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सनबीम स्कूल वरुणा में गाँधी जी 150वीं वर्षगाँठ पर तुषार गाँधी का उद्बोधन



 04/Dec/19

वाराणसी 3 दिसम्बर 2019 सनबीम स्कूल वरुणा के ‘‘हाॅरमनी’’ में महात्मा गाँधी की 150 वीं वर्षगाँठ के अवसर पर गाँधी जी के परपोते व ‘‘गाँधी रिसर्च फाउन्डेशन" के अध्यक्ष तुषार अरुण गाँधी ने गाँधी की विचारधाराओं से छात्राओं को अवगत कराया।
इस अवसर पर सनबीम शिक्षण समूह के अध्यक्ष डाॅ. दीपक मधोक, निदेशिका श्रीमती भारती मधोक, उपनिदेशिका श्रीमती अमृता बर्मन, आॅनरेरी निदेशक हर्ष मधोक, प्रधानाचार्या डाॅ. अनुपमा मिश्रा आदि विशिष्टजन व छात्र तथा शिक्षकगण उपस्थित रहे।
समारोह में सनबीम शिक्षण समूह के सभी विद्यालयों के छात्र व शिक्षकगण उपस्थित रहे। उत्सुक छात्र-छात्राओं ने उपस्थित मुख्य अतिथि तुषार अरुण गाँधी से अनेक प्रश्न किये। सनबीम वरूणा से अर्पन, इशिता, आयुषी, सनबीम लहरतारा से मानस, जीविका, शैलांगी, सनबीम इंदिरा नगर से साम्भवी, सनबीम सनसीटी से अभिजीत, अपूर्वा, अंशिका, सनबीम अन्नपूर्णा से रूद्रांश, अविचल, वैष्णवी तथा सनबीम भगवानपुर से आशुतोष, इशिता एवं कशिश ने गाँधी से सम्बन्धित अपने जिज्ञासा का समाधान किया।
कार्यक्रम का प्रारम्भ दीप प्रतिष्ठापन के साथ किया गया तत्पश्चात मुख्य अतिथि तुषार गाँधी को अंगवस्त्र व स्मृतिचिन्ह प्रदान कर स्वागत किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि को गाँधी जी के जीवन पर बनी एक फिल्म भी दिखाई गयी।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता तुषार गाँधी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि गाँधी जी की विचारधाराओं को जानने का यह सुअवसर हमें प्राप्त हुआ है। राष्ट्रपिता की उपाधि से अलंकृत महात्मा गाँधी न केवल भारत अपितु विश्व के शांति के दूत हैं। गाँधी जी हमेशा सभी धर्म, जाति को समान रुप से देखते थे, उन्होंने शिक्षा के लिए अभूतपूर्व योगदान दिया है।
उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम् को माना व लागू भी किया। उन्होंने छात्रों द्वारा पूछे गये एक प्रश्न में कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मै गाँधी जी के परिवार में जन्म लिया हूँ तथा गाँधी के विचारों से समाज को अवगत करा रहा हूँ।
अंत में संस्था के अध्यक्ष डाॅ. दीपक मधोक ने कहा कि गाँधी जी हमारे जीवन की एक मुख्य धारा है। उन्होंने इस देश को एक नया आयाम दिया है। निदेशिका श्रीमती भारती मधोक ने बच्चों को बताया कि गाँधी जी जो कार्य करते थे वहीं दूसरों को करने के लिए कहते थे। आजादी दिलाकर उन्होंने खुली हवा में साँस लेने का जो अवसर दिया इसके लिए उन्हें कोटि-कोटि नमन है।
उपनिदेशिका श्रीमती अमृता बर्मन ने कहा कि गाँधी जी के ऋण से हम कभी भी उत्तीर्ण नहीं हो सकते, उनका जीवन ही एक दर्शन है। हमें उनसे पूरा जीवन सीखना चाहिए। आॅनरेरी निदेशक हर्ष मधोक ने गाँधी जी के बुनियादी शिक्षा व दर्शन की चर्चा की। अंत में विद्यालय की प्रधानाचार्या डाॅ. अनुपमा मिश्रा ने मुख्य अतिथियों तथा सभी विशिष्टजनों का धन्यवाद ज्ञापन किया।


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