UP By Election Result 2024 : यूपी के उप चुनाव से लेकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मिली ऐतिहासिक जीत में PM मोदी का "एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे" और CM योगी का "बंटेंगे तो कटेंगे" वाला जादू।
यूपी उपचुनाव की 9 सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा गठबंधन ने 7 सीटों पर जीत दर्ज कर ऐतिहासिक जीत हासिल किया है। सपा को दो सीटें सीसामऊ और करहल पर जीत हासिल हुई है। उपचुनाव में भाजपा ने सपा से 2 सीटें छीन लीं।
इस चुनाव में भाजपा गठबंधन ने 9 में से सात सीटों पर जीत हासिल की है जबकि सपा को केवल दो सीटों पर जीत मिली है। करहल और सीसामऊ सीट पर जहां सपा के उम्मीदवारों ने बाजी मारी है, वहीं कटेहरी, गाजियाबाद, खैर, फूलपुर, मझंवा और कुंदरीकी में बीजेपी ने जीत दर्ज की है जबकि मीरापुर सीट आरएलडी के खाते में गई है।
इस चुनाव में भाजपा गठबंधन ने 9 में से 7 सीटों पर जीत हासिल की है जबकि सपा को केवल 2 सीटों पर जीत मिली है। उपचुनाव के परिणामों की बात करें तो सीसामऊ से सपा उम्मीदवार नसीम सोलंकी ने जीत हासिल की है जबकि करहल से सपा नेता तेज प्रताप यादव को जीत हासिल हुई है। वहीं खैर से भाजपा उम्मीदवार सुरेंद्रर दिलेर, गाजियाबाद से भाजपा नेता संजीव शर्मा, कटेहरी में भाजपा के धर्मराज, मझवां में भाजपा की सुचिस्मिता और फूलपुर में दिलीप पटेल ने जीत हासिल की है। वहीं कुंदरकी में भाजपा के रामवीर सिंह ने जीत हासिल की है, इस चुनाव में मीरापुर में रालोद के प्रत्याशी मिथलेश पाल ने जीत हासिल की है।
बता दें कि 12 साल पहले पूर्ण बहुमत से सत्ता में रही बहुजन समाज पार्टी सिर्फ 2 सीटों (कटेहरी और मझवां) पर ही अपनी जमानत बचा सकी। दो सीटें तो ऐसी रहीं, जहां चंद्रशेखर और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी से भी पीछे रही।
मुस्लिम बहुल कुंदरकी में बीजेपी ने रचा इतिहास और सपा का हुआ बुरा हाल
मुस्लिम बहुल कुंदरकी विधानसभा सीट पर भाजपा ने 1,43,192 वोटों से जीत हासिल की है।
कुंदरकी में 31 साल बाद भाजपा को मिली ऐतिहासिक में चौंकाने वाले उलट-फेर की बात करें तो मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर 60% मुस्लिम वोटर्स हैं। इस सीट पर सपा सहित सभी 11 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। भाजपा प्रत्याशी रामवीर सिंह ने यहां 1.44 लाख वोटों से ऐतिहासिक जीत हासिल किया। इस चुनाव की यह सबसे बड़ी जीत है। 31 साल बाद कुंदरकी सीट पर भाजपा की एकतरफा जीत हुई है। यह तीसरी बार था जब रामवीर सिंह ने रिजवान के बीच मुकाबला हुआ। पहली बार भाजपा को यहां से जीत मिली। यह जीत रामवीर सिंह के लिए राजनीति में मील का पत्थर है। भाजपा के लिए भी कई मायनों में यह जीत ऐतिहासिक है।
कटेहरी में सांसद लालजी वर्मा की पत्नी चुनाव हार गईं
अंबेडकरनगर में सपा सांसद लालजी वर्मा अपनी पत्नी शोभावती वर्मा को नहीं जिता पाए। भाजपा के धर्मराज निषाद ने 34 हजार वोटों से जीत हासिल की है। विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव, लालजी वर्मा अपने गृह क्षेत्र टांडा में बड़ी लीड लेते रहे हैं, लेकिन भाजपा ने यहां भी बढ़त बना ली। जून में लालजी विधायक से सांसद बने थे।
करहल सीट पर सपा के तेज प्रताप की जीत का अंतर घटा
करहल सीट अखिलेश यादव के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई थी। 2022 में अखिलेश 67,504 वोटों से जीते थे। उप चुनाव में अखिलेश के भतीजे तेज प्रताप 14,725 वोटों से जीते हैं। भाजपा के अनुजेश प्रताप ने कड़ी टक्कर दी और 89,579 वोट हासिल किए।
सीसामऊ से सपा की नसीम सोलंकी पारिवारिक विरासत बचाने में रहे कामयाब
सीसामऊ सीट पर सपा की नसीम सोलंकी पारिवारिक विरासत बचाने में कामयाब रहीं। उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार सुरेश अवस्थी को 8,564 वोटों से हराया। इरफान सोलंकी के जेल जाने के बाद सपा ने उनकी पत्नी नसीम सोलंकी को सीसामऊ से उतारा था। नसीम सोलंकी जहां एक ओर दरगाह गईं, वहीं दूसरी ओर उन्होंने मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक भी किया। करीब 8500 वोटों से जीत मिलने पर कहा कि सबसे पहले पति इरफान से मिलने जेल जाऊंगी। 2022 के विधानसभा चुनाव में नसीम के पति इरफान सोलंकी ने 12,226 वोटों से जीत हासिल की थी।
UP में प्रचंड जीत के बाद CM योगी पहुँचे BJP मुख्यालय
उप चुनाव में मिली जीत के बाद सीएम योगी लखनऊ में भाजपा मुख्यालय पहुंचे। उन्होंने दोहराया कि बंटेंगे तो कटेंगे। कहा कि कुंदरकी में राष्ट्रवाद की विजय है। हर व्यक्ति को अपने जड़ और मूल की याद आती है। मुझे लगता है कि जो भूले भटके रहे होंगे, उन सबमें किसी को अपना गोत्र याद आया होगा, किसी को अपनी जाति याद आई होगी।
वहीं सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने X पर लिखा- अब तो असली संघर्ष शुरू हुआ है… बांधे मुट्ठी, तानो मुट्ठी और पीडीए का करो उद्घोष।
कुल मिलाकर यूपी की नौ सीटों में हुए उपचुनाव के परिणाम इस बात की गवाही है कि सीएम योगी की आक्रामक छवि, धार्मिक एकजुटता का उनका एजेंडा और जातियों में न बंटने वाली उनकी अपील काम कर गई। वोटरों ने बंटेंगे तो कटेंगे नारे पर अपनी मुहर लगाई। लोकसभा चुनावों के उलट इन चुनावों में भाजपा से छिटका ओबीसी और दलित वर्ग भी उसके साथ आया है। चुनाव परिणाम ने यह साबित कर दिया है कि सपा के PDA फार्मूला को दलितों ने उस तरह से वोट नहीं किया जैसे उसने लोकसभा के चुनावों में वोट किया था। कांग्रेस की इन चुनावों से दूरी भी सपा के लिए नुकसानदेह और भाजपा के लिए फायदेमंद रहीं।