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संस्कृत के शिक्षक संस्कृत में लाएं वैज्ञानिकता : राम नाईक

मुख्य संवादाता
मुख्य संवादाता
 22/Apr/18

वाराणसी के सनबीम स्कूल वरुणा में संस्कृत प्रतिष्ठा दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के महामहिम राज्यपाल राम नाईक रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ माता आनन्दमयी  वेदपीठ की ऋषिकन्याओं द्वारा पौराणिक मंगलाचरण के साथ हुआ। तत्पश्चात मुख्य अतिथि द्वारा सर्वप्रथम भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा तथा पूर्व महाराज बनारस स्व0 विभूति नारायण सिंह के चित्र पर माल्यार्पण किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि का स्वागत अध्यक्ष पूर्व महाराज कुमारी कृष्णप्रिया द्वारा किया गया। इसके बाद राज परिवार, डॉ. राजाराम शास्त्री(संस्कृत एवं धर्म विद्या संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी), सनबीम स्कूल वरूणा की प्रधानाचार्या डॉ. अनुपमा मिश्रा द्वारा राज्यपाल को प्रशस्ति पत्र देकर उनका स्वागत किया।  सनबीम शिक्षण समूह के अध्यक्ष डॉ. दीपक मधोक द्वारा भी स्मृति चिह्न प्रदान कर उनका स्वागत व अभिनन्दन किया गया।

संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर राज्यपाल राम नाईक डॉ. दीपक मधोक किया सम्मानित

डॉ. दीपक मधोक ने क्लाउन टाइम्स को सूचित किया कि उन्हें संस्कृत नहीं संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने सम्मानित किया। इस अवसर पर संस्कृत के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु पद्मश्री डॉ. वागीश शास्त्री को भी महामहिम ने सम्मानित किया।

महामहिम राज्यपाल ने अपने उद्बोधन् में कहा कि भारत सरकार द्वारा आज ‘‘कौशल विकास’’ के अन्तर्गत संस्कृत विषय को पढ़ने तथा ज्योतिष, वेद, धर्म आदि की शिक्षा के प्रति छात्रों को जागरूक किया जा रहा है तथा उन्हें शिक्षित किया जा रहा है। उन्होंने अपनी पुस्तक चरैवेति-चरैवेति के संस्कृत अनुवाद की भी चर्चा की। आज के समय में संस्कृत के प्रति छात्रों की उदासीनता पर गहरी चिंता व्यक्त की । उन्होंने संस्कृत के शिक्षकों को संस्कृत में वैज्ञानिकता लाने की सीख भी दी। उन्होंने डॉ. वागीश शास्त्री को संस्कृत के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु बधाई भी दी।

सनबीम शिक्षण समूह के अध्यक्ष डॉ. दीपक मधोक ने कहा कि संस्कृत देवभाषा को अपने पाठ्यक्रम में समाहित करने का आवाह्न किया। उन्होंने सनबीम स्कूल वरूणा के हॉरमोनी ऑडिटोरियम में महामहिम राज्यपाल के आने पर बधाई भी दी।

विश्व संस्कृत प्रतिष्ठानम् का परिचय चक्रवर्ती विजय नवाड ने किया। ऋषिकन्याओं द्वारागंगाष्टकम् पाठ माँ गंगा को समर्पित किया गया।


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