27 मई’ से गोवा में अष्टम ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’
वाराणसी। अंतिम चरण के लोकसभा चुनाव 19 मई को होने जा रहे हैं । उसके पश्चात सभी का ध्यान इन चुनावों के निर्णय की ओर होगा । केंद्र में नवगठित सरकार हिन्दूहित का विचार करेगी अथवा पाखंडी ‘सेक्युलर’वाद का समर्थन करेगी, यह आनेवाले कुछ ही दिनों में स्पष्ट होगा । मूलत: इंदिरा गांधी ने 1976 में आपातकाल में विपक्ष को कारावास में रखकर, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के मूल संविधान में असंवैधानिक पद्धति से परिवर्तन कर, ‘सेक्युलर’ शब्द जोडा । तब से भारत में ‘सेक्युलर’वाद का उपयोग केवल अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण एवं अपनी मतपेटी सुरक्षित करने के लिए किया गया है । संविधान में सभी नागरिकों को समान अधिकार देने के विषय में स्पष्ट भूमिका होते हुए भी देश में ‘समान नागरिक कानून’ लागू नहीं किया जाता । इसी कारण देश के हिन्दुओं को सम्मान और अधिकार दिलाने के लिए हिन्दू राष्ट्र का संकल्प हिन्दू संगठनों ने किया है ।
सौभाग्य से देश के राजनीतिक दलों को अब बहुसंख्यक हिन्दू समाज का महत्त्व समझ में आने लगा है । ‘सेक्युलर’वादी नेता अब मंदिरों में, हिन्दुओं के कार्यक्रमों में दिखाई देने लगे हैं । इसी दृष्टि से हिन्दू समाज को अपनी शक्ति का बोध कराकर, संगठित रूप से हिन्दू राष्ट्र के सपने को साकार करने हेतु आगे के कार्य की दिशा निश्चित करना भी आवश्यक है । इसके लिए हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से गोवा में इस वर्ष भी 27 मई से 8 जून की के बीच में ‘श्री रामनाथ देवस्थान’, फोंडा, गोवा में ‘अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ आयोजित किया गया है, ऐसी जानकारी हिन्दू जनजागृति समिति के उत्तर एवं पूर्वोत्तर भारत मार्गदर्शक पूज्य नीलेश सिंगबाळजी ने पत्रकार वार्ता में दी । इस पत्रकार वार्ता में ‘इंडिया विथ विसडम’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कमलेशचंद्र त्रिपाठी, ‘नागरिक उत्थान सेवा समिति’ के राष्ट्रीय
पूज्य नीलेश सिंगबाळजी ने आगे कहा, ‘‘गत 7 वर्षों के अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशनों के फलस्वरूप ‘हिन्दू राष्ट्र’ इस संकल्पना के बारे में व्यापक स्तर पर जागृति हुई है । अष्टम अधिवेशन को भारत के 19 राज्यों सहित नेपाल, श्रीलंका एवं बांग्लादेश के 200 से अधिक संगठनों के 800 से अधिक हिन्दुत्वनिष्ठ उपस्थित रहनेवाले हैं ।
केंद्र में नई सरकार की स्थापना के उपरांत कश्मीरी हिन्दुओं का पुनर्वास, समान नागरिक कानून, धारा 370 निरस्त करना, गोवंश हत्या प्रतिबंध, धर्मांतर प्रतिबंध, अयोध्या में श्रीराम मंदिर का पुनर्निर्माण आदि हिन्दुओं की पिछले अनेक वर्षों से प्रलंबित समस्याओं पर विचारमंथन कर सरकार को ठोस भूमिका लेने पर विवश करने की दृष्टि से संगठनात्मक प्रयत्नों की निश्चिति इस अधिवेशन में की जाएगी । साथ ही पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका के हिन्दु ओं की रक्षा करने के संदर्भ में चर्चा की जाएगी ।
‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ के अंतर्गत धर्मप्रेमी अधिवक्ताओं का ‘हिन्दू अधिवक्ता अधिवेशन’ आयोजित किया गया है । यह अधिवेशन 27 और 28 मई को होनेवाला है । साथ ही, प्रथम एक दिवसीय ‘उद्योगपति अधिवेशन’ 28 मई को अधिवेशन के मुख्य स्थल पर आयोजित किया गया है’, ऐसा ‘इंडिया विथ विसडम’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कमलेशचंद्र त्रिपाठी ने बताया ।
‘सोशल मीडिया’ का महत्त्व ध्यान में रखते हुए ‘सोशल मीडिया’ क्षेत्र के धर्मनिष्ठ हिन्दू कार्यकर्ताओं और विचारकों के लिए प्रथम एक दिवसीय ‘सोशल मीडिया कॉन्क्लेव’ का भी आयोजन किया है । यह ‘कॉन्क्लेव’ रविवार, 2 जून को अधिवेशन के मुख्य स्थल पर होगा’, ऐसी जानकारी ‘नागरिक उत्थान सेवा समिति’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता अवनीश राय ने दी ।
हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताओं को विविध अडचनों और समस्याओं का सामना करना पडता है । इस दृष्टि से उनका प्रशिक्षण हो और इस धर्मकार्य में सफलता मिलने के लिए साधना संबंधी मार्गदर्शन देने हेतु ‘हिन्दू राष्ट्र-संगठक प्रशिक्षण और अधिवेशन’ आयोजित किया है । 5 से 8 जून के बीच में यह अधिवेशन होगा, ऐसी जानकारी सनातन संस्था के श्री. गुरुराज प्रभु ने इस समय दी ।
पिछले 7 राष्ट्रीय अधिवेशनों में निश्चित हुए अनुसार वाराणसी तथा उत्तरप्रदेश के अन्य क्षेत्रों में स्थानिक समस्याओं पर अनेक आंदोलन एवं उपक्रम लिए गए । प्रमुखता से देखे, तो प्रयागक्षेत्र में गंगा-यमुना-सरस्वती इन तीन नदियों के संगम पर इस वर्ष के आरंभ में संपन्न हुए कुंभमेले में प्रचार करने के उद्देश्य से हिन्दू जनजागृति समिति, सनातन संस्था व अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने हिन्दू राष्ट्र स्थापना विषयक जनजागृति करनेवाली प्रदर्शनियां लगाईं । इनके माध्यम से लगभग 2 लाख से अधिक श्रद्धालुओं को हिन्दू राष्ट्र स्थापना का विषय समझाया गया । इनमें, 1700 लोगों ने हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य में प्रत्यक्ष सम्मिलित होने की इच्छा व्यक्त की । 200 से अधिक साधु-संत प्रदर्शनीस्थल पर आए और उन्होंने कार्य सफल होने का आशीर्वाद दिया । 50 हिन्दू राष्ट्र-प्रेमी संतों ने कार्य में सहयोग करने का आश्वासन दिया । 8 फरवरी को समान विचारों के संतों और हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के लिए एक दिन का ‘हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ आयोजित किया गया ।
कुंभमेले से पूर्व 21 से 24 नवंबर 2018 के बीच में वाराणसी के आशापुर क्षेत्र स्थित मधुवन लॉन में ‘उत्तर एवं पूर्वोत्तर भारत हिन्दू अधिवेशन’ का आयोजन किया गया, जिसमें 67 हिन्दुत्ववादी संगठन सम्मिलित हुए । उत्तर एवं पूर्वोत्तर भारत के संगठनों के संगठन हेतु यह अधिवेशन यशस्वी रूप से संपन्न हुआ । इस कार्य को अधिक गति देने का प्रयत्न राष्ट्रीय स्तर पर होनेवाले आठवें अधिवेशन में किए जाएंगे ।
इस अधिवेशन में उत्तर प्रदेश के 18 संगठन-वर्ल्ड हिन्दू ऑर्गनाइजेशन, हिन्दू युवा वाहिनी, अखिल भारत ब्राह्मण एकता परिषद, नागरिक उत्थान सेवा समिति, इंडिया विथ विसडम, हिन्दू जागरण मंच, राष्ट्रीय सनातन वाहिनी, सदगुरु सेवा संस्थान, जाबांज हिंदुस्तानी, विश्व हिंदू दल, हिन्दू स्वराज्य पार्टी इत्यादि 18 संगठन एकत्रित आएंगे । ‘हिन्दू फ्रन्ट फॉर जस्टिस’ के अध्यक्ष अधिवक्ता हरि शंकर जैन, वर्ल्ड हिन्दू ऑर्गनाइजेशन के अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री. अजय सिंह इत्यादि मान्यवर सहभागी होगें ।
संपूर्ण विश्व के हिन्दुत्वनिष्ठों के लिए इस ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ का सीधा प्रसारण भी किया जाएगा ।