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एपेक्स हॉस्पिटल ने विश्व आर्थराइटिस दिवस पर निकाली जागरूकता रैली



 13/Oct/17

डॉ. स्वरूप पटेल ने गठिया से बचाव एवं उपचार का दिया सन्देश

विश्व आर्थराइटिस दिवस के अवसर पर एपेक्स हॉस्पिटल ने आर्थराइटिस (गठिया) जैसे रोगों से बचाव के लिए एक जागरूकता रैली निकालकर अपने दो दिवसीय कार्यक्रम का समापन किया।  श्लोगनों, बैनर एवं पोस्टर्स के माध्यम से गठिया जैसे रोग से बचाव एवं उपचार का सन्देश आम जनमानस को दिया। रैली शहीद उद्यान नगर निगम से आरम्भ हो कर सिगरा होते हुए वापस नगर निगम पर समाप्त हो गई। रैली का उद्घाटन हॉस्पिटल द्वारा 3 से 15 वर्ष पहले घुटना एवं कुल्हा प्रत्यारोपण कराते हुए 50 वर्ष से 80 वर्ष की उम्र के मरीजों द्वारा किया गया, जिन्होंने पूरी रैली में पैदल यात्रा करके लोगों को यह सन्देश देकर सिद्ध किया कि अपने शहर में भी अब इसका सफल इलाज संभव है। इस अवसर पर रैली को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध ऑर्थो सर्जन डॉ. स्वरूप पटेल ने लोगों को बताया कि यदि समय रहते गठिया का उपचार आरम्भ कर दिया जाये तो इस रोग का निदान हो सकता है। रैली में प्रतिभाग लेने वाले हमारे सम्मानित प्रतिभागियों में श्रीमती कृष्णा सोमानी ने बताया कि वो प्रत्यारोपण के पश्चात कई बार विदेश एवं 7-8 बार भारत भ्रमण पर जा चुकी हैं, 84 कोस की परिक्रमा कर चुकी हैं।  श्रीमती सीए करकेट्टा जिनकी उम्र लगभग 75 वर्ष है ने बताया कि वो आराम पूर्वक अपने सभी कार्यों को कर लेती हैं श्रीमती राजरानी सिंह ने बताया कि नियमित व्यायाम करने से भी उनके कार्य करने की क्षमता में बढ़ोत्तरी हुई है। इसके अतरिक्त रैली में भाग लेने वाले समस्त मरीजों की भी यही राय थी और अब तो कुछ पहाड़ों पर भ्रमण का विचार कर रहे हैं।

इसी क्रम में एक संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसमें सुप्रसिद्ध हड्डी रोग सर्जन डॉ. स्वरूप पटेल ने बताया कि आँकड़े बताते है कि देश में लगभग 1 करोड़ लोग 100 से अधिक प्रकार की गठिया के रोग से ग्रसित हैं, उत्तर प्रदेश जनसंख्या में सबसे अधिक होने के कारण इस प्रदेश में गठिया के रोगी सबसे अधिक हैं। वर्तमान समय में उपलब्ध आधुनिक सुख सुविधाओं के रहते औसत उम्र में बढ़ोत्तरी हुई है और वृद्धावस्था में गठिया से ग्रसित रोगियों की संख्या बढ़ी है जिसमें महिलाओं की संख्या अधिक है जिसका एक विशेष कारण यह है कि भारतीय महिलायें अपनी सशक्त सहनशक्ति के कारण अपनी पीड़ा को छुपा जाती हैं और उनमें जटिल गठिया रिह्यूमेटोयेड या ओस्टियो अर्थराइटिस विकसित हो जाती है। यही कारण है कि पुरुषों के सापेक्ष महिलाओं में इस प्रकार की गठिया का प्रतिशत अधिक है। गठिया के विकसित होने के कारण को और स्पष्ट करते हुए उन्होंने बताया कि ये बीमारी अनुवांषिक भी हो सकती है या फिर उम्र के बढ़ने के साथ-साथ जोड़ों के बीच की हड्डी घिस जाने की वजह से होती है। थकान, सुबह जोड़ों में दर्द, जोड़ों में कठोरता, सूजन, बुखार, चलने की गति में बदलाव आदि गठिया के शुरआती लक्षण हैं और यदि आप सामान्य कमजोरी, मुँह का सूखना, सूखी खुजली, आँखों में सूजन, नींद में कठिनाई का भी अनुभव करते हैं तो ये रिह्यूमेटोयेड या ओस्टियो अर्थराइटिस के लक्षण हो सकते हैं।

सुप्रसिद्ध ऑर्थो सर्जन डॉ. मृत्युंजय सिंह ने लोगों को बताया कि यदि आपके जोड़ों में दर्द है तो आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो यह बीमारी गठिया का रूप ले लेती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि शारीरिक व्यायाम ही इस रोग से बचने का सर्वोत्तम उपाय है। इस क्रम में उनहोंने बताया कि सभी लोगों को इस रोग से बचने के लिए साधारण दैनिक व्यायाम जैसे योगा, नित्य टहलना, बागबानी, गृह-कार्य, आदि अवश्य करना चाहिए। संगोष्ठी में गठिया के बचाव के लिए एक स्वस्थ वजन बनाये रखने, धूम्रपान न करने, स्वस्थ भोजन करने, शराब से बचने और शक्कर एवं नमक का उचित मात्रा में सेवन करने की सलाह दी गई और यह भी बताया कि अधिकांश लोग जब गठिया के शुरुआती लक्षण जैसे संयुक्त जोड़ों में दर्द आदि का अनुभव करते हैं तब ये नहीं सोचते कि उन्हें गठिया है उनका पहला विचार उन्हें कुछ सौम्य चोटों की ओर ले जाता है। आमतौर पर स्वयं ही दर्द के उपचार का प्रयास करते हैं, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि शुरुआती दौर में इस रोग का इलाज केवल दवा खाने, व्यायाम करने और फिजियोथेरेपी से हो सकता है और हम 50 प्रतिशत तक इस रोग का बचाव कर सकते हैं। आधुनिक तकनीकि एवं कुशल डॉक्टरों की टीम द्वारा पूर्ण घुटना या कुल्हा प्रत्यारोपण का ऑपेरशन वर्तमान समय में एक सफल उपचार है जो कि अर्थराइटिस की अंतिम चरम सीमा पर ही किया जाता है।

संगोष्ठी में वाराणसी के सुप्रसिद्ध स्पाइन एवं ऑर्थो सर्जन डॉ. एसके सिंह भी उपस्थित थे। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि गठिया जैसे रोग का समय से उपचार एवं नियमित दवा का सेवन ही सबसे उत्तम बचाव है। उन्होंने बताया आर्थराइटिस शब्द सुनते ही हमारे मन में घुटने या कुल्हे का ध्यान आता है परन्तु इसका प्रकोप किसी भी जोड़ पर हो सकता है। स्पाइनल आर्थराइटिस (रीढ़ की गठिया) भी एक अत्यंत कष्टकारी बीमारी है जिसका समय रहते इलाज कराने से छुटकारा पाया जा सकता है।

संगोष्ठी से पूर्व एपेक्स कॉलेज ऑफ नर्सिंग एवं फिजियोथेरेपी के छात्रों ने एक पोस्टर मेकिंग एवं क्विज का भी आयोजन किया जिसमें छात्रों ने रुचि पूर्वक भाग लिया और अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। रैली एवं संगोष्ठी में पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राम आसरे सिंह, सुप्रसिद्ध स्पाइन एवं ऑर्थो सर्जन डॉ. एसके सिंह, हमारे हॉस्पिटल के द्वारा ठीक किये हुए रोगी, शहर के विभिन्न गणमान्य लोग, विभिन्न शिक्षण संस्थाओं के छात्र, एपेक्स हॉस्पिटल का स्टाफ एवं डॉक्टर्स उपस्थित थे।


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