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राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द : मोदी सरनेम को दिये स्‍पीच मामले में दो साल के बाद मिली सजा



 24/Mar/23

चार साल पुराने एक आपराधिक मानहानि में दो साल की सज़ा मिलने के एक दिन बाद शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता दोपहर करीब 2.30 बजे रद्द कर दी गई है। वह केरल के वायनाड से लोकसभा सदस्य थे। लोकसभा सचिवालय ने एक अधिसूचना जारी करके यह जानकारी दी है। अधिसूचना में बताया गया है कि केरल की वायनाड लोकसभा सीट के सांसद राहुल गांधी को सज़ा सुनाए जाने के दिन यानी 23 मार्च, 2023 से अयोग्य करार दिया जाता है। यह सजा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत किया गया है। इसके साथ ही कोर्ट ने 15 हज़ार का जुर्माना भी राहुल गांधी के उपर लगाया, साथ ही सज़ा को 30 दिन के लिए स्थगित किया गया था, यानी राहुल गांधी के पास सज़ा के ख़िलाफ़ ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए एक महीने का समय है।

अनुच्छेद 102(1) और 191(1) के अनुसार अगर संसद या विधानसभा का कोई सदस्य, लाभ के किसी पद को लेता है, दिमाग़ी रूप से अस्वस्थ है, दिवालिया है या फिर वैध भारतीय नागरिक नहीं है तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाएगी। अयोग्यता का दूसरा नियम संविधान की दसवीं अनुसूची में है. इसमें दल-बदल के आधार पर सदस्यों को अयोग्य ठहराए जाने के प्रावधान हैं। इसके अलावा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत किसी सांसद या विधायक की सदस्यता जा सकती है।

बताते चलें साल 2019 का ये मामला 'मोदी सरनेम' को लेकर राहुल गांधी की एक टिप्पणी से जुड़ा हुआ है जिसमें उन्होंने नीरव मोदी, ललित मोदी और अन्य का नाम लेते हुए कहा था, "कैसे सभी चोरों का सरनेम मोदी है ?" प्रावधान के मुताबिक़, वह सांसद या विधायक दोषी ठहराए जाने की तारीख से ही अयोग्य घोषित माना जाएगा और उसकी रिहाई के छह साल तक वह अयोग्य बना रहेगा. इसका मतलब है कि राहुल गांधी दो साल की सज़ा और उसके बाद छह साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। सितंबर, 2013 में राहुल गांधी ने एक ऐसे अध्यादेश को बेतुका क़रार दिया था जो आज उनकी सदस्यता पर मंडराए संकट से उन्हें बचा सकता था। उस वक्त यूपीए सरकार एक अध्यादेश लेकर आई थी जिसमें कहा गया था कि कुछ शर्तों के तहत अदालत में दोषी पाए जाने के बाद भी सांसदों और विधायकों को अयोग्य क़रार नहीं दिया जा सकेगा। उस वक्त राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी में उपाध्यक्ष थे। तब उन्होंने 'दाग़ी सांसदों और विधायकों' पर लाए गए यूपीए सरकार के अध्यादेश को 'बेतुका' क़रार देते हुए कहा था कि इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए। बयान देते हुए तब राहुल गांधी ने कहा था, "इस देश में लोग अगर वास्तव में भ्रष्टाचार से लड़ना चाहते हैं तो हम ऐसे छोटे समझौते नहीं कर सकते हैं।"

राहुल गांधी का कहना था, ''जब हम एक छोटा समझौता करते हैं तो हम हर तरह के समझौते करने लगते हैं।''

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(1) के मुताबिक़ दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना, रिश्वत लेना या फिर चुनाव में अपने प्रभाव का ग़लत इस्तेमाल करने पर सदस्यता जा सकती है।

अब आगे क्या, 3 अहम पॉइंट...

  1. लीगल एक्सपर्ट के मुताबिक लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसदीय सीट वायनाड को खाली घोषित कर दिया है। इलेक्शन कमीशन अब इस सीट पर इलेक्शन का ऐलान कर सकता है। दिल्ली में राहुल गांधी को सरकारी बंगला खाली करने को भी कहा जा सकता है।
  2. अगर राहुल गांधी की सजा का फैसला ऊपरी अदालतें भी बरकरार रखती हैं तो वे अगले 8 साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। 2 साल की सजा पूरी करने के बाद वह छह साल के लिए अयोग्य रहेंगे।
  3. राहुल गांधी अब सूरत कोर्ट के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकते हैं। कांग्रेस ने एक्शन की वैधानिकता पर भी सवाल उठाया है कि राष्ट्रपति ही चुनाव आयोग के साथ विमर्श कर किसी सांसद को अयोग्य घोषित कर सकते हैं।

इस फैसले पर अब कांग्रेस के राहुल गांधी की टीम अब सूरत कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चैलेंज करने जा रही है। अगर सूरत कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील को वहां स्वीकार नहीं किया जाता है तो सीधे सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी। सूरत कोर्ट के फैसले के खिलाफ राहुल को अपील दायर करने के लिए 30 दिनों का समय दिया गया था।


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