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अनुज यादव व विपीन शर्मा के दलील से पत्रकार सुनील यादव को मिली जमानत



 14/Jul/20

अपर जिला जज (प्रथम) पीके सिंह की अदालत ने आम रास्तें को जबरन कब्जा करने का विरोध करने पर जानलेवा हमला करनें के मामले में आरोपित रमचंदीपुर (चौबेपुर) निवासी आरोपित सुनील यादव को 50-50 हजार रूपये की दो जमानते एवं बंधपत्र देने पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से विद्वान अधिवक्ता अनुज यादव व विपीन शर्मा ने पक्ष रखा।

अभियोजन के अनुसार चौबेपुर थाना क्षेत्र के रमचंदीपुर गांव निवासी शिवपूजन यादव ने चौबेपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि 10 जून 2020 को सुबह साढ़े 9 बजे वह अपने दरवाजे पर साफ-सफाई कर रहा था। उसी दौरान पड़ोस के लोगों द्वारा गांव की ओर जाने वाले आम रास्ता को मिट्टी डालकर जबरदस्ती कब्जा कर रहे थे। उसके मना करने पर राजनारायण ने ललकारते हुए कहा कि सीस साले को जान से मार दो। इसके बाद सुनील यादव घर से कट्टा लेकर आया और उसे सटाकर गोली चला दिया, लेकिन गोली मिस कर गयी। उसके बाद सुनील व राजनारायण के साथ रोहित, सतीश मोहित, हाकिम व शेषनाथ ने ईंट-पत्थर से उसके सिर पर कई प्रहार किए, जिससे उसका सिर फट गया। शोर सुनकर उसकी पत्नी बीचबचाव करने पहुंची तो आरोपितों ने उसकी भी मारपीट कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। शोर सुनकर आसपास के लोग जुट गए और मौके से सुनील यादव को पकड़कर कर उसके हाथ से कट्टा छीन कर उसे व बरामद कट्टा को पुलिस के हवाले कर दिया गया।

जाने क्या दिया अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ताओ ने दलील

बचाव पक्ष के विद्वान अधिवक्ता अनुज यादव व विपीन शर्मा का तर्क दिया कि आवेदक की भूमिका गोली चलाने की नहीं है, न ही किसी को आग्नेयास्त्र की चोट आयी है। आवेदक के विरुद्ध जो मुकदमा था उसमें वह दोषमुक्त हो चुका है। आवेदक से बरामद की 8:00 बजे दिखाई गई है और उसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट 11:55 पर दर्ज हुई जबकि आवेदक को मय असलहा 9:30 बजे की घटना के दौरान ही गिरफ्तार करने और थाने ले जाने का कथन प्रथम सूचना रिपोर्ट में किया गया है। इसके अलावा विद्वान अधिवक्ता अनुज यादव का यह भी तर्क है कि घटना की सूचना दर्ज किए जाने के संबंध में अंकित जी.डी. में मजरूबी चिट्ठी का उल्लेख किया गया है, जबकि चोटहिलों का चिकित्सीय परीक्षण 6:20 बजे 6:25 शाम को हो चुकी थी। उपरोक्त परिस्थितियों के आधार पर यह तर्क दिया गया कि संपूर्ण घटना कूटरचित है और आवेदक को झूठे कथन के आधार पर फसाया गया है। विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि आवेदक पत्रकार है। घटना से पहले उसने चौकी इंचार्ज के विरुद्ध ट्विट किया था और उसके संबंध में खबर भी समाचार पत्रों में छपी थी। इसके अलावा सन् 2018 में इस मामले के वादी शिवपूजन के खिलाफ आवेदक द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया था इसलिए दोनों ने षड्यंत्र कर आवेदक को इस मुकदमे में फंसाया है। उपरोक्त तथ्य न तो कूटरचित है और न ही योजना के अनुसार तैयार किया जा सकता है क्योंकि वर्तमान मामले की घटना के पहले हैं। आवेदक की भूमिका गोली चलाने की बतायी गई है, जबकि उसकी गोली से कोई चोटिल नहीं है और चोटहिलो आग्नेयास्त्र की बताई गई है। आवेदक द्वारा असलहा प्रयोग करनें और फिर उसके पास से असलहा बरामद करनें का संपूर्ण कथानक कपोल कल्पित है। घटना का कोई स्वतंत्र साक्षी नहीं है। चोटहिलो को साधारण चोटें आयी है और आवेदक दिनांक 10 जून 2020 से अभिरक्षा में कारागार में निरुद्ध है एवं ईद पत्थर से मारकर चोटहिल करने वालों में सह अभियुक्त राजनारायण व मोहित की जमानत स्वीकार की जा चुकी है। अतः आवेदक की जमानत स्वीकार की जावे।

अपर सत्र न्यायाधीश पीके सिंह की अदालत ने शासकीय अधिवक्ता व वादी सुनील यादव के अधिवक्ता के कथन को सुनने के बाद अभियुक्त सुनील यादव द्वारा प्रस्तुत जमानत पर रिहा किया जाए। आवेदक द्वारा 50000 रुपये का व्यक्तिगत बंध पत्र व समान धनराशि के दो विश्वसनीय प्रतिभू संबंधित मजिस्ट्रेट की संतुष्टि के अधीन प्रस्तुत करनें पर जमानत जमानत पर रिहा किया गया।

 


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