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ट्रैफिक जाम से फेफड़े हो रहे है बेजान और फुल रही हैं सांस : डॉ. एस.के पाठक



 01/Jan/24

ब्रेथ ईजी चेस्ट सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल के वरिष्ठ श्वांस एवं फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ. एस.के पाठक ने एक वार्ता में बताया कि वाराणसी में ट्रेफिक जाम सीधे रूप से फेफड़ों को दूषित कर रही है। इस समय AQI लेवल रेड लाइन को पार कर रहा है, जिससे अधिकतर लोग खांसी, आंख में जलन, गले की खराश, सांस लेने में तकलीफ, सिरदर्द, चर्म रोग आदि से परेशान हो रहे हैं साथ ही साथ उन्होने कहा की ट्रेफिक जाम की वजह से निकलती हुयी वायु प्रदूषण वायुमार्ग को प्रभावित करती है, जिससे अस्थमा के कारक उत्तेजित होते हैं, कुछ वायु प्रदूषक फेफड़ों में गहराई तक जाकर सूजन पैदा कर देते हैं। यदि किसी को अस्थमा है, तो वायु प्रदूषण उनके लक्षणों को बिगाड़ सकते है। इसकी वजह से अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) सहित फेफड़ों की समस्याओं वाले लोगों को अस्पताल में अधिक भर्ती होना पड़ता है।

उन्होने आगे बात करते हुए बताया कि विगत दिनों प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी आकड़ो के अनुसार काशी की हवा देश की सबसे जहरीली हवा में शामिल हो गयी हैं, जिसमे स्माल साइज़ पार्टिकल 2.5 माइक्रोन एस.पी.एम् का लोड बनारस में 507 से ज्यादा है, जबकि यह लोड साधारणत: 100 से अधिक नही होना चाहिए।  वही लार्ज साइज़ पार्टिकल 10 माइक्रोन का लोड वाराणसी में 485 से ज्यादा था, जिसे साधारणतया 60 से ज्यादा नही होना चाहिए। काशी की हवा में CO2 (कार्बन मोनोऑक्साइड) का स्तर 16 था जिसे साधारणतया 1 से ज्यादा नही होना चाहिए। NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) का लोड 27 था, जिसे 12 से ज्यादा नही होना चाहिए। ये आकडे जताते हैं प्रधानमंत्री जी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का हवा जहरीला हो गया हैं और भारत का न. 1 दूषित शहर बन गया हैं। 

डॉ. एस. के पाठक ने इस सन्दर्भ में पी.एम् मोदी से उनके विगत दिनों के वाराणसी प्रवास के दौरान वाराणसी को डस्ट फ्री जोन बनाने के लिए एक ज्ञापन सौपा था। डॉ. पाठक ने अपनी विगत कई वर्षो के प्रैक्टिस के दौरान यह पाया हैं कि ओ.पी.डी में श्वास मरीजो की संख्या लगातार बढती ही जा रही हैं। उनके आकड़ो के अनुसार ओ.पी.डी में जो आज से 10 वर्ष पहले प्रतिदिन श्वास मरीजो की संख्या 10% से 15% हुआ करती वो संख्या आज के समय में बढ़कर प्रतिदिन 40% से 50% तक पहुच चुकी हैं।

विगत दिनों डॉ पाठक द्वारा एक शोध में यह पाया गया कि दिन में वाराणसी शहर में 2-3 घंटो तक भ्रमण करने के बाद फेफड़ो की कार्य क्षमता में 15%-20% तक की गिरावट हो जाती हैं, जिसे सुधरने में काफी लम्बा समय लग जाता हैं।
उन्होने यह भी कहा कि प्रत्येक वर्ष 31 दिसम्बर व 1 जनवरी को पुरे वाराणसी एवं आस - पास के एरिया में भयानक ट्रेफिक जाम एवं उससे बढ़ते प्रदुषण की वजह से श्वांस मरीजों को बहुत ही ज्यादा परेशानी हो जाती हैं, इसलिए प्रशाशन से अनुरोध हैं कि समय रहते ट्रेफिक जाम से बचने की व्यवस्था कर ले, जिससे जाम और प्रदुषण दोनों से निजाद मिल सके।


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