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आईसीयू-सीसीयू की ड्यूटी छोड़ हड़ताल में शामिल 10 कर्मचारी हुए बर्खास्त : डॉ. सन्तोष सिंह



 07/Sep/17

वाराणसी के नामी-गिरामी हॉस्पिटलों में एपेक्स का नाम पूर्वांचल तथा आस-पास के राज्यों में किसी पहचान का मोहताज नहीं है। वाराणसी के मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटलों में अपनी अलग पहचान रखने वाले एपेक्स में कैंसर, हार्ट, न्यूरो, यूरोलॉजी, आर्थो से लेकर सभी असाध्य रोगों के इलाज के लिये प्रतिदिन यहाँ सैकड़ों की संख्या में पूर्वांचल सहित बिहार तक के मरीज यहाँ आते हैं। परन्तु विगत कुछ माह से एपेक्स हॉस्पिटल प्रशासन के सामने कभी नर्सिंग छात्रों द्वारा आंदलोन तो कभी कर्मचारियों द्वारा अपने वेतन में विसंगतियों को लेकर हॉस्पिटल परिसर से लेकर लंका थाने तक धरना‌- प्रदर्शन के चलते मीडिया की सुर्खियों बना हुआ है। अभी कुछ माह पूर्व नर्सिंग की छात्राओं ने तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय कार्यालय से लेकर सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ तक न केवल अपनी शिकायतें दर्ज कराया बल्कि सीएम दरबार के निर्देश पर कई गंभीर धाराओं में हॉस्पिटल के प्रबंध निदेशक  डॉ. सन्तोष सिंह सहित उनके प्रबंधन से जुड़े लोगों पर मुकदमा भी कायम हुआ।

अभी सबसे ताजा-तरीम मामला एपेक्स हॉस्पिटल के कर्मचारियों द्वारा हॉस्पिटल प्रबंधन के विरुद्ध आरोप लगाते हुए हंगामा खड़ा किया गया कि उनका पिछले  दस महीने से भविष्य निधि में जमा होने वाला 30 प्रतिशत रूपया वेतन से तो काटा जा रहा है, किन्तु उसे उनके पीएफ खाते में जमा नहीं किया जा रहा है। इस मामले को लेकर कर्मचारीयों ने पहले तो हॉस्पिटल परिसर में ही विरोध - प्रदर्शन किया और जब उनकी माँगों को प्रबंधन ने नजरअंदाज किया तो वे सीधे थाने में धमक पड़े और इस बात पर अड़ गये कि प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा कायम किया जाय। किन्तु थनाध्यक्ष ने उनका शिकायती पत्र लेकर उसे लेबर ऑफिस भेज दिया।

आधार कार्ड उपल्ब्ध न होने से पीएफ खाते में जमा नहीं हुआ रूपया

इस बारे में क्लाउन टाइम्स की टीम सीधे एपेक्स हॉस्पिटल पहुँचकर प्रबन्ध निदेशक डॉ. सन्तोष कुमार सिंह से इस बाबत जानकारी चाही तो उन्होंने बताया कि ऐसा कुछ नहीं है, हमारे हॉस्पिटल की लोकप्रियता को देखकर कुछ बाहरी तत्व इसका फायदा उठाने के कोशिश के तहत कुछ कर्मचारियों को बरगला रहे हैं। वास्तविकता यह है कि कर्मचारीयों द्वारा पीएफ से आधार कार्ड उपल्ब्ध न कराने के चलते पीएफ विभाग में उसका कोई विवरण उपलब्ध नहीं है, इस शिकायत को अतिशीघ्र दूर कर दिया जायेगा। यही कारण है कि विरोध करने वाले कर्मचारीयों का पैसा इनके पीएफ खाते में जमा नहीं हो सका। जैसे ही पीएफ खाते से आधार लिंक हो जायेगा वैसे ही सभी कर्मचारियों के खाते में पैसा उनके खाते में जमा कर दिया जायेगा।

अब थाने पर नहीं लेबर ऑफिस में सुलझायेगा पीएफ का मामला: एसओ राजीव सिंह

वहीं इस मामले को लेकर लंका थानाध्यक्ष राजीव सिंह ने क्लाउन टाइम्स को बताया कि एपेक्स हॉस्पिटल के कुछ कर्मचारी एक शिकायती पत्र लेकर आये थे, किन्तु उस पत्र पर उनका नाम पता नहीं था। चूँकि यह मामला लेबर ऑफिस का होने के कारण इस पूरे प्रपत्र को वहाँ भेज दिया गया है। इस पर जो भी कार्यवाही होगी वह लेबर ऑफिस ही सुनिश्चित करेगा।

वहीं इस पूरे प्रकरण में डॉ. सन्तोष कुमार सिंह ने क्लाउन टाइम्स को बताया ऑन ड्यूटी आईसीयू-सीसीयू में कार्यरत दस हड़ताली कर्मचारी अपनी ड्यूटी छोड़कर मरीजों के जीवन के साथ गंभीर खेलवाड़ करते हुए हड़ताल पर गये थे। इसको गंभीरता से लेते हुए इन सभी को हॉस्पिटल सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। जबकि क्लाउन टाइम्स की टीम को हॉस्पिटल परिसर में कुछ कर्मचारीयों ने नाम न छापने की शर्त पर दबी जुबान से बताया कि  हड़ताल में शामिल लगभग 40 कर्मचारीयों को हिसाब-किताब कर इन्हें हमेशा के लिये निकाल दिया है।

कुल मिलाकर के एपेक्स हॉस्पिटल चिकित्सा के क्षेत्र में एक बड़ा नाम और बड़ी पहचान के चलते जाना जाता है किन्तु यहाँ के निदेशक डॉ. सन्तोष सिंह अनुशासित और कड़े तेवर वाली कार्यशैली लोगों को पसन्द नहीं आती। उनके कड़े तेवर के चलते वहाँ कार्य करने वाले चिकित्सक और कर्मचारी हमेशा पसन्द नहीं करते। फिलहाल प्रबंधन के कार्यशैली पर विगत कई महीनों से न केवल सवाल खड़े किये गये बल्कि नर्सिंग कॉलेज के विद्यार्थीयों से लेकर हॉस्पिटल के कर्मचारीयों के हंगामा खड़ा करने से डॉ. सन्तोष सिंह ने अपने रूख में काफी बदलाव किया है। अब वे अपने तेवर थोड़े नरम कर हॉस्पिटल संचालन की दिशा सक्रिय हैं। फिलहाल जहाँ तक हॉस्पिटल की चिकित्सा सेवा में लापरवाही के चलते डॉ. सन्तोष ने  दर्जन भर कर्मचारीयों का निष्कासन किया वहीं दूसरी ओर जो कर्मचारी उनके साथ जुड़े हैं उनके प्रति अपने व्यवहार में बदलाव करें तो दोनों के लिये अच्छा होगा। जिससे इस तरह की समस्याएँ निकट भविष्य में न आयें।


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