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बाबा विश्वनाथ और बाबा गोरखनाथ के आशीर्वाद से आज मिला है न्‍याय : पीयूष राय



 29/Mar/24

मुख्तार के पोस्‍टमार्टम दिल्‍ली एम्‍स में हो : उमर अंसारी

मुख्‍तार के बेटे की पेरोल के लिए कोर्ट पहुंचा परिवार

बांदा जेल में बंद पूरब के माफिया मुख्तार अंसारी की गुरुवार देर रात हार्ट अटैक (कार्डिया अरेस्ट) से मौत हो गई। जिसके बाद पूरे उत्‍तर प्रदेश सहित पूरे देश में सनसनी फैल गई है। माफिया मुख्तार की मौत के बाद पूरे यूपी में अलर्ट जारी किया गया है साथ ही यूपी के कई जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई है।

मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी ने बांदा के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर मांग की है कि उनके पिता का पोस्टमॉर्टम दिल्ली एम्स के डॉक्टरों से कराया जाए। अपने पत्र में अंसारी ने लिखा है कि उनके परिवार को बांदा की चिकित्सा व्यवस्था पर भरोसा नहीं है। इसके साथ ही माफिया मुख्तार अंसारी के परिवार ने आरोप लगाया है कि बांदा जेल में दोपहर के खाने में जहर दिया गया। शासन प्रशासन उसकी हत्या कराना चाहता था। जिसके बाद अब मुख्तार अंसारी की मौत की न्यायिक जांच के आदेश दिए गए हैं।

कासगंज जेल में बंद बाहुबली विधायक अब्बास की पत्नी निकहत ने ससुर मुख्तार की मौत से एक दिन पहले अपने पति से मुलाकात की थी। करीब तीस मिनट तक दोनों की बात हुई। उधर जब मुख्तार की मौत की खबर मिली तो उनका पूरा परिवार अब्बास की पैरोल के लिए इलाहबाद हाईकोर्ट पहुंच गया है।

डॉन मुख्तार अंसारी की मौत पर पूर्व भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय ने कहा कि मैं क्या कह सकती हूं? यह भगवान का आशीर्वाद है। मैं न्याय के लिए उनसे प्रार्थना करती थी और आज न्याय मिल गया है। हमें घटना (हत्या) के बाद कभी होली नहीं मनाई, मुझे लगा कि आज हमारे लिए होली है। वहीं, पूर्व भाजपा विधायक कृष्णानंद राय के बेटे पीयूष राय कहते हैं, मुझे और मेरी मां को बाबा विश्वनाथ और बाबा गोरखनाथ का आशीर्वाद मिला है। डॉन मुख्तार अंसारी की मौत पर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी आ रही हैं।

अखिलेश यादव, मायावती समेत कई नेताओं ने मुख्तार की मौत की जांच की मांग की है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा कि "हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा
किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जांच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं। जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र सरकारी अराजकताके सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।


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