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खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में डीएम व कमिश्नर व पुलिस कमिश्नर ने किया निरीक्षण



 27/May/23

वाराणसी। पुलिस कमिश्नर कौशल राज शर्मा, डीएम यश राजलिंगम व पुलिस कमिश्नर अशोक मुथा जैन और जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने शनिवार को खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के अंतर्गत बीएचयू आईआईटी के रमेश श्रीनिवास स्टूडेंट्स एक्टिविटी सेंटर में चल रहे कुश्ती प्रतियोगिता कार्यक्रम का निरीक्षण किया। उन्होंने खिलाड़ियों एवं उनके कोचों के खाने-पीने व रहने आदि की समस्त व्यवस्थाये समुचित तरीके से सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
जिलाधिकारी ने इवेंट ऑर्गेनाइजर को भी निर्देशित किया कि सभी व्यवस्थाएं मानक के अनुरूप पूर्ण की जाए। उन्होंने मौके पर एक-दो जगह बैरिकेडिंग कराए जाने का भी निर्देश दिया।
बताते चलें कि खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के अंतर्गत बीएचयू आईआईटी के रमेश श्रीनिवास स्टूडेंट्स एक्टिविटी सेंटर में 26 से 29 मई तक आयोजित कुश्ती प्रतियोगिता के लिए 234 पहलवान सभी 68 यूनिवर्सिटी से एक-एक कोच देशभर के आए हुए हैं।
कुश्ती में तकनीकी के इस्तेमाल की वजह से गलती की गुंजाइश कम : अशोक

- खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के चीफ रेफरी भारतीय कुश्ती के भविष्य को लेकर बेहद आशान्वित
- बोले, नई पौध को तैयार करने के लिए अभी भी जमीनी स्तर पर काम करने की जरुरत

वाराणसी। कुश्ती के ओलंपियन रेफरी अशोक कुमार का कहना है कि बीते आठ से दस साल में भारतीय कुश्ती का स्तर काफी सुधरा है। अब जूनियर से लगायत सीनियर लेवल पर हमारे पहलवान पदक जीत रहे हैं। इसमें उनकी काबिलियत के साथ साथ तकनीकी का भी अहम रोल है।
खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में कुश्ती के चीफ रेफरी अशोक के अनुसार स्कूल और यूनिवर्सिटी के स्तर पर खेलों को प्रोत्साहन मिलने का असर साफ नजर आ रहा हैै। तेजी से युवा खेलों में आ रहे हैं। मीडिया कवरेज की वजह से खिलाडियों को राष्टीय व अंतरराष्टीय स्तर पर एक्सपोजर मिल रहा है। उन्होंने कहा कि युवा खिलाडियों की नई पौध को तैयार करने के लिए अभी भी जमीनी स्तर पर काफी कुछ करने की आवश्यक्ता है।
आईआईटी बीएचयू के रमेश श्रीनिवासन स्टूडेंट एक्टीविटी सेंटर में रेफरी क्लीनिक में हिस्सा लेने के बाद बातचीत में अंतरराष्ट्रीय रेफरी अशोक कुमार ने कहा कि कुश्ती के अंदर कुछ नियम बदले हैं। जब खिलाड़ी या कोच किसी निर्णय से संतुष्ट नहीं होता है तो वह वीडियो रिव्यू के लिए चैलेंज करता है। इसमें समय का बदलाव किया गया है। पहले खिलाड़ी को रिव्यू लेने के लिए 5 सेकंड का समय मिलता था। अब इस समय को बढ़ाकर 10 सेकंड कर दिया गया है। लेकिन इसमें भी एक बदलाव हुआ है, अगर रिब्यू उसके खिलापफ जाता है तो उस खिलाड़ी का एक अंक कट जाएगा। यदि रिव्यू के बाद भी जज का स्कोर यथावत रहता है तो उस खिलाडी को एक बार फिर से रिव्यू लेने का अधिकार होगा।

वीडियो रिव्यू से गलती की गुंजाइश कम
बकौल अशोक कुमार खेलो में तकनीकी का लगातार इस्तेमाल बढ़ रहा है। इससे खेल और खिलाड़ी दोनों को लाभ हो रहा है। तकनीकी के इस्तेमाल से गलती या पक्षपात की गुंजाइश नहीं रह गई है। खासकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में तो आप बेइमानी या पक्षपात का आरोप ही नहीं लगा सकते। वीडियो रिव्यू की जब से सुविधा आई है रेफरी का काम थोड़ा आसान हो गया है। चैलेंज के दौरान रिव्यू को देखा जाता है और तब सीटिंग जज अपना फैसला सुनाता है। कहा कि रेफरी कुश्ती जैसे खेल की रीढ़ होता है। मैच के सारे एक्शन वीडियो में कैप्चर होते हैं। इसलिए दावे के साथ कह सकता हूं कि जहां ये सारी सुविधाएं हैं, वहां गलती की गुंजाइश जरा भी नहीं रह गई है। यही वजह है हमारे पहलवान अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत रहे हैं। जहां तक मैं देख रहा हूं भारतीय कुश्ती का भविष्य काफी उज्ज्वल है।


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