी, हेमा जी, रवी जी और संतोष से मिलकर ख़ुशी भी हुई और गर्व भी हुआ। उन्होंने कहा कि महाकवि भारती जी का जीवन, विचार और लेखन हमारी आने वाली पीढ़ियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा।

इस अवसर पर मीडिया से बात करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए दृढ़संकल्पित हैं और एक भारत श्रेष्ठ भारत को मजबूती प्रदान करने के लिए उन्होंने काशी तमिल संगमम कार्यक्रम का आयोजन किया है। इस कार्यक्रम के माध्यम से हमारी संस्कृतियों का मिलन होगा जिससे तमिल-हिन्दी भाषी लोंगो के आपसी संबंध मजबूत होंगे और उनका आपसी जुड़ाव होगा।
         
कामकोटिश्वर मंदिर में दर्शन पूजन कर बटुको संग बिताया समय

हरिश्चंद्र घाट स्थित कामकोटिश्वर मंदिर  में दर्शन पूजन करने के पश्चात केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान बटुको के बीच बैठे और वहाँ के प्रबंधन समिति के लोंगो से आपसी चर्चा की और कहा कि गुरू शिष्य परंपरा पर आधारित यह मठ मंदिर काशी की जान है। आज 21वीं सदी में हमारी परंपराओ को संरक्षित करने के लिए हमारे प्रधानमंत्री ने पुरातन संस्कृति को आधुनिकता के साथ जोड़ा है। काशी तमिल संगमम कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आज तमिलनाडु से दो सौ से अधिक विधार्थी काशी पहुंच रहे हैं जो काशी को देखने समझने और जानने का प्रयास करेंगे और इस कार्यक्रम के माध्यम से साँस्कृतिक विचारो का आदान प्रदान होगा और तमिलनाडु के विधार्थियों के लिए यहां के खान-पान और जीवन-शैली से अवगत होने का यह एक सुनहरा अवसर है।

उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हमारे यहां कुल सत्तर से अधिक बोर्ड हैं लेकिन वेद आधारित शिक्षा के लिए कोई बोर्ड नही था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वेद आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए और इस विधा से जुड़े विधार्थियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए बोर्ड का गठन किया और देश के चारो भागो में स्थित शंकराचार्य पीठ के मार्गदर्शन में वेद विधालय और पंजीकृत प्रतिष्ठान खोले जाएंगे जिससे वेद की शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चो का भविष्य उज्जवल और सुरक्षित होगा।

काशी तमिल संगमम एक महीने तक चलने वाला कार्यक्रम है।काशी तमिल संगमम का उद्देश्य वाराणसी और तमिलनाडु के बीच ज्ञान और प्राचीन सभ्यता, संबंधों के सदियों पुराने बंधन को फिर से खोजना है और संस्कृति का आदान प्रदान करना है। इस कार्यक्रम में तमिल लोग पूरे एक महीने तक काशी में रहकर सभी कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। काशी के लोग तमिलनाडु को एग्जीबिशन में देखेंगे। काशी तमिल संगम भारत के इतिहास में हिंदी एवं तमिल भाषी लोगों के मेल मिलाप को बढ़ावा देने के लिए एक सबसे बड़ा महोत्सव है।
इस अवसर पर क्षेत्रीय अध्यक्ष-महेश चन्द श्रीवास्तव,जिलाध्यक्ष-हंसराज विश्वकर्मा,कैंट विधायक-सौरभ श्रीवास्तव, धर्मेंद्र सिंह,अशोक तिवारी, क्षेत्रीय मीडिया प्रभारी नवरतन राठी,शैलेंद्र मिश्रा,राजेश यादव चल्लु आदि मुख्य रूप से  उपस्थित थे।


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