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झूठी मेडिकल रिपोर्ट बनाकर किया गया मुकदमा : प्रदीप बिश्नोई

नम्रता पण्डेय
रिपोर्टर
 11/Feb/17

विद्यालय एक शिक्षा का मंदिर होता है। बच्चे यहाँ कुछ सीखकर भविष्य में कुछ अच्छा करें यही कोशिश अभिभावक के साथ-साथ विद्यालय की भी होती है। अफसोस तो इस बात का है कि अभिभावक ही अपने बच्चे को गलत राह पर जाने की ओर प्रेरित करते हैं। किसी पर कोई आरोप लगाना तो आसान है लेकिन उसे सिद्ध करना उतना ही मुश्किल है। हमारे स्कूल  के बच्चों  पर जो मुकदमा कराया गया है वह बेबुनियाद और साजिश के तहत कराया गया है। ये बातें माउट लिट्रा जी स्कूल के चेयरमैंन श्री प्रदीप बिश्नोई तथा सीईओ अंजना देवा ने क्लाउन टाइम्स से एक अनौपचारिक बातचीत में कही।

उत्कर्ष वर्मा पिछले पाँच वर्षों से हमारे विद्यालय में पढ़ रहे हैं। इसके पहले कभी भी इस तरह की कोई शिकायत विद्यालय के लिए नहीं की गई। 6 फरवरी को जब स्कूल  की छुट्टी हुई उसी समय बच्चों ने आपस में झगड़ा किया और झगड़े के दौरान उत्कर्ष वर्मा को धक्का लगने की वजह से सर में थोड़ी सी चोट आ गयी और उनके सर से खून निकलने लगा। हमलोगों ने हेरिटेज मेडिकल कॉलेज में ले जाकर उनका इलाज कराया साथ ही साथ उनको घर तक भी स्कूल बस द्वारा छोड़ा गया। चोट लगने के तत्काल बाद हमने उत्कर्ष वर्मा के पैरेन्ट्स को भी फोन किया तो उन्होंने कहा कि हम बाद में आकर मिल लेंगे। उत्कर्ष वर्मा के घर पहुँचने तक तो सब कुछ ठीक था लेकिन अचानक 7 फरवरी को उनके घरवालों द्वारा कबीरचौरा से झूठी मेडिकल रिपोर्ट बनाकर थाना रोहनिया में स्कूल के पाँच बच्चों जिसमें यश मेहरोत्रा, उदयराज कुशवाहा, सूर्यांश मणि त्रिपाठी, सूर्यांश तिवारी, शिवाकान्त मिश्र के खिलाफ मुकदमा कायम करा दिया गया। उत्कर्ष के चोट लगने के तुरन्त बाद मेडिकल कॉलेज में हमने इलाज कराया था। वहाँ के डॉक्टर द्वारा गंभीर चोट लगने की बात नहीं कही गई और ना ही कोई मेडिकल रिपोर्ट दी गई। उत्कर्ष वर्मा के पिता तथाकथित सपा नेता हैं, जिसका उन्होंने दुरूपयोग करते हुए हमारे स्कूल  की सीईओ अंजना देवा को फोन करके अशब्दों का प्रयोग किया। एक महिला से बात करने का उनका तरीका बहुत गलत था।एक महिला से अमर्यदित तरिके से बात  करना अपराध है। दूसरे दिन हमारे विद्यालय में उत्कर्ष वर्मा के पिता लगभग 25 लोगों के साथ मिलने के लिए आयें और कहें कि हमारे बच्चे को 15 बच्चे मिलकर चैन, चाकू और लाठी से मारे हैं। उनका यह आरोप बिल्कुल निराधार है क्योंकि हमारे विद्यालय में हर जगह सीसी टीवी कैमरे  लगे हुए हैं अगर कोई बच्चा चैन, चाकू लेकर आता है तो फुटेज में दिखाई तो देगा ही। जहाँ मारपीट हुई वहाँ पर भी सीसी टीवी कैमरा  लगा हुआ है। लेकिन बस खड़ी होने की वजह से मारपीट का कोई भी फूटेज रिकार्ड नहीं हुआ है बीच में बस की छत आ गई है।

  श्री बिश्नोई ने आगे बताया कि उत्कर्ष वर्मा विगत 31 जनवरी को क्लास 11 के विद्यार्थी एस मेहरोत्रा से झगड़ा किया और उसको जूते से मारा था। उसके बाद विद्यालय प्रशासन ने उत्कर्ष वर्मा के लिए कड़ा निर्णय लिया और उनको रिस्टीकेट करने की बात की। उसके बाद उत्कर्ष वर्मा ने लिखित रूप से माफी नामा विद्यालय प्रबंधन को दिया। विद्यालय द्वारा कहा गया था कि यह एक आखिरी मौका है आगे से अगर आप कुछ भी अनुशासन के खिलाफ विद्यालय में करेंगे तो आपको विद्यालय से हमेशा के लिए निष्कासित कर दिया जायेगा। जो कुछ भी उत्कर्ष वर्मा के अभिभावक द्वारा किया गया है वह इसलिए कि हमारे बच्चे का विद्यालय से निष्कासन न हो। विद्यालय प्रशासन पर पेपर लिक करने के लिए बच्चों द्वारा वसूली कराने के आरोप का खंडन करते हुए श्री बिश्नोई ने कहा कि यह आरोप बेबुनियाद है। हमारे यहाँ तो सबजेक्ट टीचर को भी नही पता होता है कि पेपर में क्या है। हमारे यहाँ तो ऐसा नहीं होता है अगर एक परसेन्ट मान ले कि किसी विद्यालय में ऐसा होता है तो इसके लिए जिम्मेदार तो बच्चों के अभिभावक ही हैं। पेपर लिक कराने का पैसा अगर बच्चों को घर से मिलता होगा तभी तो वह पैसा विद्यालय में पेपर लिक कराने के लिए देते हैं। हमारे यहाँ तो बच्चों को कैश लाना पूरी तरह से बैण्ड है कैंटीन में भी कूपन  का ही यूज किया जाता है। स्कूल  टाइमिंग में किसी बच्चे को पेन-पेन्सिल या किसी भी तरह की चीज की जरूरत पड़ती है तो उसे विद्यालय द्वारा दिया जाता है। जिसका पैसा उनके फीस के साथ जोड़ लिया जाता है। माउन्ट लिट्रा जी मे  मानक के अनुसार टीचर न होने के सवाल पर बताया कि किसी भी स्कूल  की मान्यता तभी होती है जब मानक के अनुसार टीचर हो और हमारे यहाँ सभी टीचर मानक के अनुसार हैं। अब तो सीबीएसई को हर साल टीचर का डाटा देना पड़ता है। जो भी आरोप विद्यालय पर लगाये जा रहे वह बेबुनियाद है। उत्कर्ष वर्मा पिछले पाँच सालों से हमारे विद्यालय में पढ़ रहे हैं। इसके पहले तो उनकी या उनके अभिभावकों को विद्यालय से कोई शिकायत नहीं थी। उत्कर्ष का विद्यालय से निष्कासन न हो इसके लिए ही ये सभी मनगधत कहानी है। जिस प्रकार मानसिक संतुलन खोया व्यक्ति यह समझ नहीं पाता है कि हम क्या कर रहे हैं ठीक उसी प्रकार उत्कर्ष के घर वाले भी कर रहें हैं। बच्चों के आपसी झगड़े को एक अलग ढंग से पेश कर विद्यालय की छवि खराब करने की साजिश रच रहे हैं। श्री बिश्नोई ने आगे बताया कि पुलिस अपनी जाँच कर ही है और विद्यालय प्रबंधन भी अपनी तरफ से जाँच करा रहा है। जिन पाँच बच्चों के ऊपर मुकदमा कायम कराया गया है उनको भी सस्पेंड  कर दिया गया है। जाँच की रिपोर्ट आ जाने के बाद जो भी दोषी होगा उसे विद्यालय से निष्कासित कर दिया जायेगा। 

 

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