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पूर्वांचल में पहली बार बनारस के इनफिनीटी केयर सेन्टर में बिना चीरा लगाये तावी विधि से बदला गया ह्रदय का वॉल्व : डॉ. अभिषेक विक्रम सिंह



 13/Jul/23

मनुष्‍य के शरीर में रोग होना एक निरंतर प्रक्रिया है लेकिन जटिल रोगों के लिए कहीं न कहीं व्‍यक्ति विशेष का रहन सहन, खान-पान या यूं कहें कि उसका लाइफ स्‍टाइल कारण होता है। कुछ आम रोग व्‍यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता से खुद ब खुद कुछ दिन में ठीक हो जाते हैं लेकिन गलत लाइफ स्‍टाइल के चलते होने वाले कुछ जटिल रोगों के लिए जटिल चिकित्‍सा की आवश्‍यकता होती है उन्‍हीं में से एक रोग है ह्रदय रोग। क्‍लाउन टाइम्‍स ने वाराणसी के इनफिनीटी केयर सेन्‍टर के ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ अभिषेक विक्रम सिंह से खास बातचीत की। जिसमें उन्‍होंने ह्रदय रोग के बारे में बताते हुए कहा कि हमारे दिल में चार वाल्व होते हैं, जिसमे सबसे प्रमुख होता है, महाधमनी वाल्व (Aortic Valve) हृदय वाल्व रोग सबसे गंभीर है। जब हृदय का महाधमनी वाल्व संकरा हो जाता है। वाल्व पूरी तरह से नहीं खुलता है, जो हृदय से मुख्य धमनी (महाधमनी) और शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त के प्रवाह को कम या अवरुद्ध करता है। इसे महाधमनी वाल्व स्टेनोसिस या महाधमनी स्टेनोसिस (Aortic Stenosis) कहा जाता है।

अब तक ओपन हार्ट सर्जरी के जरिए वॉल्‍व का आपरेशन किया जाता था। इस ऑपेरशन में छाती पर चीरा लगाकर हार्ट को खोलकर खराब वाल्व की जगह दूसरा वॉल्व लगया जाता था। ये काफी गंभीर और जटिल सर्जरी होती है इसमें काफ़ी दिन हॉस्पिटल में भर्ती रहना होता है। इस ऑपरेशन से रिकवरी में 30 से 45 दिन लगते हैं। इस ऑपरेशन में जोखिम भी काफी होता है।

ज्यादातर एरोटिक वाल्व की सिकुड़न बढ़ती उम्र में ही पाई जाती है। क्यूंकि ये ऑपेरशन अधिकतर ओल्ड ऐज में होता है एवं इस उम्र में किडनी, फेफड़े आदि की बीमारियां अधिकतर लोगो में पायी जाती है। और इस उम्र में शरीर बहुत कमजोर होता है इसलिए ओपन हार्ट सर्जरी में जटिलता अधिक होती है।

अब पिछले कुछ वर्षो से बिना सर्जरी के एक पतले से तार के जरिये हार्ट के वॉल्व की सर्जरी करने की प्रक्रिया को TAVI ( Transcatheter Aortic Valve Implantation) कहा जाता है। इस प्रक्रिया के जरिए पिछले 15 साल से पूरी दुनिया में ऑपरेशन किया जा रहा है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से देश के महानगरों में भी कई तावी ( TAVI ) तकनीकों को सफलतापूर्वक किया गया है। लेकिन अब यह सुविधा इनफिनीटी केयर सेन्‍टर में भी उपलब्‍ध है। उन्‍होंने कहा कि यह प्रक्रिया बहुत ही सरल और आसान है। लेकिन ऑपेरशन के पहले मरीज की बहुत विस्तार में  जांच करनी पड़ती है। मरीज की इको जाँच में वाल्व को सावधानीपूर्वक मापा जाता है। फिर उसका सीटी स्कैन भी किया जाता है। जिससे पता चलता है कि मरीज TAVI प्रक्रिया के लिए उपयुक्त है या नहीं। उसके पैरो की नसों की जांच की जाती है। तावी प्रक्रिया में मरीज को बेहोश भी नहीं किया जाता एवं ICU में भी आमतौर पर एक ही दिन रखा जाता है। पैर की नसों में एक पतला तार डाला जाता है, उस तार को दिल के अंदर ले जाकर कैथे लैब के एक्स-रे को देखते हुए पुराने वॉल्व में बैलोन से खुलते हैं फिर उसके अंदर एक नया वाल्व स्टेंट के साथ लगा देते है। यह काफी उन्नत तकनीक है। इसके बाद कुछ ही घंटों में मरीज आम दिनचर्या के काबिल हो जाता है

हाल ही में डॉ अभिषेक विक्रम सिंह ने एक ह्रदय के वॉल्‍व रोग से पीडि़त मरीज की सफल सर्जरी की। जिसके बारे में उन्‍होंने बताया कि पैरामिलीट्री फोर्स का एक व्‍यक्ति जो कई महानगरों के चक्‍कर काटने के बाद भी इस समस्‍या से निजात नहीं पा सका उसका ऑपरेशन इनफिनीटी केयर सेन्‍टर में डॉ अभिषेक विक्रम सिंह ने सफलता पूर्वक किया। और कुछ ही घंटों में मरीज अपनी आम दिनचर्या के काबिल हो गया। साथ ही उनका कहना था कि यही सर्जरी महानगरों में लगभग 30 लाख में होती है जबकि इनफिनीटी केयर सेन्‍टर में इस सर्जरी का खर्च मात्र 12 लाख रूपये आया। क्‍योंकि मरीज पैरामिलीट्री फोर्स से संबंध रखता था जिससे सरकार से अप्रूवल के बाद मरीज का कैशलेस इलाज किया गया। उनका कहना था कि यह पूर्वांचल की पहली ह्रदय वॉल्‍व की तावी विधि से की गई सर्जरी है जो इनफिनीटी केयर सेन्‍टर में की गई है।


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