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प्रदेश में वाराणसी बना थ्रोमबाॅलिसिस थेरेपी देने वाला पहला जिला



 28/Dec/23

मुंबई से आये पच्पन वर्षीय पर्यटक सीने में तेज दर्द की शिकायत के साथ शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सारनाथ लाये गये। चिकित्सकों द्वारा रोगी की स्थिति को देखते हुए हृदयाघात के लक्षणों को पहचान कर प्राथमिक उपचार दिया गया , तथा तत्काल समयानुसार पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय पांडेपुर को संदर्भित कर दिया गया। डीडीयू में चिकित्सकों  द्वारा ईसीजी कर रोगी की स्थिति की जानकारी प्राप्त की गई। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में फिजिशियन डॉ मनीष यादव, डॉ. प्रेम प्रकाश ,डॉ. नरेंद्र मौर्य, डॉ. परवेज अहमद ,डॉ शिव शक्ति द्विवेदी  के द्वारा इलाज प्रारंभ किया गया। रोगी को इंजेक्शन टेनेक्टप्लेस से थ्रोमबाॅलिसेड किया गया। इसके पश्चात आधे घंटे तथा एक घंटे बाद पुन: ईसीजी करके रोगी की स्थिति की जानकारी प्राप्त की गयी। रोगी सामान्य स्थिति में आ गया, तथा रोगी की जान बचाई जा सकी। इसकी जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी द्वारा दी गई। 
     सीएमओ ने बताया कि हृदयाघात  परियोजना (स्टेमी प्रोजेक्ट) के अंतर्गत  प्रदेश में वाराणसी  थ्रोमबाॅलिसिस थेरेपी देने वाला पहला जिला है। स्वास्थ्य विभाग और आईसीएमआर के सयुक्त तत्वावधान में  पहली बार योजनाबद्ध तरीके से हार्ट अटैक से होने वाली मौतों से निपटने की तैयारी की गयी है। इसके तहत हार्ट अटैक आने या मरीज में हृदयाघात की समस्या दिखाई देने पर उसे थ्रंबोलाइसिस थेरेपी दिया जाता है, इस प्रक्रिया से मरीज को करीब 24 घंटे का समय मिल जाता है तथा मरीज नजदीकी बड़े केंद्र पर जा कर आवश्यकतानुसार एंजियोप्लास्टी या अन्य जरूरी उपचार करा सकता है। सीएमओ ने बताया कि जनपद में हृदयाघात परियोजना को बीएचयू  के  कार्डियोलॉजी विभाग के सहयोग से चलाया जा रहा है। बीएचयू हब एवं जनपद के  जिला स्तरीय चिकित्सालय एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्पोक के रूप में कार्य कर रहे हैं। 
सीएमओ ने बताया कि हार्ट अटैक आज भी हमारे देश में मौत का सबसे बड़ा कारण है। ज्यादातर मामलों में मौत की वजह गोल्डेन आवर में  रोगी का चिकित्सालय नहीं पहुॅच पाना है जिसके कारण इलाज होने में  देरी हो जाती है। इसलिए हमने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं इससे ऊपर स्तर के सभी अस्पतालों में चिकित्सकों को थ्रंबोलाइसिस थेरेपी देने का प्रशिक्षण दिलाया है। 
सीएमओ ने बताया कि इस योजना को पायलट आधार पर पहले तमिलनाडु सहित अन्य प्रदेशों में शुरू किया गया था।इस योजना के लागू करने के बाद हार्ट अटैक से होने वाली मौतों में 50 फीसदी तक की कमी देखी गई। मालूम हो, हर साल हमारे देश में अत्यधिक लोगों की हार्ट फेल होने से मौत हो जाती है।

क्या है थ्रंबोलाइसिस ? - हृदय रोग विशेषज्ञ बीएचयू प्रोफ़ेसर धर्मेंद्र जैन ने बताया कि थ्रंबोलाइसिस उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें एक एंजाइम के जरिये रक्त में मौजूद थक्के को गला दिया जाता है। रक्त पतला होने से वह आसानी से धमनियों में संरचण कर पाता है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने सीएचसी सारनाथ एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय के चिकित्सकों एवं चिकित्सा कर्मियों के इस कार्य की प्रसंसा करते हुए आगे भी इसी प्रकार के कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया। जनपद के अन्य सभी चिकित्सालयों से भी आने वाले हृदय रोगियों के इलाज करने हेतु सदैव तत्पर रहने की अपेक्षा की है ।


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