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पश्चिम बंगाल में संदेशखाली अत्याचार मुद्दे पर ममता बनर्जी चौतरफा घिरीं



 20/Feb/24

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले का संदेशखाली लगातार चर्चा में हैं। बीते दिनों से लगातार हुई हिंसा और महिलाओं से रेप की घटनाओं के बाद राजनीति हलचल जारी है। अत्याचारों और यौन उत्पीड़न के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को लेकर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। इलाके में तनावपूर्ण हालात को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। वहीं पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी संदेशखाली जाने वाले थे लेकिन उन्हें रास्ते में ही रोक दिया गया। सुवेंदु अधिकारी ने संदेशखाली जाने की कोलकाता हाई कोर्ट की अनुमति ली थी लेकिन भारी पुलिस फोर्स ने उन्हें वहां जाने से रोका, जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया और सुवेंदु अधिकारी वहीं पर धरने पर बैठ गए। मान‍वाधिकार की अध्‍यक्षा ने तो पश्चिम बंगाल में राष्‍ट्रपति शासन लगाने की मांग कर दी।

पश्चिम बंगाल में संदेशखाली में अत्याचार के मुद्दे पर सीएम ममता बनर्जी चौतरफा घिर चुकी हैं। एक ओर बीजेपी ने आंदोलन छेड़ रखा है, दूसरी ओर हाई कोर्ट ने आरोपी शाहजहां शेख की गिरफ्तारी के लिए आदेश जारी किया है। तीसरा केंद्र सरकार ने एनआईए को इस केस में शामिल कर दिया है। चौथा, राज्यपाल खुद बंगाल में हो रहे महिलाओं के जुल्म के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने अपने पूर्ववर्ती जगदीप धनखड़ से अलग सामाजिक मुद्दे पर ममता बनर्जी की सरकार को घेरा है। जब जगदीप धनखड़ बंगाल के राज्यपाल थे, तब वह ट्वीट से भी ममता सरकार पर हमले करते थे। इसके अलावा सरकार की हर गतिविधियों पर प्रेस में खुली राय रखते थे। सार्वजनिक मंचों से उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार के कामकाज पर संवैधानिक सवाल उठाए। इससे उलट राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने राजभवन के दरवाजे संदेशखाली की महिलाओं के लिए खोलकर डिप्लोमैटिक तरीके से महिला सुरक्षा के मुद्दे को चर्चा में खड़ा कर दिया है। राज्यपाल ने कहा कि राजभवन में शांति होम के नाम से तीन घर बनाए जाएंगे, जिनमें संदेशखाली के पीड़ित महिलाओं का आश्रय दिया जाएगा। उन्होंने लोगों से संदेशखाली में शांति मार्च की अपील की है।

संदेशखाली के दौरे के बाद राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए संतोष काली मिशन की शुरुआत की है। इस मिशन का मकसद महिलाओं को सुरक्षा देना, महिला सशक्तिकरण और क्षेत्र में शांति बनाए रखना है। इस मिशन के तहत उन महिलाओं को विशेष सुरक्षा दी जाएगी, जिनका टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने यौन उत्पीड़न किया है।

महिलाओं का दावा था कि टीएमसी के गुंडे घर-घर जाते हैं. वहां कोई खूबसूरत महिला दिखती है या फिर कम उम्र की कोई सुंदर लड़की दिखती है तो वो गुंडे उन महिलाओं-लड़कियों को पकड़कर पार्टी के ऑफिस लेकर जाते हैं, वो उन महिलाओं को कई-कई रात तक पार्टी ऑफिस में ही जबरन रखते हैं, उनका रेप करते हैं और जब मन भर जाता है तो उन्हें वापस छोड़ जाते हैं।

ऐसे में सवाल उठता है कि जब संदेशखाली की महिलाओं के साथ लंबे वक्त से ऐसा अत्याचार हो रहा था, तो उन्होंने पहले आवाज क्यों नहीं उठाईं? इस पर महिलाओं ने कहा कि ईडी की छापेमारी के बाद जब शाहजहां शेख और उसके आदमी संदेशखाली छोड़कर फरार हो गए, तब हमें बोलने की हिम्मत मिली और अब हमने अपने मुंह बांधकर अपने खिलाफ हुई ज्यादती को मीडिया में बयान किया है। संदेशखाली की महिलाओं ने शाहजहां शेख के अलावा टीएमसी के ही नेता उत्तम सरदार और शिवप्रसाद हजारा को भी इस भयानक ज्यादती के लिए जिम्मेदार ठहराया है। महिलाओं का दावा है कि किसी महिला का पति तो है, लेकिन उस पति का अपनी पत्नी पर अधिकार नहीं है। कुछ पुरुषों को अपनी पत्नियों को हमेशा के लिए छोड़ना पड़ गया है, क्योंकि टीएमसी के गुंडे उन्हें अपने साथ रख रहे हैं। ऐसे में गांव के पुरुषों ने घर छोड़ दिया है और वो दूसरे राज्यों में जाकर काम कर रहे हैं, क्योंकि अगर वो यहां रहे तो उन्हें जान का खतरा है।

 


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