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जूट से निर्मित कालीनों को कृषि उत्पाद में दर्ज कराकर 10% इन्सेंटिव देने की मांग



 04/Oct/23

भदोही जनपद के प्रभारी मंत्री ने मुख्यमंत्री के कारपेट एक्सपो में आगमन को देखते हुए कालीन उद्यमियों की समस्या को जानने के लिए प्रमुख कालीन निर्यातक ग्लोबल ओवरसीज पहुंचे ।

कालीन निर्यातक संजय गुप्ता ने कालीन उद्योग को सहूलियत देने की। मांग करते हुए जुट से बने कालीन को कृषि उत्पाद शामिल कराने की। मांग की जिस प्रभारी मंत्री ने मांग को मुख्यमंत्री दौरे के समय उन्हे अवगत कराने का आश्वासन दिया उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री उद्योग के लिए काफी सकारात्मक है कालीन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए भाजपा सरकार ने कई कदम उठाए है। कालीन से होने वाले आय से इस क्षेत्र का निरंतर रोजगार बढ़ रहा है एवं बुनकरों का पलायन रुक रहा है। संजय गुप्ता ने पत्र देकर मांग की वाराणसी में 2018 अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों को कालीन मैले का डिजिटल उद्घाटन करते हुए यह लक्ष्य दिया था कि हम अपने टर्नओवर 10 हजार करोड़ से बढ़ाकर 20 हजार करोड़ 2024 तक कर दे। हम लोग इसमें प्रयासरत रहे है और नतीजन हमारा टर्नओवर करोना महामारी के बावजूद 10,000 करोड़ से बढ़कर आज 14,000 करोड़ हो गया परंतु अभी भी हम माननीय प्रधानमंत्री के दिए गए टारगेट से कुछ दूर है इसलिए हम लोगों की मांग है की हमें हमारे लक्ष्य की तरफ अग्रसर होने में उत्तर प्रदेश सरकार से कालीन नगरी भदोही एवं मिर्ज़ापुर से लगभग एक हजार करोड़ का जूट का कारपेट निर्यात होता है क्योंकि जूट एक प्राकृतिक उत्पाद है और विदेशों में लोगों का झुकाव प्राकृतिक उत्पादकी तरह समय के साथ बढ़ता जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भारत के कालीनों के सबसे बड़े प्रीतियोगी है चीन, नेपाल, पाकिस्तान और ईरान परंतु इनके यहाँ आज भी जूट का उत्पादन नहीं होता है, जो हमारे लिए एक एडवांटेज है और इससे हमें उम्मीद है कि हम अपने इस एक हजार करोड़ के व्यापार को बढ़ाकर दो हजार करोड़ तक आने वाले दो सालों में कर सकते हैं परंतु हमें अपना टारगेट पाने के लिए इसके मार्केटिंग के लिए और खर्च करने पड़ेंगे। क्योंकि हमारा जूट से निर्मित कालीन हाथ द्वारा बनाया जाता है इसलिए इसमें समय ज्यादा लगता है और इसमें हमारी पूंजी ज्यादा दिनों तक फँसी रहती है इस वजह से हम लोग अपनी पूंजी उत्पादन पर ही इन्वेस्ट करते करते ख़त्म कर देते हैं, जिससे हम मार्केटिंग में वह बजट नहीं दे पाते हैं, जिसकी-वजह से हम अपने व्यापार को बढ़ावा नहीं दे पा रहे हैं।

कालीन निर्यातक बृजेश गुप्ता ने प्रभारी मंत्री से को बताया कि पहले 10% का अतिरिक्त इन्सेंटिव मिलता था, जिससे हम अपने पूंजी का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा उत्पादन एवं इंसेंटिव का पैसा मार्केटिंग में लगाते थे जिससे हमारा व्यापार आज इस मुकाम पर पहुँचा है परंतु बीते कुछ सालों से W.T.O. के नियमों की वजह से लगभग सारी इन्सेंटिव न के बराबर हो गई है। चूंकि जूट एक कृषि उत्पाद है जिसका कालीन बनाकर निर्यात किया जाता है, परन्तु इसे टैक्सटाईल में डालकर हमें इन्सेंटिव नहीं मिलता यहाँ पर यह भी बताना चाहुगा कि अमेरिका जैसे देश भी जब भारत को अपना कृषि उत्पाद निर्यात करते हैं, तो उनके किसानो को 5% इन्सेंटिव देते है। जिला पंचायत अध्यक्ष अनिरुद्ध त्रिपाठी,ज्ञानपुर विधायक विपुल दुबे, संतोष गुप्ता आदि मौजूद रहे।

 


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