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अत्‍यअधिक धूप या गर्मी के कारण होता हैं हीटस्‍ट्रोक : डॉ.संजय राय



 10/Jun/20

 

डॉ. संजय राय, प्रदेश उपाध्यक्ष आइएमए व सचिव रेडक्रॉस सोसाइटी की विशेष सलाह। जब वातावरण का तापमान ज्यादा होता है तो लू या हीट वेव से शरीर प्रभावित होता है।

"हीट स्ट्रोक" को उष्माघात भी कहा जाता है। इसमें अत्यधिक धूप या गर्मी से पीड़ित के शरीर का तापमान बढ़ने लगता है। मनुष्य के शरीर का तापमान सामान्य अवस्था में 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट होता है। लू या हीटस्ट्रोक की अवस्था में यह 100 डिग्री से ज्यादा हो जाता है।

कारण: तेज धूप या अत्यधिक गर्मी के कारण शरीर का तापमान बढ़ना। साथ ही शरीर में निर्जलीकरण यानि पानी की कमी। शरीर में रक्त शर्करा की भी कमी हो जाती है।

हीट स्‍ट्रोक के लक्षण :

चक्कर आना, उल्टी या मिचली। तेज बुखार व सर दर्द। माँसपेशियों में खिंचावट। शरीर में थकावट व कमजोरी। नाड़ी तेज चलना व रक्तचाप में कमी। भ्रम की स्थिति या बेहोशी।

इसके बचाव:

तेज धूप में निकलने से बचे। तेज धूप में निकलना बहुत जरूरी हो तो सर व चेहरे को हमेशा ढक कर रखें। छाता, टोपी, गमछा, दुपट्टा और काले चश्मे का प्रयोग जरूर करें। पतले व हल्के रंग के वस्त्र पहनें। अपने साथ पीने का स्वच्छ पानी जरूर रखें व निश्चित अन्तराल के बाद पानी पीते रहें। फलों का रस या नारियल का पानी लाभदायक होता है। निम्बू पानी, आम या बेल का रस भी फायदेमंद होता है। लस्सी, छाछ या मठ्ठा भी लाभकारी होता है।

शरीर में पानी की कमी महसूस होने पर ओआरएस ( ओरल रीहाईड्रेशन सॉल्यूशन ) का घोल का इस्तेमाल करें। अपने घरों को ठंडा रखें, दरवाजे व खिड़कियों पर पर्दे लगवाना उचित होता है।

यदि सम्भव हो तो दोपहर 12 बजे से 4 बजे के मध्य धूप में बाहर बिल्कुल न निकले। गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चे व बुजुर्गों का विशेष ख्याल रखें। जरूरत पड़ने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें।


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