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पूर्वांचल को चम्बल बोलना चुनाव में पड़ेगा बहुत भारी : अजय राय



 25/Apr/24

वाराणसी। आज उप्र कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष व इंडिया गठबन्धन से वाराणसी लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशी अजय राय ने एक पत्रकार वार्ता कर भाजपा पर सीधा वार किया। गृहमंत्री अमित शाह के कल के दिये बयानों पर उन्‍होंने कहा कि अमित शाह काशी में कहे की पूर्वांचल चम्बल था हम पूछना चाहते है लगातार वर्षों से वाराणसी में भाजपा के सांसद, विधायक, अधिकतर जनप्रतिनिधि है तो क्या यह भी चम्बल के है। पूर्वांचल जहाँ से नरेंद्र मोदी जी ने दिल्ली का रास्ता तय किया अपना क्या वह भूमि चम्बल है ? प्रदेश में भाजपा की सरकारें रही क्या उस समय के मुख्यमंत्री चम्बल के थे ? पूर्वांचल जहां से सबसे अधिक सीट भाजपा को मिली क्या यह चम्बल है ? अमित शाह द्वारा इस तरह का अनैतिक बात करना अशोभनीय है पूर्वांचल की माटी देश का भविष्य तय करती है पूर्वांचल की माटी इतिहास लिखती है और इस चुनाव में पूर्वांचल की माटी ने भाजपा सरकार को नकारने का मन बना ली है। पूर्वांचल को चम्बल बोलना इस चुनाव में बहुत भारी पड़ेगा। कल अमित शाह चुनाव कार्यालय उद्घाटन हेतु काशी आये थे काश चुनाव में ही आने की जगह किसी कल कारखाने का फीता काटने के लिये आते रहे होते, तो अच्छा लगता। करखियांव की अमूल डेयरी की योजना मेरे विधायक काल के वक्त की है। उसके लिये उस वक्त हमने जमीन दिलाने का काम किया। उस डेयरी में भी एक भी स्थायी कर्मी बनारस का नहीं, सब गुजरात के हैं। अन्य जो कुछ काम हुये भी उनके निर्माण का काम किसी स्थानीय या पूर्वांचल के उद्यमी को नहीं मिला। सब काम गुजरात की कंपनियां या बाद में अन्यत्र पत्तों पर पंजीकृत गुजराती उद्यमियों की ही कंपनियां करती रही हैं। बनारस के लोगों से तो सार्वजनिक रूप से बस यही तस्दीक किया जाता है कि आपका चाय पान का कारबार ठीक चल रहा है या नहीं ? सच यह है विकास के नाम पर हमें ठगा गया है। अतः इस चुनाव में इन सब बातों का खरा हिंसाब किताब होगा।

इसके आगे उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का घोषणा पत्र पांच न्याय वाराणसी में जारी किया गया व वाराणसी लोकसभा क्षेत्र के लिए जारी किया।

पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि अगर मोदी सरकार के पिछले 10 वर्षों की कहानी लिखी जाए तो वह अन्याय से शुरू होकर अन्याय पर खत्म होगी। क्योंकि जनता को सिर्फ और सिर्फ बेहाली हाथ लगी है। इस तानाशाही सरकार ने अन्याय और अत्याचार की सारी सीमाएं लांघ कर एक ऐसी क्रूर और निर्मम व्यवस्था को जन्म दिया है, जहां देश का गरीब स्वाभिमान के साथ दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करने को मजबूर है।  मोदी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में न सिर्फ आम इंसान का जीवन मुश्किल कर दिया बल्कि लोकतंत्र का गला घोंटने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। जहां एक तरफ बेतहाशा बेरोजगारी युवाओं के सपनों को चकनाचूर कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ कमरतोड़ महंगाई गरीबों और मध्यम वर्ग का जीवन बेहद मुश्किल बना रही है। आज जहां देश में किसानों को उनकी मेहनत का मोल नहीं मिल रहा, तो वहीं मजदूर अपना खून पसीना जलाकर भी परिवार का पेट नहीं भर पा रहे।

बेटियां अपने सम्मान और सुरक्षा के लिए सड़कों पर बैठी हैं, तानाशाह सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ने को मजबूर हैं।  कुछ चुनिंदा धनकुबेर सारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपने फायदे के लिए कठपुतली की तरह नचा रहे हैं। गरीबों के साथ भेदभाव व अत्याचार रुकने का नाम नहीं ले रहे। अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने पर सरकारी एजेंसियों द्वारा डराया-धमकाया जाता है, संसद में सवाल पूछने पर सस्पेंड कर दिया जाता है। देश व प्रदेश में लगातार महिला अपराध में बढ़ रहे है डबल इंजन की सरकार महिला सुरक्षा मुद्दे पर विफल साबित हुई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की वार्षिक रिपोर्ट से भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में भयानक वृद्धि का पता चलता है।साथ ही उत्तर प्रदेश में जहाँ बीजेपी की डबल इंजन की सरकार है वहां 2022 में 14,247 मामलों के साथ महिला अपराध में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है।यह मोदी जी असली रिपोर्ट कार्ड है।

मणिपुर से लेकर हाथरस तक कानपुर और दिल्ली तक महिलाओं का शोषण करने वालो को बचाने वाली पार्टी बीजेपी है। नरेंद्र मोदी जी कहते थे जैसे - जैसे रुपया गिरता है प्रधानमंत्री की साख गिरती है 2014 में रूपया 58.86 प्रति डॉलर था जो आज 83.59 पर पहुँच गया। इस हिसाब से पीएम नरेंद्र मोदी की साख कितनी नीचे गिरी होगी। आजादी के बाद वर्ष 2014 तक 67 सालों में देश पर कुल कर्ज 55 लाख करोड़ था ,पिछले 10 वर्ष में अकेले मोदी जी ने इसे बढ़ाकर 205 लाख करोड़ पहुँचा दिया मोदी सरकार ने 150 लाख करोड़ का कर्ज लिया बीते 10 सालों में। वित्त मंत्रालय का कहना है कि भारत सरकार मौजूदा वित्त वर्ष में 14 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज लेने जा रही है। क्यों?

आजादी के बाद से वर्ष 2014 तक, 67 सालों में देश पर कुल कर्ज 55 लाख करोड़ था।पिछले 10 वर्ष में अकेले मोदी जी ने इसे बढ़ाकर 205 लाख करोड़ पहुंचा दिया।मोदी सरकार ने लगभग 150 लाख करोड़ कर्ज लिया बीते 10 साल में।आज देश के हर नागरिक पर लगभग डेढ़ लाख का औसत कर्ज बनता है।

उन्‍होंने कुछ सवाल करते हुए कहा कि यह पैसा राष्ट्रनिर्माण के किस काम में लगा, क्या बड़े पैमाने पर नौकरियाँ पैदा हुईं या दरअसल नौकरियाँ तो गायब हो गईं, क्या किसानों की आमदनी दोगुनी हो गई, क्या स्कूल और अस्पताल चमक उठे, पब्लिक सेक्टर मजबूत हुआ या कमजोर कर दिया गया, क्या बड़ी-बड़ी फ़ैक्ट्रियाँ और उद्योग लगाये गये, अगर ऐसा नहीं हुआ, अगर अर्थव्यवस्था के कोर सेक्टर्स में बदहाली देखी जा रही है, अगर श्रम शक्ति में गिरावट आई है, अगर छोटे-मध्यम कारोबार तबाह कर दिए गए - तो आखिर यह पैसा गया कहाँ? किसके ऊपर खर्च हुआ? इसमें कितना पैसा बट्टेखाते में गया? बड़े-बड़े खरबपतियों की कर्जमाफी में कितना पैसा गया? अब सरकार नया कर्ज लेने की तैयारी कर रही है तो सवाल उठता है कि पिछले 10 साल से आम जनता को राहत मिलने की बजाय जब बेरोजगारी, महंगाई आर्थिक तंगी का बोझ बढ़ता ही जा रहा है तो भला भाजपा सरकार जनता को कर्ज में क्यों डुबो रही है?  हमारा देश पिछले 10 दस सालों से एक ऐसी सरकार के हवाले है जिसने बेरोजगारी ,महंगाई ,आर्थिक संकट ,असमानता ,और अत्याचार को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

स्वम् को हिन्दू कहने वाले बीजेपी व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गौमांस की कम्पनी से 250 करोड़ रुपये चंदा लिए है। देश के कुल बेरोजगारों में 83% युवा क्यों हैं? सालाना 2 करोड़ नौकरियां कहां हैं? देश में 30 लाख सरकारी पद खाली क्यों हैं? हर परीक्षा का पेपर लीक क्यों होता है? कॉरपोरेट का 16 लाख करोड़ माफ हो गया लेकिन हमारे किसान कर्ज से आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? किसानों की आय दोगुनी कब होगी? किसानों को MSP कब मिलेगी?

आस्था और संस्कृति का जीवंत शहर काशी की जनता से भी प्रधानमंत्री व स्थानीय सांसद नरेंद्र मोदी ने छलावा किया है। 2014 में जब तथाकथित गंगा पुत्र बनकर नरेंद्र मोदी यहां से चुनाव लड़ने का फैसला किये थे तो काशीवासियों की आंखों में एक उम्मीद जगी थी और वह उम्मीद थी की काशी में विकास होगा परन्तु काशी में तो काशी की संस्कृति मिटाते हुए अन्याय किये।

विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम पर सैकड़ो मन्दिर हजारों मूर्तिया तोड़ी गयी। बाबा विश्वनाथ जी के कचहरी को खत्म कर दिया गया। चिकित्सा के क्षेत्र में पूरे वाराणसी में 10 वर्षों में एक भी कार्य नही हुए है बीएचयू में मरीज स्ट्रेचर के लिए तड़पते है वार्डो में जल्दी बेड तक नसीब नहीं होते है।मंडलीय अस्पतालों का हाल भी बेहाल है। शिक्षा के क्षेत्र में वाराणसी में कोई कार्य नहीं हुआ प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होने के बाद भी कोई नए शिक्षण संस्थान की स्थापना नही है। रोजगार क्षेत्र में कोई कार्य नहीं हुआ वाराणसी का युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहा है। काशी परियोजना के नाम पर लूट का अड्डा साबित हुआ कई परियोजनाओं का पता तक नहीं चला सरकार मिलीभगत से अपने पूंजीपतियों से मिलकर लूट-घसोट की। ट्रेड फैसिलिटी सेंटर जस से तस पड़ा हुआ है। बंदरगाह बना वहां से कितने का रोजगार हुआ कितनी जहाजे है कुछ नही वह भी ठंडे बस्ते में चला गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंगलसूत्र वाले बयान व अमित शाह द्वारा पूर्वांचल को चंबल करार देने वाले बयान पर अजय राय ने कहा कि पिछले 10 सालों में मोदी सरकार में माताओं बहनों के मंगलसूत्र नोटबंदी में, इलाज में, गैरजिम्मेदाराना लॉकडाउन, दवाओं का इंतज़ाम करने में, ऑक्सीजन का इंतज़ाम करने में, बेरोज़गारी से जूझने में, महंगाई का सामना करने में मंगलसूत्र बिके हैं।

आज की पत्रकार वार्ता में प्रदेश अध्यक्ष INDIA गठबन्धन के प्रत्याशी अजय राय, जिलाध्यक्ष कांग्रेस राजेश्वर पटेल, महानगर अध्यक्ष कांग्रेस राघवेंद्र चौबे, जिलाध्यक्ष सपा सुजीत यादव लक्कड़ पहलवान, महानगर अध्यक्ष सपा दिलीप डे दादा, आम आदमी पार्टी जिलाध्यक्ष रामशंकर पटेल, प्रो.सतीश राय, प्रदेश सचिव फसाहत हुसैन बाबू, पूर्व महानगर अध्यक्ष सपा विष्णु शर्मा, शैलेन्द्र सिंह, मनीष मोरोलिया, चंचल शर्मा, विकास कौण्डिल्य, रोहित दुबे, अनुभव राय आदि लोग उपस्थिति रहे।


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