पैलेट - डेयर टू बी डिफरेंट
सनबीम स्कूल इंदिरा नगर के वार्षिकोत्सव ‘‘पैलेट-डेयर टू बी डिफरेंट’’ में विद्यालय के छात्र-छात्रओं ने अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया। ‘‘खुद को अलग दिखाने का साहस करना’’ विषय को बच्चों ने कार्यक्रम में अपनी प्रतिभा के द्वारा बखूबी दर्शाया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। हमारे विशेष अतिथि सीबीएसई उत्कृष्टता के प्रमुख सचिव डॉ अखिलेश कुमार जो हमारे विद्यालय के एक अभिभावक भी हैं की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम में चार चांद लगा दिया। उन्होंने कार्यक्रम कि प्रशंसा करते हुए छात्रों की शिक्षा के साथ साथ उनके समग्र विकास के लिए ऐसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देने का सुझाव दिया।
सर्वप्रथम बच्चों ने ‘‘आग्रह- संरक्षण की गुहार’’ (आर्केस्ट्रा) के माध्मय से सप्त सुरों की माला में पिरोकर लगाई। तत्पश्चात् समाज में बदलाव लाने वाली मीराबाई, राजा राममोहन राय, डाक्टर भीमराव अंबेडकर, संत कबीर जैसे महामानवों को ‘‘युग प्रवर्तक’’ कार्यक्रम के द्वारा बच्चों ने बखूबी दर्शाया जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। महाभारत का धर्म युद्ध जो अधर्म एवं अनीति के विरुद्ध लड़ा गया था। ‘‘धर्म युद्ध - मूल्यों का संघर्ष’’ नाट्य मंचन के माध्यम से बच्चों ने भावात्मक ढंग से प्रस्तुत किया। तदनन्तर ‘‘परिधान-एक अंतर के साथ पर्दे पर’’ माडलिंग को के.जी. के नन्हें मुन्ने़ बच्चों ने एक अलग ढंग से प्रस्तुत किया जो दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर गया। तत्पश्चात् कैकेयी के जीवन पर आधारित ‘अर्ध सत्य-सत्य का दूसरा पक्ष’ को बच्चों ने अपने अभिनय के द्वारा जीवंत रूप दिया। तदंतर पैरालंपिक में हमारे देश का नाम रोशन करने वाली दीपा मलिक रीड़ की हड्डी का ट्यूमर होने के पश्चात् उन्होंने 2016 में 46 वर्ष की उम्र में पैरालंपिक खेलों में पदक जीतकर इतिहास रच दिया। जिसे बच्चों ने अपने अभिनय के माध्यम से प्रस्तुत कर दीपा मलिक को सम्मान प्रदान किया। जिसने दर्शकों की आत्मा को झकझोर दिया। समन्वय के माध्यम से नृत्य के विभिन्न नाम आयामों को दर्शाते हुए बच्चों ने दर्शक दीर्घा को तालियों की गड़गड़ाहट करने पर मजबूर कर दिया। इस रंगारंग कार्यक्रम से प्रभावित होकर सनबीम समूह के अध्यक्ष डा. दीपक मधोक एवं सह-अध्यक्ष भारती मधोक ने बच्चों की सराहना की एवं उन्हें ऐसे ही आगे बढ़ाने की प्रेरणा देते हुए कहा कि परिवर्तन ही जीवन का शाश्वत नियम है और इस बदलाव को ही अपनाकर जीवन में सफलता प्राप्त की जा सकती है। विद्यालय की सह-निदेषक श्रीमती प्रतिमा गुप्ता ने अभिभावकों से कार्यक्रम द्वारा दिए गए बदलाव के संदेश को आत्मसात करने का अनुरोध करते हुए उनके सहयोग के लिए उन्हें धन्यवाद प्रदान किया। कार्यक्रम का समापन प्रधानाचार्या द्वारा धन्यवाद ज्ञापन एवं राष्ट्रगान के साथ हुआ।