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व्यापार मण्डल के नाम पर जीएसटी के 100 दिन बाद हुई गोष्ठी सवालों के घेरे में



 12/Oct/17

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में इन दिनों व्यापारीक संगठनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई को लेकर घमासान मचा हुआ है। भले ही ये संगठन व्यापारिक हितों की लड़ाई में कई टुकड़े में बिखर गये हैं। फिर भी इनकी अकड़ कम नहीं है। इस बिखराव में कई व्यापारी नेता अब व्यापारी हितों से अलग अपनी राजनैतिक पकड़ बनाने के लिये जोड़-तोड़ करने में जुटे हैं।

पिछले दिनों वाराणसी नगर उद्योग व्यापार मण्डल के बैनर तले जीएसटी के सौ दिन पूरे होने पर बुलाई गई संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होकर व्यापारीयों से सीधा संवाद किया। इस अवसर पर मंचासीन व्यापारीयों में कई ऐसे चेहरे नजर आये जो कभी एक-दूसरे के प्रचंड विरोधी रहे हैं। इनमें सबसे खास नाम राजेन्द्र गोयनका और मोहन लाल सरावगी रहे। दर्शक दीर्घा में बैठे एक प्रमुख समाजसेवी ने नाम न छापने की शर्त पर क्लाउन टाइम्स को बताया कि आज से लगभग 30 वर्ष पहले राजेन्द्र गोयनका-मोहनलाल सरावगी एक ही बैनर तले व्यापारीयों की नेतागिरी करते रहे अचानक दोनों नेता आपस में भिड़ गये और दो घड़े बँट गये जिनमें शरावगी और गोयनका गुट के बीच वर्चस्व की लड़ाई चर्चा में रही। गोयनका जी जहां अपने कारोबार के व्यस्तता के चलते व्यापारीयों से कटते चले गये वहीं सरावगी जी अपनों के ही अपमान को सहते हुए आज अपना वजूद बचाने के लिये संजीव सिंह बिल्लू के पीछे हो लिये हैं।

अभी कुछ वर्ष पहले नगर निगम प्रेक्षागृह में श्याम बिहारी गुट के प्रदेश स्तर के सम्मेलन में पद की लड़ाई को लेकर वाराणसी नगर उद्योग व्यापार मण्डल के वर्तमान अध्यक्ष जो कभी अजीत सिंह बग्गा और मोहन लाल सरावगी के साथ महामंत्री हुआ करते थे, सम्मेलन में ही बात इतनी बढ़ गई थी कि सरावगी जी को बिल्लू ने न केवल सबके सामने अपमानित किया बल्कि उसी दिन व्यापार मण्डल दो टुकड़ों में बंट गया। अजीत सिंह बग्गा ने अपनी सरदारी कायम रखने के लिये वाराणसी व्यापार मण्डल के गठन का ऐलान कर सरावगी को अपने साथ जोड़ लिया। वहीं दूसरी ओर नगर उद्योग व्यापार मण्डल के बैनर तले प्रेम मिश्र की अध्यक्षता में संजीव सिंह बिल्लू सहित आरके चौधरी, नारायण खेमका जैसे दिग्गज उद्योगपति एक साथ हो लिये। वर्षों तक होली मिलन समारोह का पाँच सितारा आयोजन जहां हजारों की संख्या में राजनेता से लेकर प्रशासनिक अधिकारीयों सहित व्यापारीयों की जुटान हुआ करती थी। इसी होली मिलन समारोह में गत वर्ष अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा ने मेयर जैसे प्रतिष्ठापरत पद की लालसा में खुले मंच से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया फिर क्या था, होली मिलन समारोह का रंग फीका पड़ गया। अध्यक्ष प्रेम मिश्र के साथ उनके दर्जनों साथीयों ने मंच से उतरकर वहीं ऐलान कर दिया कि व्यापारीयों का मंच राजनीति करने के लिये नहीं है। क्लाउन टाइम्स ने उसी दिन अपनी ब्रेकिंग न्यूज में इस बात का खुलासा किया था कि अब व्यापार मंडल टूटकर रहेगा,  वैसा ही हुआ।

वाराणसी नगर उद्योग व्यापार मण्डल के टूटने के बाद बने नये संगठन महानगर व्यापार मण्डल ने जहां एक ओर लगभग 5 दर्जन व्यापारिक संगठनों को न केवल अपने साथ होने का दावा किया बल्कि अपने शपथ ग्रहण समारोह में सभी संगठनों की उपस्थिति दर्ज कराने के साथ ही उनका नाम भी बैनर पर छाप दिया। इसी के जवाब में संजीव सिंह ‘बिल्लू’ ने अपने व्यापार मण्डल का स्वयं अध्यक्ष बन गये और महामंत्री की जिम्मेदारी जयदीप सिंह ‘बबलू’ को देकर एक बड़ी लकीर खिंचने के लिये सूबे के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को जीएसटी के सौ दिन पूरे होने पर बतौर मुख्य अतिथि बनाकर लगभग 400 मेहमानों के साथ पूरा हाल भर दिया। मेहमानों की फेहरिस्त में दैनिक जागरण के स्थानिय संपादक वीरेन्द्र मोहन गुप्ता उनके पुत्र डॉ. हेमन्त गुप्ता, अशोक जी अग्रवाल, डॉ. अनिल ओहरी, डॉ. अशोक सिंह सहित मंच पर भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष लक्ष्मण आचार्य, राज्यमंत्री अनिल राजभर, कैन्ट के विधायक सौरभ श्रीवास्तव, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष राकेश त्रिवेदी आदि की उपस्थिति में इसे भाजपा की राजनैतिक मंच की शक्ल में परिवर्तन कर दिया। बस यहीं से बिल्लू के विरोधी व्यापारीक संगठनों ने सवाल खड़ा करना शुरू कर दिया।

डीप्टी सीएम के आने से व्यापारी नहीं भाजपाई जुटे थे : प्रेम मिश्रा

पिछले दिनों वाराणसी नगर उद्योग व्यापार मण्डल के बैनर तले उसके अध्यक्ष संजीव सिंह ‘बिल्लू’ से अभी हाल ही में अलग हुए महानगर उद्योग व्यापार मण्डल के अध्यक्ष प्रेम मिश्रा ने पिछले दिनों जीएसटी के सौ दिन पूरे होने पर बुलाई गई संगोष्ठी में जुटी भीड़ पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए क्लाउन टाइम्स को बताया कि प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आने से पूरा हाल भाजपा के सम्मानित सदस्यों के चलते भर गया था। वाराणसी नगर उद्योग व्यापार मण्डल के बैनर तले 4-5 संगठन भी नहीं है जिन्हें गिनाया जा सके। मंच पर जो लोग मंचासीन थे उनमें अशोक गुप्ता, कुमार अग्रवाल, राजेन्द्र गोयलका से हम लोगों के भी बुलावे पर आते भी हैं। समाजसेवी अशोक जी अग्रवाल से हमारे गहरे रिश्ते हैं, रही बात मोहन लाल सरावगी की तो उनके और बग्गा गुट के बीच वर्चस्व की लड़ाई जगजाहिर है इसी का फायदा उठाकर बिल्लू ने उन्हें मंच पर बैठाया था। जबकि उनके साथ कोई व्यापारिक संगठन नहीं है। कुल मिलाकर श्री मिश्रा की माने तो जीएसटी के सौ दिन पूरे होने पर बुलाई गई संगोष्ठी का वाराणसी के किसी व्यापारिक संगठन से कोई लेना-देना नहीं है। इस सम्मेलन के माध्यम से श्री बिल्लू ने भले ही वाराणसी नगर उद्योग व्यापार मण्डल का उपयोग किया है किन्तु इसके पीछे की बुनियाद पिछले दिनों होली मिलन समारोह के दौरान मंच से मेयर पर पद के उम्मीदवारी की राजनैतिक महत्वाकांक्षा है।

दगे हुए कारतूस थे बिल्लू के जीएसटी सम्मेलन में : अजीत सिंह बग्गा

वर्षों पहले वाराणसी नगर उद्योग व्यापार मण्डल से अलग होकर वाराणसी व्यापार मण्डल का गठन कर अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने वाले अजीत सिंह ‘बग्गा’ ने जीएसटी के सौ दिन पूरे होने पर बुलाई गई व्यापारीयों की संगोष्ठी के बारे में क्लाउन टाइम्स से तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह सम्मेलन उप मुख्यमंत्री के आने से भाजपा का सम्मेलन हो गया था। इसके पीछे भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष राकेश त्रिवेदी की पहल पर संजीव सिंह ‘बिल्लू’ ने अमल करते हुए आयोजन किया था। गोष्ठी में शामिल मोहन लाल सरावगी पर व्यंग कसते हुए श्री बग्गा ने कहा कि वे दगे हुए कारतूस हैं जिन्हें मैने अभी कुछ महीने पहले अपने संगठन से निकाल दिया था। कहा कि सरावगी उसी बिल्लू के मंच पर बैठे थे जिसने उन्हें नगर निगम में व्यापारीयों के सम्मेलन में न केवल भला-बुरा कहा था बल्कि मंच से फेंकने तक की बात कही थी। श्री बग्गा इतने पर भी नहीं रूके और कहा कि खुले आम प्रेसवार्ता में श्री बिल्लू सरावगी जी का पैर छूकर माफी मांगे तो सरावगी ने दो टूक शब्दों में कहा था कि जिसे हम छोड़ देते हैं उसके तरफ ताकते नहीं। जीएसटी को लेकर डीप्टी सीएम के साथ जो बैठक हुई थी उसमें कोई व्यापारी नजर नहीं आ रहे थे मोहन लाल सरावगी, राजेन्द्र गोयनका ये सभी दगे हुए कारतूस हैं इनके साथ कोई व्यापारी नहीं है। पूरे हाल में बीएचयू सहित गांव के अलावा एक-दूसरे के संबधों में बुलाया गया था। बनारस बीट्स के अशोक गुप्ता के बारे में कहा कि उनका कोई बाजार नहीं है उन्हें जो भी बुलाए चले आते हैं। कहा कि इसी प्रकार राजेन्द्र गोयनका, कुमार अग्रवाल सभी को जो भी सम्मान से बुलाए वे चले जाते है। वैसे हमारे बुलाने पर भी ये सभी लोग आ सकते हैं किन्तु मैं दगे हुए कारतूसों को नहीं बुलाता, मैं जीवन्त आदमीयों को बुलाता हूँ।

 

कुल मिलाकर वाराणसी में कई टुकड़ों में बंटे व्यापार मण्डल के नेताओं के पीछे व्यापारीयों के लिये चलना उनकी मजबूरी हो सकती है किन्तु सही मामले में यदि किसी मुद्दे पर एकजुटता की बात हो तो आधा दर्जन से भी अधिक व्यापारिक संगठनों के नाम पर चिर-परचित चेहरे ही नजर आते हैं। कई तो ऐसे चेहरे हैं जो उम्र के अंतिम पड़ाव पर सुबह किसी पार्क में टहलते हुए नजर आते हैं। जमीनी हकीकत यही है कि जिनके हाथों व्यापारीयों की बागडोर है उनमें से कुछ को छोड़ दिया जाय तो अधिकांश अपने ही वर्चस्व की लड़ाई लड़ते नजर आ रहे हैं। ऐसे में व्यापारीयों का कितना भला होगा ये यक्ष प्रश्न सभी के सामने है।


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