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डैलिम्स सनबीम ग्रुप ऑफ स्कूल्स में प्रधानचार्यों के लिए क्वाण्टम इम्पैक्ट द्वारा कार्यशाला



 25/Nov/24

'डैलिम्स सनबीम ग्रुप ऑफ स्कूल्स' की रोहनियाँ, वाराणसी शाखा में प्रातः 9:00 से सायं 4:30 बजे तक 'क्वांटम इम्पैक्ट' की ओर से 'सी०बी०एस०ई०' बोर्ड के सम्मानित विद्यालयों के प्रधानाचार्यों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसके मुख्य प्रवक्ता अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शिक्षाविद् मिस्टर मार्क बिट्रीप जी रहे। कार्यशाला का मुख्य विषय था- विद्यालयों में प्रधानाचार्यों का नेतृत्व ।

कार्यशाला का शुभारम्भ से पूर्व डैलिम्स सनबीम के संस्थापकद्वय डॉ० अमृत लाल इशरत एवं मैडम दीश इशरत के चित्र पर मार्त्यापण कर दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। तत्पश्चात डैलिम्स सनबीम स्कूल के अध्यक्ष डॉ० प्रदीप 'बाबा' मधोक, निदेशिका श्रीमती पूजा मधोक, अतिरिक्त निदेशिक श्री माहिर मधोक, डीन ऑफ अकेडमिक श्री शुभोदिप डे एवं प्रधानाचार्या श्रीमती गुरमीत कौर द्वारा अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शिक्षाविद् मिस्टर मार्क बिट्रीप का स्वागत पुष्प गुच्छ, उत्तरीय एवं स्मृति चिह्न भेंट करके किया गया।

तदोपरांत संस्था के अध्यक्ष महोदय ने मुख्य प्रवक्ता एवं प्रधानाचार्यों का अभिनंदन करते हुए कार्यशाला के मुख्य उद्देश्यों से अवगत कराया।

कार्यशाला में मिस्टर बिट्रीप ने प्रधानाचार्यों के नेतृत्व संबंधी निम्नलिखित मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला-

1. तनाव मुक्त नेतृत्व

2. आत्मविश्वास के साथ नेतृत्व भाव

3. Group of Educational Institutions त्वरित निर्णय लेने की क्षमता का विकास

4. शिक्षक व स्व-सशक्तिकरण

5. छात्रों के चहुँमुखी विकास पर बल

6. शिक्षा संबंधी उपयुक्त नीतियों में परिवर्तन

7. भविष्य पर आधारित पाठ्यक्रम

कार्यशाला में वाराणसी के लगभग 60 प्रधानाचार्यों की गरिमामयी उपस्थिति रही।

संस्था की निदेशिका श्रीमती पूजा मधोक ने अपने प्रेरणार्थक भाषण में बताया कि संस्था द्वारा इस कार्यशाला का आयोजन कराने का मुख्य उद्देश्य प्रधानाचार्यों को नवाचार एवं नई शिक्षा नीति के तथ्यों से स्वयं को जोड़ना है।

कार्यशाला के अंत में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती गुरमीत कौर ने उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि प्रधानाचार्यों के लिए यह कार्यशाला अत्यन्त ही उपयोगी एवं प्रभावशाली सिद्ध होगी। इससे प्रधानाचार्यों को आने वाले समय में विद्यार्थियों एवं विद्यालयों का सर्वांगिण विकास करने में सहायता मिलेगी।

डैलिम्स सनबीम ग्रुप ऑफ स्कूल्स में प्रधानचार्यों के लिए क्वाण्टम इम्पैक्ट द्वारा कार्यशाला

'डैलिम्स सनबीम ग्रुप ऑफ स्कूल्स' की रोहनियाँ, वाराणसी शाखा में प्रातः 9:00 से सायं 4:30 बजे तक 'क्वांटम इम्पैक्ट' की ओर से 'सी०बी०एस०ई०' बोर्ड के सम्मानित विद्यालयों के प्रधानाचार्यों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसके मुख्य प्रवक्ता अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शिक्षाविद् मिस्टर मार्क बिट्रीप जी रहे। कार्यशाला का मुख्य विषय था- विद्यालयों में प्रधानाचार्यों का नेतृत्व ।

कार्यशाला का शुभारम्भ से पूर्व डैलिम्स सनबीम के संस्थापकद्वय डॉ० अमृत लाल इशरत एवं मैडम दीश इशरत के चित्र पर मार्त्यापण कर दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। तत्पश्चात डैलिम्स सनबीम स्कूल के अध्यक्ष डॉ० प्रदीप 'बाबा' मधोक, निदेशिका श्रीमती पूजा मधोक, अतिरिक्त निदेशिक श्री माहिर मधोक, डीन ऑफ अकेडमिक श्री शुभोदिप डे एवं प्रधानाचार्या श्रीमती गुरमीत कौर द्वारा अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शिक्षाविद् मिस्टर मार्क बिट्रीप का स्वागत पुष्प गुच्छ, उत्तरीय एवं स्मृति चिह्न भेंट करके किया गया।

तदोपरांत संस्था के अध्यक्ष महोदय ने मुख्य प्रवक्ता एवं प्रधानाचार्यों का अभिनंदन करते हुए कार्यशाला के मुख्य उद्देश्यों से अवगत कराया।

कार्यशाला में मिस्टर बिट्रीप ने प्रधानाचार्यों के नेतृत्व संबंधी निम्नलिखित मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला-

1. तनाव मुक्त नेतृत्व

2. आत्मविश्वास के साथ नेतृत्व भाव

3. Group of Educational Institutions त्वरित निर्णय लेने की क्षमता का विकास

4. शिक्षक व स्व-सशक्तिकरण

5. छात्रों के चहुँमुखी विकास पर बल

6. शिक्षा संबंधी उपयुक्त नीतियों में परिवर्तन

7. भविष्य पर आधारित पाठ्यक्रम

कार्यशाला में वाराणसी के लगभग 60 प्रधानाचार्यों की गरिमामयी उपस्थिति रही।

संस्था की निदेशिका श्रीमती पूजा मधोक ने अपने प्रेरणार्थक भाषण में बताया कि संस्था द्वारा इस कार्यशाला का आयोजन कराने का मुख्य उद्देश्य प्रधानाचार्यों को नवाचार एवं नई शिक्षा नीति के तथ्यों से स्वयं को जोड़ना है।

कार्यशाला के अंत में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती गुरमीत कौर ने उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि प्रधानाचार्यों के लिए यह कार्यशाला अत्यन्त ही उपयोगी एवं प्रभावशाली सिद्ध होगी। इससे प्रधानाचार्यों को आने वाले समय में विद्यार्थियों एवं विद्यालयों का सर्वांगिण विकास करने में सहायता मिलेगी।

 


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