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कालीन उद्योग नहीं बल्कि हमारा पुश्तैनी काम, परम्परा और संस्कृति भी है : वीरेन्द्र सिंह ‘मस्त’



 13/Oct/17

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में 4 दिवसीय कालीन मेले के समापन के अवसर पर भदोही के सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्तने पहले तो पूरे पंडाल के एक-एक स्टाल का न केवल भ्रमण किया बल्कि सभी कालीन व्यवसाय से जुड़े लोगों से सीधा संवाद भी किया। वाराणसी में आयोजित कालीन मेला वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से कालीन निर्यात संवर्धन परिषद द्वारा आयोजित 34 वां इंडिया कारपेट एक्सपो का 13 अक्टूबर शुक्रवार को समापन भदोही के भाजपा सांसद व भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के वीरेन्द्र सिंह मस्तके उपस्थिति में किया गया।

मीडिया से बातचीत करते हुए सांसद जी ने कहा कि कालीन हमारे लिये उद्योग नहीं हमारा पुश्तैनी काम, परम्परा और संस्कृति भी है। कहा कि यह एक भारतीय कुटीर उद्योग है। उन्होंने ने बताया कि अभी बहुत से देशों में भारत के कालीनों का प्रयोग होता है लेकिन इन देशों में भारत की जगह किसी अन्य देश द्वारा निर्यात किया जाता है, अभी हाल में ही उन्हें राष्ट्रपति जी के साथ इथोपिया के दौरे के सामने आई।

बुनकरों की माली हालत के सवाल पर सांसद जी यह बता पाने में असमर्थ रहे कि वे किन्तु इतना जरूर कहा कि काम के हिसाब से बुनकरों की मजदूरी तय की जाती है, साथ ही वे अपने पारम्परिक खेती तथा अन्य कार्यों से फुर्सत मिलने पर ही कालीन बुनाई का कार्य करते हैं। कालीन निर्माण ऐसी कला है जिससे किसानों को स्वावलम्बी बनाने में काफी मददगार होती है। यही कारण है कि इन बुनकरों की कारीगरी की पहचान पूरे दुनिया भर में है। केन्द्र की मोदी सरकार इनके लिए कई योजनाएं भी लाई है, जिनमें बुनकरों को पेंशन, पुरस्कार देकर उन्हे प्रोत्साहित करने के साथ ही, मुद्रा लोन के माध्यम से स्वरोजगार को भी बढ़ावा दे रही है। कालीन निर्माण में भेड़ के बालों का इस्तेमाल होता है। इसके लिये सरकार ने भेड़ पालकों के लिए नबार्ड के तहत स्वावलंबी बनाने के लिए 10 भेड़ पर 1 लाख व 100 भेंड़ पर 10 लाख की राशि दे रही है जो ब्याज मुक्त है।

हाल ही में भारतीय कालीन प्रौद्योगिकी संस्थान में एम टेक की पढ़ाई के लिए बीएचयू उसे बीएचयू में समाहित करने की प्रक्रिया चल रही है इससे जहां छात्रों को लाभ होगा वहीं नई-नई तकनीकी से कालीन उद्योग में नए तरह के उत्पाद बनाए जा सकते हैं।

4 दिनों में 337 करोड़ के कालीन निर्यात का मिला आर्डर : महावीर प्रताप शर्मा

इस दौरान पर सीईपीसी के चेयरमैन महावीर प्रताप शर्मा ने मीडिया से बातचीत करते हुए सांसद वीरेन्द्र सिंह के माध्यम से केन्द्र सरकार से मांग किया कि कालीन एक जॉब वर्ग में मांगते हुए उस पर से 5 प्रतिशत जीएसटी समाप्त हो जाना चाहिये। जिससे गांव के किसान गांव में रोजगार पाकर अपनी उन्नति कर सके। विश्व बाजार में मंदी पर चिंता जाहिर करते हुए कार्पेट एक्सपो 2017 की सफलता को संतोष जनक बताया। कहा कि इंडिया कार्पेट एक्सपो 2017 में 60 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और 4 दिनों में 2859 लोगों से अधिक व्यापारिक पूछताछ हुई साथ ही 337 करोड़ के कालीन निर्यात का ऑर्डर मिला। परिषद के चेयरमैन श्री शर्मा ने बताया कि इस मेले में पहली बार नए देशों को फोकस किया गया है। जिसका असर मेले पर दिखाई पड़ा। फेयर में सबसे अधिक अमेरिका से आयातक आये वहीं कई नए देश चिली, अर्जेंटीना, जापान, मैक्सिको, नीदरलैण्ड, पोलैण्ड, रोमानिया के आयातक आए। इन देशों के आयातकों ने अपने देश की विशेषताएं और वहां किस तरह के उत्पादों की मांग है इसके बारे में भी निर्यातकों के साथ जानकारियां साझा किया और सैंपल का आदान प्रदान किया जो आने वाले भविष्य में नए मार्केट पैदा करेगी। उन्होंने बताया कि अगला फेयर 8 से 11 मार्च तक नई दिल्ली ओखला में लगेगा। नए देशों के साथ संबंध स्थापित करने में यह 34 वां कालीन मेला सफल रहा।


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