7 अगस्त, 1905 को शुरू किए गए स्वदेशी आंदोलन ने स्वदेशी उद्योगों और विशेष रूप से हथकरघा बुनकरों को प्रोत्साहित किया था। 2015 में, भारत सरकार ने हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया और पहला राष्ट्रीय हथकरघा 7 अगस्त 2015 को मनाया गया और तब से 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
आज इसी कड़ी में सनबीम लहरतारा में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया गया, कार्यक्रम की शुरुआत तुलसी वेदी पर दीप प्रज्वलन के साथ हुआ तत्पश्चात सनबीम विद्यालय समूह के चेयरपर्सन डॉ दीपक मधोक एवं वाईस चेयरपर्सन श्रीमती भारती मधोक ने उपस्थित अतिथियों एवं अभिभावकों का स्वागत किया।
इस कार्यक्रम में साड़ी बुनाई से सम्बंधित एक फिल्म दिखाई गई और छात्रों ने विभिन्न प्रकार के हथकरघा से निर्मित वस्त्रों के पीछे की कलात्मकता और हमारे कुशल कारीगरों के समर्पण के बारे में उत्साहपूर्वक बताया।
सनबीम विद्यालय समूह के चेयरपर्सन डॉ दीपक मधोक ने हथकरघा एवं बनारस के सदियों पुराने सम्बन्ध के बारे में चर्चा की जहा से बनारसी और खादी वस्त्रों की उत्पत्ति हुई। इसके साथ ही उन्होंने सम्मानित अतिथि, पद्मश्री श्रीभास सुपाकर की गरिमामयी उपस्थिति के लिए उनका आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर स्तुति वीव्स की निदेशक सुश्री आनंदना सिंह, स्तुति वीव्स के परिचालन निदेशक श्री आर्य सिंह और INTACH इंडिया के संयोजक श्री अशोक कपूर, सम्मानित कारीगरों के साथ शिल्प कौशल से जुड़े करीगर और शिल्प परंपरा की सराहना की । अंत में पद्मश्री श्रीभास सुपाकर ने शिल्प कारीगरों को सम्मानित किया और हथकरघा वस्त्रों के महत्व पर प्रकाश डाला ।
इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए प्रधानाचार्या श्रीमती परवीन कैसर उपस्थित अतिथियों एवं अभिभावकों को हार्दिक धन्यवाद दिया ।