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साह स्‍पेशिलिटी क्लिनिक द्वारा नि:शुल्‍क चिकित्‍सा शिविर का होगा आयोजन



 26/Nov/19

वाराणसी के साह स्‍पेशिलिटी क्लिनिक द्वारा 28 नवम्‍बर को दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक नि:शुल्‍क नाक-कान गला एवं मूत्र रोग शिविर का आयोजन किया जायेगा तथा नि:शुल्‍क परामर्श भी प्राप्‍त कर सकते है।

शिविर नि:शुल्‍क पौरूष ग्रन्थि(प्रोस्‍टेट) शिविर का उद्देश्‍य जिस प्रकार वृद्धावस्‍था में बाल सफेद होते हैं, ऑखों में मोतिया बिन्‍द होता है उसी प्रकार पुरूषों में पौरूष ग्रन्थि(प्रोस्‍टेट ग्‍लैंड) में भी वृद्धि होती है।

इस शिविर का मुख्‍य उद्देश्‍य बढ़ी हुई पौरूष ग्रन्थि का प्राथमिक अवस्‍था में ही निदान एवं उपचार करना है, इस बीमारी का जटिल समस्‍या जैसे बार-बार मूत्र मार्ग का संक्रमण, पिशाब में खून आना, वृक्‍क का खराब होना, मूत्राशय का पूरा खाली न होना एवं पौरूष ग्रन्थि के कैंसर का रोका जा सके।

बढ़ती उम्र के साथ-साथ पौरूष ग्रन्थि में भी बदलाव आता है। आकार में वृद्धि के साथ ही इसकी बनावट में भी परिवर्तन होता है। यह रोग अक्‍सर 50 वर्ष की उम्र के बाद भी होता है। सामन्‍य: 60-70 वर्ष की उम्र के 80 प्रतिशत पुरूषों में यह रोग एवं 10 प्रतिशत पुरूषों में प्रोस्‍टेट कैंसर पाया जाता है।

पौरूष ग्रन्थि के बढ़ने से मूत्र नली में रूकावट उत्‍पन्‍न होती है। रूकावट की वजह से मूत्राशय की मौसपेशियों पर दबाव पड़ता है और जब मांसपेशियॉ थक जाती हैं तो पेशाब रूक जाता है जो गुर्दे एवं मूत्रवाहिनी पर प्रभाव डालता है। इस बीमारी से होने वाले तकलीफें बार-बार करने जाना,पेशाब को रोक न पाना, पेशाब करने में ज्‍यादा समय लगना, पेशाब का धार में कमी एवं पतलापन, पेशाब में खून आना, जलन होना, दर्द होना, गुर्दे का काम करना बन्‍द करना, उल्‍टी होना, पेशाब बन्‍द होना।

नयी तकनीकीके आने से रोग का प्राथमिक अवस्‍था में निदान सम्‍भव हो गया है। प्राथमिक उपचार दवाओं द्वारा किया जाता है।

यौन दुर्बलता के शिकार 90 फीसदी रोगियों का इलाज संभव है इस रोग के इलाज की पद्धति अत्‍यंत सरल एवं कम खर्चीली है जिसमें कुछ नयी विकसित चिकित्‍सा पद्धतियों का उपयोग किया जाता है। जैसे स्‍वत: इंजेक्‍शन, वैकुअम सेक्‍शन पद्धति, प्रास्‍थेसिस द्वारा आजकल कई प्रकार के यंत्र विकसित किये गये है। इन यंत्र शल्‍यक्रिया द्वारा पुरूषेन्द्रिय में स्‍थापित कर दिया जाता है, इन यंत्रों की सहायता से इंद्रिय को तनावयुक्‍त अथवा तनाव रहित बनाया जा सकता है।

डॉ.साह के अनुसार नपुंसकता के शिकार व्‍यक्ति के जनेन्द्रिय में लगा लचकदार राड राडसे जब चाहे आसानी से रतिक्रिया कर सकता है क्‍योंकि ऐसा कार्य करते समय उसमें तनाव को पूर्ण संतुष्टि प्रदान कर सकते है।  डॉ. रविन्‍द्र कुमार शाह ने बताया कि इन सब बीमारियों को नियंत्रण किया जा सकता है।

शिविर में नाक,कान गला रोग जैसे कान का बहना, कान के पर्दे में छेद, जन्‍मजात बहरापन व गूंगापन, कान से सीटी का आवाज आना, नाक का पोलिप व साइनस, नाक का टेढ़ापन, नाक से खून व पानी गिरना, टांसिल बढ़ना, थायराइड आदि रोगों का निदान होगा।

इस आयोजन में डॉ.एस.पी.पाण्‍डेय(नाक,कान गला रोग विशेषज्ञ), डॉ.चैतन्‍य साह (मूत्र रोग विशेषा) तथा रविन्‍द्र कुमार साह(वरिष्‍ठ यूरोलॉजिस्‍ट) डाक्‍टर होगे।

इस शिविर का आयोजन साह स्‍पेशिलिटी क्लिनिक लेन नं.17, रविन्‍द्रपुरी कालोनी, वाराणसी में दिनांक, 28 नम्‍बर को 2019 को इस शिविर का सौजन्‍य किडनी फाउण्‍डेशन के द्वारा किया जायेगा ।   


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