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28 मई को नये संसद भवन का उद्घाटन करेंगे पीएम नरेन्‍द्र मोदी



 27/May/23

नये संसद भवन के उद्घाटन को लेकर 19 विपक्षी दलों ने दी बहिष्‍कार की धमकी

New Parliament Building : देश की राजधानी नई दिल्‍ली में नया संसद भवन बनकर तैयार है जो कि महज ढाई वर्ष में विशालकाय व आर्किटेक्‍चर की नई मिसाल है जहां अत्‍याधुनिक सुख-सुविधाएं मौजूद हैं। लेकिन इसपर जमकर राजनीति भी हो रही है सत्‍ता पक्ष का कहना है कि पुराना संसद भवन गुलामी की निशानी दर्शाता है वहीं नया संसद भवन स्‍वदेशी की निशानी है। विपक्षी गुट में शुरूआत जहां राहुल गांधी ने विरोध करने की वहीं उनके साथ अब 19 विपक्षी पार्टीयां शामिल हैं। रार नये संसद भवन के उद्घाटन की तारीख को लेकर व कौन इसका उद्घाटन करेगा को लेकर भी है। यहां तक की देश की सुप्रीम कोर्ट तक लिखित मांग की गई कि नये संसद भवन का उद्घाटन राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराया जाये। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को सिरे से नकार दिया। बहरहाल 28 मई की तारीख नये संसद भवन की उद्घाटन के लिये तय की गई है जो कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी करेंगे। इसी दिन वीर सावरकर का जन्मदिन है जिसे मौजूदा राजनीति ने सबसे विवादास्पद ऐतिहासिक शख्सियत का दर्जा दे दिया है। इसलिए नई संसद की उदघाटन की तारीख भी विवादों में है। पर विवाद की तह में नरेंद्र मोदी आ गए हैं। कोई कह रहा सेंट्रल विस्टा की जरूरत क्या थी तो कोई पूछ रहा प्रधानमंत्री लोकतंत्र के मंदिर का उदघाटन कैसे कर सकते हैं?

विपक्ष की मांग है राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से नई संसद का फीता कटवाया जाए क्योंकि वो संविधान की संरक्षक हैं। उधर मंत्री हरदीप पुरी का कहना है कि इंदिरा गांधी ने संसद की एनेक्सी और राजीव गांधी ने लाइब्रेरी का उदघाटन किया था तो बवाल नहीं मचा। इस पर कांग्रेस का कहना है कि पुरी साहब ब्यूरोक्रैट हैं, जानकारी नहीं है। ऑफिस के उदघाटन और संसद के उदघाटन में फर्क उन्हें पता नहीं है। माहौल संभालने के लिए अमित शाह ने खुद मोर्चा संभाला और प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए बैठ गए। उन्होंने सैंगोल का दहला फेंक दिया। कैसे 14 अगस्त 1947 की आधी रात ये सैंगोल अंग्रेजों की सत्ता जाने का प्रतीक बना जिसे नई संसद में रखा जाएगा। इसके बाद अब चर्चा हो रही है कि अगर कांग्रेस ने इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया तो ये नेहरू का अपमान होगा। मोदी सरकार ने तो मंत्रियों की फौज उतार दी है।

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए संसद भवन का निर्माण किया गया है। इस पूरे प्रोजेक्ट पर 20 हजार करोड़ रुपये खर्च होने हैं। दरअसल, सेंट्रल विस्टा राजपथ के क़रीब दोनों तरफ़ के इलाक़े को कहते हैं जिसमें राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के करीब प्रिंसेस पार्क का इलाक़ा भी शामिल है। सेंट्रल विस्टा के तहत राष्ट्रपति भवन, संसद, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, उपराष्ट्रपति का घर भी आता है। संसद भवन करीब 100 साल पुराना है, केंद्र सरकार का कहना है कि मौजूदा संसद भवन में सांसदों के बैठने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। सरकार का कहना है कि आजादी से पहले जब संसद भवन का निर्माण किया जा रहा था तब सीवर लाइनों, एयर कंडीशनिंग, अग्निशमन, सीसीटीवी, ऑडियो वीडियो सिस्टम जैसी चीजों का खासा ध्यान नहीं रखा गया था।

बदलते समय के साथ संसद भवन में इन्हें जोड़ा तो गया लेकिन उससे भवन में सीलन जैसी दिक्कतें पैदा हुआ हैं और आग लगने का खतरा बढ़ा है। करीब 100 साल पहले जब संसद भवन का निर्माण हुआ था, उस वक्त दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र-2 में थी लेकिन अब यह चार में पहुंच गई है। सांसदों के अलावा सैकड़ों की संख्या में ऐसे कर्मचारी हैं जो संसद में काम करते हैं. लगातार बढ़ते दबाव के चलते संसद भवन में काफी भीड़ हो गई है।

पुराने संसद भवन को ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने 'काउसिंल हाउस' के रूप में डिजाइन किया था। इसे बनाने में छह साल(1921-1927) लगे थे. उस वक्त इस भवन में ब्रिटिश सरकार की विधान परिषद काम करती थी। तब इसे बनाने पर 83 लाख रुपये खर्च हुए थे, वहीं आज नए भवन को बनाने में करीब 862 करोड़ रुपये खर्च आया है।

संसद में लोकसभा भवन को राष्ट्रीय पक्षी मयूर और राज्यसभा को राष्ट्रीय फूल कमल की थीम पर डिजाइन किया गया है। पुरानी लोकसभा में अधिकतम 552 व्यक्ति बैठ सकते हैं। नए लोकसभा भवन में 888 सीटों की क्षमता है। पुराने राज्यसभा भवन में 250 सदस्यों के बैठने की जगह है, वहीं नए राज्यसभा हॉल की क्षमता को बढ़ाकर 384 किया गया है। नए संसद भवन की संयुक्त बैठक के दौरान वहाँ 1272 सदस्य बैठ सकेंगे।


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