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सांड़ को अकेला छोड़, धर्मशील चले गये..



 12/Feb/17

पं.धर्मशील चतुर्वेदी के अन्तिम यात्रा पर क्लाउन टाइम्स के लिए सांड़ बनारसी ने अपने प्रिय मित्र को स्वरचित कविता से दी

सांड़ की अश्रुपूरित विदाई पर रचित विशेष कविता सुनने के लिए इस लिंक को क्लिक करें

https://youtu.be/KAdnN14uKjI

 

 नेता अभिनेता कवि पत्रकार थे वकील, ज्ञानी स्वाभिमानी संत शील थे भले गए।

जीता जागता शहर काशी के थे सान आप, बाबा विश्वनाथ के आशीष तले चले गए।

मृत्यु सत्य है अटल, कोई भी न बच पाया, काल के ही हाथों मित्र, आप भी चले गए।

अश्रुपूर्ण नेत्र से देता हूं बिदाई बड़े भाई, सांड को अकेला आप छोड़ कर चले गए।

  

जगत के साहित्य लिए पं. धर्मशील चतुर्वेदी का जाना बड़ी क्षति है : डीएम योगेश्वर राम मिश्र

जिलाधिकारी का लाइव वीडिओ देखने के लिए इस लिंक को क्लिक करें

https://youtu.be/yniMaA3S0hc

पं.धर्मशील चतुर्वेदी बड़े साहित्यकार के साथ ही बड़े इंसान थे। बड़े संवेदनशील होने के साथ ही वे काशी की संस्कृति के उन लोगों में से थे, जो यहां की संस्कृति में वे उन्हीं में थे जो काशी की संस्कृति को हमेशा आगे ले जाते रहे और काशी की जीवंतता को काशी में ही नहीं बल्कि देश और दुनिया में उन्हें साहित्यिक प्रतिभा के माध्यम से लोग जानते रहे। मेरे परिवार के सारे सदस्यों से उनके व्यक्तिगत अच्छे संबंध रहे। साहित्य और कला के क्षेत्र में बनारस को बड़ी क्षति हुई है, जिसे पूरा नहीं किया जा सकता। परमात्मा से प्रार्थना है कि कि उनके परिवार को इस अपार कष्ट को सहने की शक्ति दे।

पं.धर्मशील चतुर्वेदी ने काशी की संस्कृति, सभ्यता, विद्वतता को एक साथ जोड़ा था : राजेशपति त्रिपाठी

राजेश्पति त्रिपाठी का लाइव वीडिओ देखने के लिए इस लिंक को क्लिक करें

https://youtu.be/aGrx9L8LJfA

पं.धर्मशील चतुर्वेदी काशी के विद्वतता की इस पीढ़ी के ऐसे ध्वजवाहक थे, जिन्होंने काशी की संस्कृति सभ्यता और यहां की विद्वत्ता को एक साथ जोड़ कर रखा था। आज उनकी कमी सभी काशी वासियों को खलेगी। काशी के खुले मन-मिजाज की आदतों के लिए वे अगली पीढ़ी के अगली पंक्ति के व्यक्ति थे, जो आज हमारे बीच नहीं रहे।

 

बनारस की धरती पर कोई दूसरा धर्मशील चतुर्वेदी पैदा नहीं हो सकता : हरी शंकर सिंह

हरी शंकर सिंह का लाइव वीडिओ देखने के लिए इस लिंक को क्लिक करें

https://youtu.be/mit8CdXHbeY

बनारस की धरती पर कोई दूसरा धर्मशील चतुर्वेदी पैदा नहीं हो सकता। यूपी बार कौंसिल के सदस्य हरी शंकर सिंह ने कहा कि वे केवल वकील नहीं थे, बल्कि साहित्यकार लेखक बनारस की संस्कृति के ध्वजवाहक थे। उनका जाना राष्ट्रीय नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय क्षति हुई है। उनके द्वारा किए गए कार्यों में महामूर्ख मेला, शनिवार गोष्ठी, उलूक महोत्सव, सीजन में अगर बढ़िया आम मिलता था तो " आम महोत्सव " जैसा आयोजन दुनिया में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जो इतना कार्यक्रम करता है। वे फक्खड़पन, अक्खड़पन से हंसी का ठहाका मारते थे। वे यारों के यार थे, सबको अपना समझते थे। बनारस के महामूर्ख मेले में जहां डीएम, एसएसपी, राजनेता, विधायक और हजारों की संख्या में जनता जुटती थी, वहां बिना किसी पुलिस व्यवस्था वे कार्यक्रम का संचालन करते थे। उनका कहना था कि प्रशासन के लोग आकर कार्यक्रम को डिस्टर्ब करेंगे। हमारी जनता है हमारे लोग हैं, मैं अपना कार्यक्रम में अपने हिसाब से करुंगा। उनके जाने से अधिवक्ता समाज को भी अपूर्णीय क्षति हुई है। उत्तर प्रदेश बार कौंसिल भी शोक प्रस्ताव पारित करेगी। उनके निधन से पूरे पूर्वांचल में की लहर छा गई। कचहरी में भी शोक सभा का आयोजन किया जायेगा।


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