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प्रतिवर्ष पर्यावरण प्रदूषण के कारण हुई लगभग एक करोड़ 20 लाख मौतें : डॉ. एसके पाठक



 25/Nov/19

ब्रेथ ईजी टी.बी चेस्ट,एलर्जी केयर अस्पताल अस्सी, वाराणसी द्वारा विश्व सी.ओ.पी.डी दिवस (20 नवम्बर 2019) के उपलक्ष में पूरा सप्ताह सी.ओ.पी.डी दिवस के रूप में मनाया गया, जिसमें ब्रेथ ईजी द्वारा वाराणसी एवं आस-पास की जनता को विभिन्न माध्यम से जागरूक किया जा रहा हैं। इस अवसर पर जागरूकता रैली, नि:शुल्क कैंप के अतिरिक्त ब्रेथ ईजी वैन द्वारा वाराणसी के प्रमुख चौराहों/ गावों/ कस्बों पर जाकर चलचित्र के माध्यम से लोगों को जागरूक करने व उनके फेफड़ो की जाँच - कंप्यूटर मशीन द्वारा करना आदि हैं I इसी कड़ी में ब्रेथ ईजी द्वारा भारत सरकार के उपक्रम – लघु एवं कुटीर उद्योग, वाराणसी में, एक सी.ओ.पी.डी जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमे ब्रेथ ईजी के वरिष्ट चिकित्सक डॉ. एस.के. पाठक ने वहाँ मौजूद विद्यार्थी, डायरेक्टर एवं सहायक-कार्यकर्ता को आडियो-विजुअल द्वारा बताया कि “सीओपीडी” को लगातार श्वसन लक्षण और श्वसन प्रवाह सीमा द्वारा पहचाना जाता है। यह आमतौर पर घातक कणों या गैसों के महत्वपूर्ण संपर्क द्वारा वायुमार्ग और कूपिकीय असामान्यताओं के कारण होता है। डॉ. पाठक ने आगे बताया कि “दुनियाभर में सीओपीडी से जितनी मृत्यु होती है, उसमें से एक चौथाई हिस्सा भारत का है। साल 2016 में सीओपीडी के 2 करोड़ 22 लाख रोगी थे I यह बीमारी समय के साथ गंभीर होती जाती है और कई बार यह जानलेवा तक हो सकती है I सीओपीडी ग्रस्त लोगों में सांस की नलियों में ब्लॉकेज होने या कम लचीले होने से फेफड़ों की कार्यक्षमता प्रभावित होने लगती है और यह उनमें बहुत आम समस्या है I
डॉ. पाठक ने तम्बाकू पर जोर देते हुए बताया कि तंबाकू के सक्रिय धुएं (धूम्रपान) के साथ-साथ तंबाकू के निष्क्रिय धुएं (निष्क्रिय धूम्रपान) से संपर्क में आना, घर के अंदर (आउटडोर) और घर के बाहर (इनडोर) प्रदूषण जैसे कि वायु प्रदूषण, जैव ईंधन और ताप (हीटिंग) से संपर्क में आना, व्यावसायिक धूल और रसायनों से संपर्क में आना I कहा कि धूम्रपान करने वाले अस्थमा के रोगियों को सीओपीडी से पीड़ित होने का ज़ोखिम अधिक होता है। इसलिए आज से हम कसम खाए कि हम सिगरेट नही पीयेंगे और कम से कम दस लोगो को तम्बाकू/ सिगरेट पीने के लिए मना करेंगे I”
डॉ. पाठक बताते हैं कि आज वायु प्रदूषण दुनिया की एक बड़ी समस्या में से एक है। कई बीमारियों का कारण वायु प्रदूषण है। दमा, सीओपीडी, एलर्जी और फेफड़े की अन्य बीमारियों का मुख्य कारण वायु प्रदूषण ही हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन ( वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन) के अनुसार विश्व के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में 14 शहर भारत के हैं।

कानपुर और गाज़ियाबाद के बाद तीसरे सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर है बनारस

इनमें अपना बनारस - कानपुर और गाज़ियाबाद के बाद तीसरे सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों की लिस्ट में है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवर्ष लगभग एक करोड़ 20 लाख मौतें पर्यावरण प्रदूषण के कारण हुई हैं। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में हर 10 व्यक्तियों में से 9 व्यक्ति प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं। लगभग 42 लाख लोग वायु प्रदूषण की वजह से मौत के शिकार हुए और 38 लाख लोगों की मौत कुकिंग और प्रदूषित ईंधन के कारण हुई। भारत में वायु प्रदूषण के कारण हर साल लगभग 12 लाख मौतें होती हैं। यदि व्यापक रोकथाम न हुई तो यह आंकड़ा सन् 2050 तक 36 लाख मौतों को पार कर जाएगा।


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