पत्रकार रंजीत गुप्ता के निष्कासन मामले में पत्रकार संघ आया बैक फुट पर
वाराणसी में पत्रकारों की प्रतिष्ठित संस्था काशी पत्रकार संघ को वाराणसी प्रेस क्लब से मिली करारी हार। वाराणसी के हुकुलगंज स्थित फर्म्स सोसायटी एवं चीट्स के सहायक निबंधक मंगलेश सिंह पालीवाल ने वर्ष 2018 से 2025 तक चले मुकदमे में काशी पत्रकार संघ और वाराणसी प्रेस क्लब के विद्वान अधिवक्ताओं पंकज त्रिपाठी, विनोद शंकर उपाध्याय, अजय मुखर्जी व राहुल सिंह की महिनों चली बहस के बाद अंततः सभी साक्ष्य और प्रमाण को देखने के पश्चात फाइल को बंद कर दिया था।
इसके पश्चात् कई महीनों तक पत्रावली का परीक्षण करने के पश्चात सहायक निबंधक महोदय ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से "वाराणसी प्रेस क्लब" मकान न. सी.के. 60/7, कर्णघण्टा, वाराणसी से पंजीकृत संस्था जिसका पंजीकरण संख्या-1266/ 2015-16 है, जिसके अध्यक्ष राजेश गुप्ता और महामंत्री अशोक मिश्र "क्लाउन" है, को सही मानते हुए काशी पत्रकार संघ के दावे को खारिज कर दिया है।
बता दें कि सहायक निबंधक के फैसले में स्पष्ट रूप से लिखा है कि संस्था काशी पत्रकार संघ (बनारस जर्नलिस्ट एसोसिएशन) पराड़कर स्मृति भवन, वाराणसी का पंजीकरण सो. रजि.एक्ट. 1860 के अंतर्गत प्रमाण पत्र संख्या-343/1955-56 दिनांक 5/1/1956 को किया गया था एवं संस्था वाराणसी प्रेस क्लब मकान न. सी.के. 60/7, कर्णघण्टा, वाराणसी का पंजीकरण सो.रजि.एक्ट.1860 के प्रावधानों के अंतर्गत प्रमाण पत्र संख्या1266/ 2015-16 दिनांक 2/2/2016 को पत्रावली संख्या वी-50165 है। दोनों संस्थाएं भिन्न-भिन्न नाम एवं प्रतिशत पंजीकृत है। एक महत्वपूर्ण तथ्य आवश्यक है कि काशी पत्रकार संघ द्वारा जो संशोधित पत्रवली प्रस्तुत की गई उसमें वाराणसी प्रेस क्लब का उल्लिखित है किंतु प्रश्नगत प्रकरण सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 की धारा 12 (डी) से अच्छादित न होने के कारण अग्रेतर कोई कारवाई किया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है। दोनों संस्थाओं का पृथक-पृथक अस्तित्व एवं उनके द्वारा अपने-अपने उद्देश्यों एवं नियमावली में वर्णित प्रावधानों के अंतर्गत कार्य किया जाना उचित होगा।
यहां गौर करने वाली बात है कि आज की साधारण सभा में मुकदमा हारने वाले पदाधिकारी काशी पत्रकार संघ के सम्मानित सदस्यों अजय राय, रमेश राय, वेद प्रकाश, बीबी यादव, जितेंद्र श्रीवास्तव आदि के द्वारा वाराणसी प्रेस क्लब के फैसले पर पूछने पर सभी को गोल-गोल घुमाते रहे। इतना ही नहीं क्लाउन टाइम्स के प्रधान संपादक अशोक मिश्र "क्लाउन" के पक्ष में खुलकर खड़े रहने वाले काशी पत्रकार संघ के पूर्व अध्यक्ष सुभाष सिंह न जाने किन अज्ञात कारणों से खुलकर सच नहीं बोल रहे हैं। यहाँ गौर करने वाली बात है कि चाहे काशी पत्रकार संघ हो अथवा वाराणसी प्रेस क्लब या उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट एसोसिएशन सभी संगठन पत्रकार हितों में काम कर रहे हैं।
लेकिन जब से काशी पत्रकार संघ में एक गंदी सोच वाला घटिया पत्रकार जिसे समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन के महामंत्री अजय मुखर्जी ने ट्रेड यूनियन का ककहरा सिखाया और संघ का अध्यक्ष बनवाया तभी से इसने अपने विरोधी पत्रकार साथियों को संघ से एक-एक करके अकारण बाहर निकालना शुरू कर दिया था। जिसका परिणाम रहा कि इसे किसी अखबार मालिक ने चपरासी की नौकरी देना भी गवारा नहीं समझा। आज इसकी गंदी राजनीति के चलते वरिष्ठ और गंभीर पत्रकार साथियों में इसकी थू-थू हो रही है और इसकी गोलबंदी के चलते कोई भी सम्मानित पत्रकार इसको मुंहतोड़ जवाब नहीं दे रहा है, यही कारण है कि काशी पत्रकार संघ की साख पर लगातार बट्टा लगा रहा है। खैर इसके किए की सजा इसे ऊपर वाले ने दे दिया है, आज अपनी रोजी-रोटी के लिए BB के नामपर LIC एजेंट बनकर बीमा करने में जुटा है और संघ की बैठक में बिना किसी पद पर रहते हुए ज्ञान बांटता फिरता है।
बताते चलें कि जब से वाराणसी प्रेस क्लब का गठन हुआ है तब से पत्रकार हितों के सवाल पर क्लब से जुड़े पदाधिकारी हमेशा तन, मन, धन से खड़े रहने की पूरी कोशिश किया है, इसमें सबसे बड़ा उदाहरण वरिष्ठ फोटो पत्रकार विजय सिंह और मंसूर आलम और वरिष्ठ संजय मिश्रा के लिए किया गया योगदान सभी की जुबान पर है। आज यह लोग इस दुनिया में नहीं है, लेकिन वाराणसी प्रेस क्लब के दिलों में हैं।
वैसे तो आज की साधारण सभा में काशी पत्रकार संघ के चुनाव और वाराणसी प्रेस क्लब का मुकदमा हारने के बाद क्लब का चुनाव कराने तथा वरिष्ठ पत्रकार रंजीत गुप्ता को गैर कानूनी तरीके से संघ से निकाले जाने का मामला छाया रहा। रंजीत गुप्ता के मामले में भी सहायक निबंधक फर्म सोसायटी एवं चिट्स ने काशी पत्रकार संघ के पदाधिकारियों को ताकीद किया है कि वे निष्कासन के मामले में स्वयं निर्णय लें, अन्यथा इस पर भी फैसला आने वाला है।
पत्रकार रंजीत के मामले में भी संघ की साधारण सभा में उपस्थित गंभीर पत्रकार साथियों और पदाधिकारियों ने इनके गैर कानूनी निष्कासन के सभी प्रमाण देखने के बाद सदस्यता बहाली के पक्ष में फैसला करने का मन बना चुके थे, लेकिन यहां भी अजय मुखर्जी का चेला संघ का पूर्व पदाधिकारी अपने चंद नटुल्ले और खुराफाती पत्रकारों के साथ विरोध करने लगा। अब देखना है रंजीत गुप्ता के मामले में पत्रकार संघ के जिम्मेदार पदाधिकारी क्या निर्णय लेते हैं।
अंत में हम यही कहेंगे कि अभी भी समय है, काशी पत्रकार संघ के जिन पदाधिकारियों को वाराणसी के सम्मानित पत्रकार साथियों ने चुनाव जिताकर संघ की कुर्सी पर बैठाया है उन्हें पत्रकार हितों में कार्य करना चाहिए न कि वाराणसी प्रेस क्लब जैसे प्रतिष्ठित संगठन से मुकदमेंबाजी में अपना समय गवना चाहिए।