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काशी विद्यापीठ में 41 वें दीक्षांत समारोह का हुआ आयोजन



 12/Nov/19

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ का आज 41वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया । इसमें 55 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। समारोह में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने मेधावियों को स्वर्ण पदक और उपाधि दीं। समारोह के मुख्य अतिथि नैक के निदेशक डॉ. एससी शर्मा रहे । कुलपति प्रो. टीएन सिंह ने बताया कि एक लाख दो हजार 350 छात्रों को उपाधि भी दी गयी । उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय का यह दीक्षांत बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ को समर्पित रहा। टाप टेन की सूची में 70 फीसदी छात्राएं रही । विश्वविद्यालय और संबंधित कॉलेजों के 102350 विद्यार्थियों को उपाधि भी बांटी गयी। इसमें छात्रों की संख्या 42635 और छात्राओं की संख्या 59590 रही । स्नातक में 89522 छात्रों को उपाधि बांटी गयी। इसमें छात्राओं की संख्या 51154 और छात्रों की संख्या 38370 रही। काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. टीएन सिंह ने बताया कि दीक्षांत का मतलब शिक्षा का अंत नहीं एक नई शुरुआत है। सीखना और ग्रहण करना तो सतत प्रक्रिया जो जीवनपर्यंत चलती रहती है। आप समाज के अच्छे और संभ्रांत नागरिक बनें। सचरित्र और समृद्ध मानसिकता विकसित करें।

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ देश के नामी विश्‍वविद्यालयों में से एक है। इस विश्‍वविद्यालय के छात्र व छात्रायें शिक्षा दीक्षा लेकर नई ऊँचाईयां छू रहे ये कहना रहा कार्यक्रम की मुख्‍य अतिथि आनंदी बेन पटेल का आगे उन्‍होंने कहा स्वस्थ्य भारत स्वच्छ भारत का सपना तभी पूरा होगा जब हम आगे बढ़ कर हाथ बढ़ाएंगे केंद्र सरकार ,राज्य सरकार के द्वारा लागू जो भी सुविधाएं है उनके बारे में जानकारी होना जरूरी है आज यहाँ जो भी बच्चे आए हैं उनके मन में एक सोच जरूर आएगी कि अगर हमें काशी विद्यापीठ में पढ़ना है तो हमें अपनी पढ़ाई अच्छी रखनी होगी कुछ बच्चे अपने गांव से घरों से नहीं निकल पाते हमें ऐसे बच्चों का सहयोग करना चाहिए ऐसा करके हम प्राइमरी और सेकेंडरी की पढ़ाई में भी सुधार ला सकते हैं क्योंकि प्राइमरी और सेकेंडरी के अध्यापक ही हमे यहाँ तक पहुँचने में मदद करते हैं आज किसी भी अपने बड़ों से पूछिए की आपको कॉलेज में किसने पढ़ाया तो उन्हें उनका नाम तक याद नहीं होगा पर उन्हें प्राइमरी और सेकेंडरी के अध्यपकों का नाम उन्हें हमेशां याद रहता है क्योंकि उस अध्यापक ने उन्हें उंगली पकड़ कर चलना सिखाया है हवा को गुरु मानिए,पानी को पिता मानिए,पृथ्वी को माता मानिए आज क्या वजह है कि लड़कियां सबसे ज्यादा मैडल ले जाती हैं एक समय ऐसा आएगा कि लड़कियां शादी के लिए मना कर देंगी तो ऐसा न हो लड़के भी आगे बढ़े और मैं कहूंगी की यहाँ की कई महिलाएं बेटियां हमारे यहाँ की जो कुरीतिया है उससे सबसे ज्यादा हमारी बेटियां प्रभावित होती है खास कर जब आप पढ़े लिखे होकर आपसे कहा जाता है कि वो सर्वसम्पन्न है ये मांग लो वो मांग लो तब आपको हिम्मत से कहना चाहिए कि मुझे कुछ नही मांगना और बेटियों को ये हिम्मत करनी चाहिए बोलने की हमे ऐसे परिवार में नही जाना।

41वें दीक्षांत समारोह में हर ओर बेटियों की ही चर्चा हुई

दीक्षा समारोह मे कुल 55 कुल गोल्ड मेडल मेघावियो को दिए गए जिसमें 18 छात्र व 37 छात्राएं शामिल रही। साथ ही साथ 53 शैक्षिक 02 उत्कृष्ट खिलाड़ी निधिराज गुप्ता व सूरज यादव को भी गोल्ड मैडल दिए गए।

दीक्षांत में मेडल देने का क्रम भी बेटी के नाम के साथ ही शुरू हुआ

विश्वविद्यालय के कुलपति, राज्यपाल से लेकर कार्यक्रम में उपस्थित गुरुजनों और अभिभावकों का गौरवमान बेटियां बढ़ा रही थीं। कार्यक्रम स्थल पर हर ओर बेटियों के उड़ान का जिक्र था।

मंच की बाईं ओर मेडल पाने वालों की पंक्ति में छात्राओं की संख्या उनकी सफलता की गाथा बयां कर रही थीं।

कार्यक्रम की शुरुवात राष्टगान व दीप प्रज्वलित कर की गई। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश की राज्यपाल व विश्विद्यालय की कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल ने की। वहीं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नेक के निदेशक एस०सी०शर्मा रहे। आये हुए अतिथियों का स्वागत विश्विद्यालय के कुलपति प्रो०टी०एन०सिंह ने किया।


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