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काशी पत्रकार संघ ने क्लब के मंत्री रंजीत गुप्ता को निकाला



 30/Jun/17

हिन्दी पत्रकारिता के भीष्म-पितामह संपादकाचार्य स्व. बाबू राव विष्णु पराड़कर की स्मृति में बनाये गये काशी पत्रकार संघ में इन दिनों सदस्यता को लेकर घमासान मचा हुआ है। पिछले कई दशक से जहां विभिन्न मीडिया हाउसों में सक्रिय रूप से कार्यरत पत्रकारों ने या तो सामूहिक रूप से संघ की सदस्या से त्यागपत्र दे दिया है अथवा वे यहां कि ओछी राजनीति से स्वयं को पूरी तरह अलग-थलग कर लिया है। जो यहां कि तीन-तिकड़म की राजनीति में सक्रिय हैं वे या तो किसी अखबार में नहीं है अथवा निकाले गये हैं। इसके अलावा वे पत्रकार साथी चुनाव लड़ते हैं जो अपने ही समाचारपत्र में स्वयं के वजूद की लड़ाई लड़ रहा है।

पूर्व अध्यक्ष बीबी यादव को सुभाष सिंह का जोर का झटका

ऐसे ही संघ के सदस्यों में एक रंजीत गुप्ता जो पिछले कई दशक से ऐसे समाचारपत्र के नाम पर सदस्यता हासिल किये थे, जिनका मालिक स्वयं वित्तीय अनिमियता के चलते वर्षों तिहाड़ जेल में बन्द थे और दोबारा उनके बन्द होने का लक्षण साफ दिख रहा है। उसी समाचारपत्र में श्री रंजीत वर्षों पहले प्रसार विभाग में कार्यरत होते हुए निकाले गये थे। मजे की बात है कि इन्होंने इस सच को छुपाते हुए अबतक संघ में न केवल अपनी सदस्यता बरकरार रखने कामयाब रहे बल्कि क्लब के मंत्री भी बन गये। काशी पत्रकार संघ के इस बार के चुनाव में सुभाष सिंह को बीबी यादव के खिलाफ अध्यक्ष का चुनाव जिताने वाली लाबी ने पहले ही श्री रंजीत जैसे लोगों को निकाल बाहर करने की पूरी रणनीति बना ली थी। संघ की सदस्यता से वैसे तो इस बार आधा दर्जन से अधिक सदस्यों को बाहर का रास्ता दिखाया गया।

रंजित के लिए हस्ताक्षर किया 90 ने और समर्थन 9 का भी नहीं

ऐसे में पिछले कई दशक से झूठ की बुनियाद पर संघ की सदस्यता हासिल करने वाले रंजीत गुप्ता ने अपने समर्थकों बीबी यादव और जितेन्द्र श्रीवास्तव को आगे करके वर्तमान पदाधिकारियों के विरुद्ध 90 लोगों का हस्ताक्षर कराकर अविश्वास प्रस्ताव लाने की मुहिम छेड़ा जिसे सुभाष सिंह ने चुनौती के रूप में स्वीकार किया। सदस्यों की भावनाओं का आदर करते हुए सुभाष सिंह अध्यक्ष के निर्देश पर संघ के महामंत्री कथित डॉ. अत्रि भारद्वाज ने साधारण सभा की बैठक बुलाकर सदस्यता पर अंतिम पैâसला करने के लिए सदस्यों की रायसुमारी कराया। जिसका परिणाम रहा कि क्लब के मंत्री रंजीत  गुप्ता के समर्थन में पूर्व अध्यक्ष बीबी यादव व जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव के समर्थन में जिन 90 पत्रकार साथियों ने हस्ताक्षर किया था उनमें से 9 लोगों ने भी रंजीत को पत्रकार नहीं माना। जहां एक ओर सदस्यता को लेकर संघ में साधारण सदस्यों के द्वारा आधा दर्जन से अधिक निकाले गये सदस्यों के नामों पर बारी-बारी से चर्चा हुई और उन्हें हमेशा के लिए संघ से निकाला गया। वहीं संघ से अपने वजूद को समाप्त होने का अन्तिम फैसला क्लब के मंत्री रंजीत गुप्ता हॉल के बाहर बैठकर असहाय जैसे देखते रहे पर इन्हें बोलने तक का मौका नहीं मिला।

राजेश गुप्ता से मिले रंजीत गुप्ता

संघ के तानाशाही से मरमाहत श्री रंजीत से जब क्लाउन टाइम्स ने उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि राजेश जी के यहां बैठा हूँ वहीं आईये बात होगी। मजे की बात है कि संघ की सदस्यता से बेपरवाह इलेक्ट्रानिक मीडिया के स्तंभ राजेश गुप्ता को भी सदस्यता से वंचित कर संघ के वर्तमान सदस्यों ने पत्रकारिता को शर्मसार किया है। जिस संघ में पिछले कई दशक से रंजीत जैसे लोगों को पाला-पोसा गया और दवा व्यापारी देव कुमार केशरी जिनकी  आय का स्रोत आज भी कबीरचौरा हॉस्पिटल के सामने यूके मेडिकल है, न केवल उसकी सदस्यता बची हुई है बल्कि कलम के सिपाहियों का वही उपाध्यक्ष भी है। संघ के मुंह पर ऐसे लोगों की सदस्यता होना करारा तमाचा है। संघ के पूर्व अध्यक्ष बीबी यादव के नेतृत्व में वर्तमान पदाधिकारियों के विरुद्ध मोर्चा खोलने के बाद बैकफुट पर आना इस बात की गवाही है कि उनके कार्यकाल में विज्ञापन के नाम पर हुई लाखों की लूट अभी भी सदस्यों के दिलों दिमाग पर छाई हुई है ऐसे में गलत लोगों का साथ न देने के लिए सदस्यों ने मन बना लिया है। 

संघ के साधारण सभा में सक्रिय रूप से चर्चा में शामिल रहे वरिष्ठ पत्रकार रमेश राय की माने तो अभी और भी बड़े फैसले होने है, साथ ही कई और पत्रकार के वेश में सदस्यता पाने वाले रंगा सियारों को खाल से बाहर निकालकर उनका असली चेहरा उजागर किया जायेगा।

संघ के इस फैसले का ‘वाराणसी प्रेस क्लब’ के अध्यक्ष महेश खन्ना व मंत्री संजय मिश्र सहित अन्य पदाधिकारियों ने स्वागत किया है। वह दिन दूर नहीं है जब रजिस्टर्ड ‘वाराणसी प्रेस क्लब’ पत्रकार हितों और उनके हक और हुकुक के लिए बढ़-चढ़कर न केवल आगे आयेगा बल्कि पत्रकारों के सम्मान की रक्षा के लिए बड़ी लकीर खींचने का निरन्तर प्रयास करेगा। इसी कड़ी में  पिछले दिनों ‘क्लाउन टाइम्स’ की पहल पर ‘वाराणसी प्रेस क्लब’ ने हिन्दुस्तान के वरिष्ठ छायाकार मंसूर आलम के असामायिक निधन पर उनकी पत्नी को रु. 65 हजार का फिक्स डिपाजिट कराकर एक नई शुरुआत किया जिससे और भी लोग प्रेरणा लें। पत्रकार हितों में आगे भी ऐसे मुहिम जारी रहेगी और पत्रकारिता के नाम पर कम्बल ओढ़कर घी पीने वाले लोग बेनकाब होते रहेंगे।

  

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