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राज्य सूचना आयुक्त स्वतंत्र प्रकाश ने सूचना के अधिकार के तहत लंबित वादों के निस्तारण के संबंध में की समीक्षा बैठक



 26/Apr/25

उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य जिसमें आयोग के समक्ष सीधे ऑनलाइन अपील/ शिकायत की जा सकती है

जनसूचना अधिकारी वादी को सकारात्मक रुप से सूचना देने का मन बनाएं

अधिकारीगण 30 दिनों के अंदर सूचना अवश्य उपलब्ध कराएं

सूचना अधिकार कानून का उद्देश्य सद्भावनापूर्वक व सकारात्मक सोच के साथ सूचना प्रदान करना है।

जन सूचना जनता का अधिकार है और आप सभी का दायित्व संविधान की भावना के अनुरूप कार्यवाही करना है : सूचना आयुक्त

वाराणसी। मा. राज्य सूचना आयुक्त स्वतंत्र प्रकाश द्वारा आज सर्किट हाउस में जनपद में सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के तहत लंबित वादों के शीघ्र निस्तारण के संबंध में सभी विभागों के जनसूचना अधिकारियों/प्रथम अपीलीय अधिकारियों के साथ आवश्यक समीक्षा बैठक की गई।कहा कि आयोग स्तर से पुराने लंबित वादों का निस्तारण तेजी से किया गया है लेकिन जनपद स्तर पर जागरूकता के अभाव में बहुत से वादों का निस्तारण नहीं हो पाता है,जिससे लोगों के मन में संदेह पैदा होता है,जिसे दूर करने की जरूरत है।इसीलिए बिना वजह वादों को लंबित न रखें और वादों का तय समय में निस्तारण कराना सुनिश्चित करें। मा. आयुक्त द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम के बारे में गहनतापूर्वक जानकारी दी गई।तथा इस क्रम में सूचना अधिकार के विधिक पहलुओं से अधिकारीगणों को अवगत कराया। उन्होंने विभिन्न विभागों से आए जन सूचना अधिकारियों को अपील और शिकायत के अंतर को भी बारीकी से समझाया।उन्होंने अधिकारियों को रुचि लेकर और आपस में सामंजस्य बनाकर प्राथमिक स्तर पर ही वादों का निस्तारण सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए।उन्होंने उत्तर प्रदेश सूचना अधिकार नियमावली-2015 को सभी अधिकारियों को पढ़ने की सलाह दी।इसके अलावा उत्तर प्रदेश सूचना संशोधन नियमावली-2019 के अंतर्गत आने वाली महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में तथा सेक्शन 4. 1 (B) के विषय मे भी जानकारी दी।

मा.राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि सूचना देने में अनावश्यक विलंब नहीं करनी चाहिए व निर्धारित अवधि 30 दिनों के अंदर सूचना प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जन सूचना जनता का अधिकार है और आपका दायित्व है कि लोगों को समय से सूचना उपलब्ध कराएं।उन्होंने सेक्शन 8,9 के संबंध में अधिकारियों से पूछ ताछ करने के साथ ही कहा की सभी जन सूचना अधिकारियों /प्रथम अपीलीय अधिकारियों के टेबल पर नेम प्लेट लगना चाहिए। उन्होंने कहा की हम सभी जनता की सेवा करने के लिए बैठे हैं तो फिर उसका पालन भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब कोई गरीब असहाय व्यक्ति आयोग में पहुंचता है और जनपद स्तर पर उसकी सुनवाई नही होती है तो निश्चित रूप से तकलीफ होती है, ये बहुत ही गंभीर विषय है, इसलिए अधिकारी गण ध्यान दें, जो सूचनाएं नहीं दी जा सकती उन सूचनाओं को इनकार करने की भी सूचना दें और उसके बारे में स्पष्ट उल्लेख करे। अगर सूचना किसी अन्य विभाग से संबंधित है तो स्पष्ट रूप से उसका अंतरण अन्य विभाग को करे और लिखे कि यह मेरे विभाग से संबंधित नहीं है। अपने पास आर.टी.आई कभी भी लंबित न रखें।उसका जवाब 30 दिनों के भीतर अवश्य दें। सूचना अगर विस्तृत हो या अवलोकन करना हो तो उसके बारे में भी समय निर्धारित किया जाय।

मा.सूचना आयुक्त ने कहा कि वादी द्वारा मांगी गई सूचना देने में वही भाव रखें जो यदि खुद के द्वारा इस अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना की प्राप्ति की अपेक्षा में रहता है। उन्होंने कहा कि वादी के स्थान पर स्वयं रहकर हमेशा सोचना चाहिए और सूचनाओं का उत्तर अविलंब दे देना चाहिए। उन्होनें कहा कि अधिकारियों को सूचना के अधिकार अधिनियम की मूलभूत जानकारी रखनी चाहिए। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचनाओं के संदर्भ में लोकहित को प्राथमिकता दी जानी चाहिए तथा सूचनाओं को प्रदान करने में अनावश्यक विलंब नहीं किया जाना चाहिए।यदि विलंब हुआ तो उसका स्पष्ट कारण अवश्य दें।सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचना के संदर्भ में पूरी जानकारी अर्थात सूचना कब प्राप्त हुई, सूचना का विषय, सूचना की स्थिति आदि के संदर्भ में पूरी जानकारी एक पंजिका में रखी जानी चाहिए। इस अवसर पर संबंधित विभाग के जनसूचना अधिकारी/अपीलीय अधिकारी उपस्थित रहे।

 


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