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बीएचयू के पत्रकारिता विभाग में "भारत रत्न बाबा साहब डॉ० भीमराव अम्बेडकर जी का पत्रकारिता के क्षेत्र में अवदान" विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन



 16/Apr/24

डॉ० अम्बेडकर जी की पत्रकारिता सामाजिक मोर्चे पर मुखर एवं स्पष्ट थी : प्रो० ए० के० त्यागी 

डॉ० अम्बेडकर जी बहुत ही साहसी और विद्वान शख्सियत थें। उनकी पत्रकारिता सामाजिक मोर्चे पर मुखर एवं स्पष्ट थी। उनकी पत्रकारिता वर्ग आधारित न होकर सभी के लिए थी। विद्वता को हमें रंगभेद, आर्थिक, सामाजिक और भौगोलिक आधार पर नहीं परखना चाहिए। हमें जिस रूप में लोग हैं, उन्हें उसी रूप में स्वीकार करना चाहिए। विद्वानों का वर्गीय विभाजन उचित नहीं है।
ये बातें महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो० ए०के० त्यागी ने सोमवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसम्प्रेषण विभाग में ’भारत रत्न बाबा साहब डॉ० भीमराव अम्बेडकर जी का पत्रकारिता के क्षेत्र में अवदान’ विषय पर आयोजित एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में कही। यह संगोष्ठी भारतीय संविधान के प्रारूप समिति के अध्यक्ष, भारत रत्न बाबा साहब डॉ० भीमराव अम्बेडकर जी की 133वीं जयन्ती के अवसर पर आयोजित की गयी थी। अरूणाचल प्रदेश स्थित अरूणोदय विश्वविद्यलाय के कुलपति प्रो० विश्वनाथ शर्मा ने बीज वक्तव्य मे कहा कि बाबा साहेब डॉ० भीमराव अम्बेडकर पत्रकार के रूप मे अन्तराष्ट्रीय फलक पर विशिष्ट पहचान रखते हैं। उन्होने मूक नायक से लेकर प्रबुद्ध भारत तक के अखबारो में राष्ट्रीय जागरण के निमित्त महिला और वंचित वर्गों के लिए लिखने का महान कार्य किया। 


काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कला संकाय के अध्यक्ष किशोर मिश्र ने कहा कि बाबा साहेब डॉ० भीमराव अम्बेडकर पहले नेता थें जिन्होने संस्कृत को राजभाषा का दर्जा देने की मांग की थी। लेकिन उनकी मांग को लोगो ने महत्व नहीं दिया जिसकी वजह से संस्कृत आज उपेक्षित है। उद्घाटन सत्र की शुरूआत डा० भीमराव अम्बेडकर जी और महामना मदन मोहन मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।


पत्रकारिता विभाग की विभागाध्यक्ष डा० शोभना नेरलीकर ने संगोष्ठी की प्रस्तावना रखी जिसमे उन्होने बाबा साहेब डा० भीमराव अम्बेडकर जी और महामना मदन मोहन मालवीय जी की पत्रकारिता मे भेदभाव को रेखांकित किया। उन्होने कहा कि बाब साहेब डा० भीमराव अम्बेडकर जी की पत्रकारिता शोषितों, वंचितों, पिछड़ों, महिलाओं के अधिकारों पर केन्द्रित थी। उन्होने अपनी पत्रकारिता मे जातिगत भेदभाव और विद्वेष के खिलाफ कलम चलायी थी। संगोष्ठी मे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो० मुकुल मेहता ने भी अपने वक्तव्य रखें। संगोष्ठी के दो तकनिकी सत्रों के दौरान शोधार्थियों ने कुल 22 शोध पत्र भी पढें।


संगोष्ठी में प्रमुख रूप से विभाग के प्रोफेसर डा० अनुराग दवे, एसोसिएट प्रो० डा० ज्ञान प्रकाश मिश्र, सिनियर असिस्टेंट प्रोफेसर डा० बाला लखेन्द्र, असिस्टेंट प्रोफेसर डा० नेहा पाण्डेय, प्रो० सुरेश नायक, प्रेस इन्फार्मेशन ब्यूरो वाराणसी के प्रभारी डा० लालजी, सामाजिक कार्यकर्ता चौधरी राजेन्द्र, डा० विकास आनन्द, डा० चन्दन सागर, दीपक खरवार, श्रद्धा सुमन, सिमरन ठाकुर, नितिन भारद्वाज, रंजीत कुमार राय, राखी शर्मा तथा विभाग के शोध छात्र उपस्थित रहें। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र का संचालन विभाग की छात्रा समीक्षा ने किया। अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन विभाग के वरिष्ठ सहायक आचार्य डा० बाला लखेन्द्र ने किया।


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