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यूपी में अंतिम चरण वाराणसी समेत 40 सीटों पर मतदान

अशोक कुमार मिश्र
प्रधान संपादक
 08/Mar/17

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में 40 सीटों के लिए के लिए 8 मार्च को मतदान हुआ। इस चरण में 535उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होना है। लगभग डेढ़ करोड़ वोटरों ने 14 हज़ार से ज़्यादा मतदान केंद्रों में मतदान किया ।

अंतिम चरण में वाराणसी, , चंदौली, मिर्ज़ापुर, भदोही, जौनपुर, गाज़ीपुर और सोनभद्र की 40 सीटों पर मतदाताओं ने अपने मतधिकर का प्रयोग किया ।

वाराणसी में सर्वाधिक अजगरा में 68.24 % व न्यूनतम कैंटोनमेंट 58.11 %, मतदान रहा

पूरे प्रदेश ही नहीं बल्की राष्ट्रीय सतर पर सभी की निहाहें में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस पर है। यहां आठो बिधान सभाओं में क्रमश: वाराणसी दक्षिणी 65.89 %, वाराणसी उत्तरी 61.39 %, वाराणसी कैंटोनमेंट 58.11 %, पिण्डरा 61.33 %, शिवपुर 67.43 %,अजगरा 68.24 %, रोहनिया 61.74 %, सेवापुरी 65.44 % मतदान रहा ।

राष्ट्रीय सतर पर सभी की निहाहें में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस पर

पीएम के संसदीय क्षेत्र में टिकट बटावारे को लेकर सात बार के विधायक श्यमदेव राय चौधरी “ दादा ” का टिकट कटना भाजापा के गले की हड्डी बना गया था। इतना ही नहीं कैंट , उत्तरी सभी विधान सभाओं के प्रत्याशियों के टिकट को लेकर भजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्य के सामनें सड़क तक उनका विरोध प्रदर्शन हुआ। यही कारण रहा कि केंद्र की पूरी कैबिनेट के दर्जनों मंत्रीयों सहित भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने स्वयं वाराणसी में ह्फ्तेभर डेरा डाले रखा । प्रचार के आखिरी 3 दिनों तक स्वयं प्रधान मंत्री ने वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर ,काशी के कोतवाल भैरोनाथ का दर्शन किया और गढ़वाघाट में गाय को चारा खिलानें के साथ ही रामनगर जाकर पूर्व प्रधान मंत्री स्व. लाल बहादुर शात्री के निवास जाकर उन्हें याद किया। पीएम ने रोड शो और चुनावी सभायें करके भाजपा के गढ़ में मतदाताओं में नई उर्जा भरनें की कोशिश किया। क्योंकि भजपा में नाराजगी और सपा कांग्रेस गठबंधन ने भजपा की नीद उड़ा दी है। उपर से सूबे के सीएम अखिलेश यादव और कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के रोड शो में उमड़े जनशैलाब ने तो भजपा के गढ़ में तूफान खड़ा कर दिया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसदीय क्षेत्र बनारस समेत तीन अन्य केंद्रीय मंत्रियों- मनोज सिन्हा, अनुप्रिया पटेल और महेंद्र नाथ पांडेय के संसदीय क्षेत्र व गृहमंत्री राजनाथ सिंह के गृह जनपद चंदौली की विधानसभा सीटें भी इसी चरण में आती हैं । जहां अंतिम चरण में मतदान हुआ ।

इसलिए इस बार के चुनाव में इन नेताओं का अपने क्षेत्रों में कितनी राजनीतिक पकड़ है, इसी से 2019 के लोकसभा चुनाव का भी आंकलन होगा।

वाराणसी उत्तरी , दक्षिणी, कैंट में भाजापा की इज्जत लगी है दांव पर

पीएम मोदी का जादू भी उनके संदीय क्षेत्र बनारस में बरकार है या नहीं ये तो 11 मार्च को मतदान के बाद आनें वाले परिणाम के बाद पता चलेगा। फिलहाल वाराण्सी शहर की तीन विधानसभा सीटें जिनमें वाराणसी उत्तर, वाराणसी दक्षिण और वाराणसी कैंट भजपा के पास है। भाजपा की कोशिश है कि इन तीनों सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखते वाराण्सी के ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत की जाये।

प्रधानमंत्री मोदी जिस तरह तीन दिन यहां सड़कों पर उतरे, उसे इसी कोशिश का हिस्सा माना जा रहा है। भाजपा ने वाराणसी दक्षिणी से सात बार विधायक रहे श्याम देव चौधरी का टिकट काटकर ब्राह्मण चेहरे के रूप में नीलकंठ तिवारी को टिकट दिया। उनकी सीधी टक्कर कांग्रेस के पूर्व सांसद डॉ. राजेश मिश्र है। बसपा ने भी ब्राह्मण चेहरे के रूप में राकेश त्रिपाठी को खड़ा किया पर वे उतनें असरदार नहीं रहे।

वाराणसी उत्तरी से भाजपा विधयक रविंद्र जायसवाल हैं , इनकी लड़ाई त्रिकोणात्मक कांग्रेस सपा गठबंधन के अब्दुल समद और बसपा के सुजीत मौर्य से फंसी है। यहां भाजापा के दो बागियों सुजीत सिंह टीका और डॉ. अशोक सिंह ने भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी है। कैंट से विधायक ज्योत्सना श्रीवास्तव के बेटे सौरभ के टिकट का भी विरोध हुआ, यहां कांग्रेस सपा गठबंधन अनिल श्रीवास्ताव जैसे दीग्गज को टिकट देकर भाजपा को सीधी टक्कर दे रहे हैं।

वाराणसी सेवापुरी

वाराणसी सेवापुरी विधानसभा क्षेत्र का जयापुर गांव जिसे पीएम मोदी ने गोद लिया है। यहां सूबे की सपा सपा सपा सरकार के राज्य मंत्री सुरेंद्र पटेल की पकाड़ एक सेवक के रूप में है, जिनके जनता दरबर से कोई फरियादी बिना कुछ पाये वापस नहीं जाता। इन्हें ही सपा कांग्रेस गथ्बंधन ने प्रत्याशी बनाया है। इनने मुकाबाले में भाजपा के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) ने नीलरत्न पटेल नीलू को चुनाव मैदान में उतारा है।

बताते चलें कि भाजपा से गठबंधन के मुद्दे पर अपना दल दो फाड़ हो गया। अनुप्रिया पटेल गुट ने भाजपा के साथ गठबंधन किया जबकि उनकी मां कृष्णा पटेल का गुट, निषाद पार्टी और पीस पार्टी के साथ पूरे प्रदेश की 403 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है। बसपा नें भी यहां से महेंद्र पाण्डेय को उतारा है।

अनुप्रिया के गुट और भाजपा के बीच सीटों में तालमेल को लेकर तनातनी रही लेकिन आखिरकार सहमति बनी। सेवापुरी में अपना दल (सोनेलाल) का प्रदर्शन कैसा रहेगा और पटेल समाज किस पर भरोसा जताएगा, इस पर सभी की निगाह रहेगी ।

वाराणसी रोहनिया

रोहनिया को अपना दल का कर्मक्षेत्र कहा जा सकता है। कुर्मियों की इस पार्टी के जनक सोनेलाल पटेल कांशीराम के साथी थे, लेकिन अनबन के कारण अलग हुए और 1995 में उन्होंने अपना दल बनाया। बाद में उनकी पत्नी कृष्णा ने बागडोर संभाली लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव के बाद हुए उपचुनाव में उन्हें सपा के राज्य मंत्री सुरेंद्र पटेल ने अपने भाई महेंद्र पटेल को खड़ाकर बुरी तरह हराया जिसका ठिकरा अनुप्रिया और भाजापा के सिर फोड़ा गया और पार्टी में हुए दो फाड़ हो गये। इस बार कृष्णा पटेल खुद यहां से चुनावी मैदान में हैं। उनका सीधा मुकाबला सपा के महेंद्र सिंह पटेल से है। सीट बंटवारे के तहत रोहनिया से भाजपा ने सुरेंद्र नारायण सिंह चुनाव मैदान में उतारा है। अब देखना है कि रोहनिया में मोदी की रैली का जादू कुर्मी मतदाताओं पर पड़ेगा या वे फिर एक बार सपा कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी महेंद्र पटेल पर भरोसा जताते हैं , अथवा कृष्णा पटेल के साथ जाएंगे ये देखना दिलचस्प होगा। क्योंकि ऐसा कुर्मी केंद्र सरकार में मंत्री बनने के बाद अनुप्रिया समाज से दूर रहनें लगी और उन्होंने इलाके पर ध्यान नहीं दिया।

वाराणसी पिण्डरा

वाराणसी की पिण्डरा विधानसभा सीट कांग्रेस के विधायक अजय राय का अजेय गढ़ माना जाता है। यहां से कांग्रेस-सपा गठबंधन की ओर से पांच बार के विधायक अजय राय चुनाव मैदान में हैं। ये वही अजय राय हैं जिन्होंने 2014 लोकसभा चुनाव में वाराणसी से मोदी को चुनौती दी थी। बसपा ने बाबू लाल पटेल को उनके मुकाबले मैदान में उतारा है। भाजपा ने यहां से डॉ. अवधेश सिंह प्रत्याशि बनाया है । मोदी के नाम डॉ. अवधेश की नैया पार लगेगी या नहीं ये बता पाना मुश्किल है ।

वाराणसी शिवपुर

वाराणसी की शिवपुर सीट बसपा विधायक उदय लाल मौर्य का कब्जा रहा। चुनाव से ठीक पहले उन्हें पार्टी से निकल दिया गया और यहां से कांग्रेस छोड़कर बसपा में शामिल हुये पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह से भाजपा के के अनिल राजाभर का सीधा मुकाबला है। सपा कांग्रेस गठबंधन ने आनंद मोहन यादव को प्रत्याशी बनाया है ।

 

वाराणसी अजगरा

वाराणसी अजगरा सुरक्षित सीट पर बसपा के त्रिभुवन राम का कब्जा है। यहां भाजापा ने गठबंधन में इसे भासपा के नेता ओम प्रकाश राजभर को दिया है, जहां से उन्होंने सपा छोड़कर भासापा में शमिल हुये कैलाश सोनकर को प्रत्याशी बनाया है। इनके समर्थन में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इनके क्षेत्र में सभा किया । आब देखना है कि ये कितना रंग लाता है ।

पूर्वांचल की 40 में से 32 भाजपा ने उतारे हैं अपने उम्मीद्वार

 

40 सीटों में भाजपा ने 32 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। बसपा के उम्मीदवार सभी सीटों पर हैं। इसी तरह सपा ने भी 31 सीटों पर और कांग्रेस 9 पर हैं।

2012 के विधानसभा चुनाव में इन 40 सीटों में 23 सीटें सपा का कब्जा रहा, जबकि 4 भाजपा और 3 कांग्रेस तथा 5 बसपा का कब्जा रहा । इनमें से भाजपा के पास जो 4 सीटें हैं उनमें से 3 सीटें वाराणसी शहर की रहीं जिन्हें बरकरार रखना सबसे बड़ी चुनौती है। पूर्वांचल के चुनाव परिणाम का असर वाराणसी के साथ ही पड़ोस के चंदौली, भदोही, मिर्जापुर, जौनपुर सहित आस- पास के ज़िलों में पर भी पड़ेगा।

केंद्र से लेकर प्रदेश के कई मंत्रियों की प्रतिष्ठा लगी है दांव पर

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के जिला चंदौली के मुगलसराय, सकलडीहा, सैयदराजा और चकिया (एससी) विधानसभा सीटों का सारा दरोमदार इन्हीं पर है। सबसे रोचक मुकाबला सैयदराजा में है। यहां भाजपा के बाहुबाली विधायाक सुशील सिंह का मुकाबाला बसपा के बाहुबाली एमएलसी विनीत सिंह से है। पिछले विधान सभा चुनाव में इस सीट पर निर्दल प्रत्याशी मनोज सिंह ड्ब्ल्यू का कब्जा रहा जो बाद में सपा में शामिल हुये और वे ही सपा कांग्रेस गठबंधन के दमदार प्रत्याशी हैं। यहां लड़ाई त्रिकोणात्मक फंसी है।

चंदौली में मानव संसाधन राज्य मंत्री डा. महेंद्र नाथ पांडेय का संसदीय क्षेत्र भी है, इसलिए उनकी प्रतिष्ठा भी दांव पर है। केंद्रीय रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा के संसदीय क्षेत्र गाज़ीपुर में भी इसी चरण में मतदान हुआ है।

अंतिम चरण में अखिलेश सरकार के कई मंत्रियों की भी साख दांव पर लगी है। इनमें ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभाग के मंत्री पारसनाथ यादव मल्हनी से, ऊर्जा राज्य मंत्री शैलेंद्र यादव "ललई" शाहगंज से , बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री कैलाश चौरसिया मिर्जापुर से और लोक निर्माण राज्य मंत्री सुरेंद्र सिंह पटेल सेवापुरी से चुनाव लड़ रहे हैं। अखिलेश सरकार से बर्खास्त किये गए मंत्री ओम प्रकाश सिंह भी जमानियां से समाजवादी पार्टी के ही टिकट पर चुनाव मैदान में हैं।

इनके अलावा आखिरी चरण में कुछ और सियासी दिग्गजों की भी परीक्षा होनी है।

समाजवादी पार्टी से टिकट पाने में नाकाम रहे बाहुबली छवि के मौजूदा विधायक विजय मिश्र ज्ञानपुर, बीएसपी विधायक रमेश बिंद मझवां,सिबगतुल्लाह अंसारी मोहम्मदाबाद से एक बार फिर क़िस्मत आज़मा रहे हैं।

 

 


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