MENU

सुखमय जीवन के लिए कैरियर और वैवाहिक जीवन में सामंजस्य होना जरूरी : डॉ. नेहा शर्मा



 25/Apr/23

लेट मैरिज का चलन आज कल हमारे समाज में काफी कॉमन हो गया है क्योंकि लोग अपने कैरियर पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं इस वजह से बच्चे देर से पैदा हो रहे है और उनमें जन्मजात विकृतियां एवं बीमारियां पैदा हो जाती हैं। इसी विषय क्लाउन टाइम्स के रिपोर्टर दिनेश मिश्र ने वाराणसी के महमूरगंज स्थित सिद्धि मैटरनिटी क्लिनिक की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नेहा शर्मा से की खास बातचीत।

डॉ. नेहा शर्मा ने बताया कि अकसर कैरियर बनाने के चक्कर में महिलायें लगभग 30 या उससे भी अधिक उम्र की हो जाती हैं। देर से शादी करने की वजह से अक्सर उनके अन्दर बांझपन की शिकायतें जाती हैं। पहले के समय में 20-22 साल की उम्र में शादी और 24-25 की उम्र में बच्चे हो जाते थे । इस उम्र में जो अंडे रिलीज होते हैं उसकी कैपेसिटी हाई होती है। देर से शादी करने की वजह से अक्सर उनके अन्दर बांझपन की शिकायतें जाती हैं। उनके मुकाबले जो महिलाएं अपने कैरियर पर फोकस कर रही होती हैं, उनकी लाइफस्टाइल प्रभावित होती है। फास्ट फूड और जंक फूड खाने और व्यायाम न करने के कारण तथा अनहेल्दी जीवनशैली के कारण उनका वजन बढ़ जाता है। उनका ध्यान केवल कैरियर पर होता है स्वास्थ्य पर नहीं। इस वजह से उनका स्वास्थ्य और संतोत्पत्ति करने की क्षमता प्रभावित होती है। उन्होंने आगे बताया कि देर से शादी के लाभ की बात करें तो वे आर्थिक,सामाजिक रूप से स्वतंत्र हो रही हैं जो कि बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन स्वास्थ्य, सही उम्र में शादी और बच्चों की प्लानिंग भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। डॉ. नेहा शर्मा ने आगे बताया कि महिलाओ को अपने करियर के साथ-साथ अपनी शादी पर भी ध्यान देना चाहिए ताकि वह सही उम्र में ही अपने जीवनसाथी का चुनाव कर के अपने दाम्पत्य जीवन को शुरू करें, जिससे वे अपने करियर के साथ-साथ सही उम्र में अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वाह कर पाएं एवम मां बनाने का गौरव प्राप्त कर सकें। सही उम्र में शादी करने का एक लाभ ये भी है कि आप एक्टिव हो कर अपने बच्चों का बेहतर ख्याल रख सकती हैं। डॉ.नेहा ने आगे बताया कि एक चीज होती है बायोलॉजिकल क्लॉक, जब महिलाओं को पीरियड शुरू होता है तब वह बच्चा पैदा करने लायक हो जाती है। मासिक धर्म की शुरुआत से 45 -51 की उम्र तक महिलाये संतानोत्पत्ति की क्षमता रखती है, लेकिन 35 की उम्र के बाद उनकी क्षमता में कमी आ जाती है। 35 से अधिक उम्र की महिलाओ में ऐसा देखा जाता है कि जब स्पर्म और ओवम मिल्कर भ्रूण बनाते हैं तो स्पर्म में जेनेटिक कमी की वजह से होने वाले बच्चे में भी जन्मजात विकृतियां जैसे मंदबुद्धि व शारीरिक अक्षमता देखने में मिलती हैं। डॉ. नेहा शर्मा ने आगे एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि हमारे देश में लगभग 5-15% महिलाएं इनफर्टिलिटी से पीड़ित हैं, लेकिन देर से शादी करने वाली महिलाओं में यह प्रतिशत 15-30 हो जाता है। इसलिए देर से शादी करना आपके करियर के लिए तो अच्छा है लेकिन संतानोत्पत्ति के लिए नहीं। इसलिए सिर्फ एक चीज पे फोकस ना करें बल्कि जीवन के सभी पहलुओं को महत्व देना आवश्यक है। अत: सबको साथ ले के चले।अगर आप पढाई कर रहे हैं तो महत्वपूर्ण ये भी है कि समय पे शादी भी करे। और ऐसा जीवनसाथी चुने जिसके साथ अपने परिवार की प्लानिंग समय से करे।

 


इस खबर को शेयर करें

Leave a Comment

2113


सबरंग