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आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में मिली जमानत, वरूण प्रताप सिंह की‌‌ रहीं दलील



 01/Jul/20

विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) लोकेश राय की अदालत ने शादी का वादा करके न करनें पर लड़की द्वारा आत्महत्या करनें पर आरोपी तौकीर की जमानत अर्जी मंजूर कर ली। बचाव पक्ष के अधिवक्ता वरूण प्रताप सिंह के अनुसार तौकीर एवं वादिनी जेबा पड़ोसी है तथा आपसी विवाद के कारण उसे इस मामले में फंसाया गया है। घटना की रिपोर्ट दिनांक 29 मई 2020 को पंजीकृत ना करा कर दिनांक 31 मई 2020 को पंजीकृत कराई गई है। मृतका तीन दिन तक शिवप्रसाद गुप्ता कबीर चौरा अस्पताल में जेरे इलाज रही परंतु इस दौरान किसी चिकित्सक अथवा मजिस्ट्रेट के सक्षम कोई बयान नहीं कराया गया है। आवेदक अभियुक्त तौकीर व मृतका जेबा के मध्य मोबाइल से कभी कोई बातचीत नहीं हुई है और न ही उसके मध्य कोई प्रेम-प्रसंग था और न ही आवेदक द्वारा मृतका को शादी का वादा किया गया था। अभियुक्त द्वारा मृतका को आत्महत्या के लिए उकसाने का कोई साक्ष्य नहीं है। अतः याचना की गई है कि आवेदक अभियुक्त तौकीर के विरुद्ध धारा 306 का अपराध नहीं बनता है।

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता द्वारा जमानत प्रार्थना पत्र का विशेष करतें हुए यह तर्क दिया है कि कोई भी व्यक्ति सामान्यतः अकारण आत्महत्या नहीं करता। आवेदक अभियुक्त व मृतका के मध्य प्रेम प्रसंग चल रहा था। आवेदक द्वारा मृतका से शादी का वादा गया था परंतु आवेदक अभियुक्त मृतका से शादी करनें से इन्कार कर दिया जिसके परिणामस्वरूप मृतका द्वारा आत्महत्या की गयी।

शासकीय अधिवक्ता व वादी अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता के कथन को सुनने के बाद कोर्ट ने जमानत स्वीकार कर ली

कोर्ट ने कहा स्वीकृत रूप से मृतका मुस्कान को दिनांक 29 मई 2020 को दिन में 11:00 बजे जहर खाना कहा गया है और उसे उसी दिन इलाज हेतु कबीरचौरा अस्पताल में भर्ती कराया जाना कहा गया है। यह भी कहा गया है कि मृतका की मृत्यु दिनांक 31 मई 2020 को शाम 4:00 बजे कबीर चौरा हॉस्पिटल में हुई। इस प्रकार स्वीकृत रूप से मृतक दिनांक 29 मई 2020 से 31 मई 2020 के समय 4:00 बजे सायंकाल तक जेरे इलाज रही परंतु इस मध्य मृतक का कोई मृत्यु पूर्व कथन अभिलिखित नहीं कराया गया है, जो मृतका के मृत्यु के कारणों के संबंध में प्रत्यक्ष व सारवान साक्ष्य होता। मृतका व अभियुक्त के मोबाइल नंबरों को लेकर विवेचक द्वारा टैक कराए जाने की कार्यवाही का पर्चा नंबर 5 दिनांक 1 जून 2020 को काटा गया है परंतु आज तक ऐसा कोई साक्ष्य विवेचक द्वारा एकत्रित नहीं किया जा सका जिससे यह स्पष्ट हो सके कि आवेदक अभियुक्त व मृतक के मध्य उसके मोबाइल पर बातचीत होती हो। जहां तक अभियुक्त एवं वादिनी के मध्य व्हाट्सएऐप पर वार्ता का रिकॉर्ड जो केस डायरी में संलग्न है, उससे यह स्पष्ट नहीं है कि आवेदक द्वारा मृतक को आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित किया गया हो। मामले की प्राथमिकी भी, काफी विलंब से पंजीकृत कराई गई है। आवेदक अभियुक्त दिनांक 2 जून 2020 से इस मामले में न्यायिक अभिरक्षा में कारागार में निरुद्ध है। अतः विवेचक द्वारा संकलित साक्ष्य एवं मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों में आवेदक अभियुक्त को जमानत पर रिहा किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है।

तदनुसार आवेदक तौकीर को 80 हजार रुपए का व्यक्तिगत बंधपत्र एवं समान राशि की दो-दो जमानते जिसमें से एक जमानतदार अभियुक्त तौकीर का परिवारिक सदस्य संबंधित हो, अवर न्यायालय की संतुष्टि का प्रस्तुत करने पर उसे जमानत पर रिहा किया जाए।

 


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