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इस बार बिना रोहिणी नक्षत्र के जन्‍मेंगे कान्‍हा



 08/Aug/20

भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर इस वर्ष श्रीकृष्णजन्माष्टमी का पर्व बिना रोहिणी नक्षत्र के ही मनाना होगा। तीन महानिशाओं में से एक मोहरात्रि का उत्सव मनाने के अधिकतम योग 11 एवं 12 अगस्त को मिल रहा है, जबकि रोहिणी नक्षत्र का मान 13 अगस्त को भोर में एक घंटा 55 मिनट के लिए मिलेगा। रोहिणी की निकटता और विशेष मान्यता को देखते हुए 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना अधिक धर्म संगत है।

पं. वेदमूर्ति शास्त्री ने बताया कि काशी और देश के अन्य हिस्सों से प्रकाशित विभिन्न पंचांगों में ग्रह गणना के मूलभूत अंतर के कारण तिथियों में भिन्नता आती है। यही वहज है कि 11 और 12 दोनों ही दिन श्रीकृष्णजन्माष्टमी मनाने के योग बन रहे हैं। भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि का प्रारंभ 11 अगस्त को सुबह 09 बजकर 06 मिनट पर होगा। यह तिथि 12 अगस्त को दिन में 11 बजकर 16 मिनट तक रहेगी।

रोहिणी नक्षत्र का प्रारंभ 13 अगस्त को तड़के 03 बजकर 27 मिनट से हो रहा है और समापन सुबह 05 बजकर 22 मिनट पर होगा। ऐसे में 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना सही रहेगा। अष्टमी पूजन का सर्वमान्य मुहूर्त 12 अगस्त की रात्रि 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक है। 43 मिनट के इस शुभ मुहूर्त में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का विधान पूर्ण करना श्रेयषकर होगा। काशी के मतानुसार शैव संप्रदाय के लोग 11 एवं वैष्णव संप्रदाय के लोग 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे।मथुरा और द्वारिका में 12 अगस्त को जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

मंदिरों में सजेगी सांकेतिक झांकी
घरों के साथ ही काशी के सैकड़ों देवालयों में भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की झांकियां सजाई जाती हैं। इस वर्ष कोरोना संकट के कारण प्रमुख मंदिरों में भी सांकेतिक रूप से श्रीकृष्णजन्माष्टमी का आयोजन किया जाएगा। गोपाल मंदिर के विख्यात नंदोत्सव में केसर मिश्रित दही हवा में उड़ा उड़ा कर होली खेलने का दृश्य इस बार जीवंत नहीं होगा। मंदिर परिवार के गिनती के सदस्य इस परंपरा का निर्वाह करेंगे।

 


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